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आकाश बशीर आकाश बशीर 

ख्रीस्तीय एकता के प्रतीक, आकाश बशीर की कब्र पर तीर्थयात्रा और प्रार्थना

पाकिस्तान में आकाश बशीर की कब्र पर तीर्थयात्रा और प्रार्थना, सभी ख्रीस्तीय समुदायों को एकजुट कर रही है।

वाटिकन न्यूज

लाहौर, मंगलवार, 21 जनवरी 2025 (फिदेस) : आकाश बशीर, जिनके लिए लाहौर धर्मप्रांत ने संत घोषित करने की पहल शुरू की है, एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जो सभी धर्मों के ख्रीस्तीयों को एकजुट करते हैं तथा युवा पाकिस्तानियों और पूरे स्थानीय समुदाय के लिए एक आध्यात्मिक प्रेरणा के स्रोत हैं।

दूसरों की भलाई तथा उन निर्दोष लोगों की रक्षा करने के लिए अपने जीवन का बलिदान करनेवाले आकाश बशीर, जो पूजा स्थल (लाहौर के संत जॉन गिरजाघर) में प्रार्थना कर रहे थे, मित्रता के प्रतीक हैं, तथा सभी सीमाओं से परे, मुस्लिम श्रद्धालुओं के साथ अंतरधार्मिक संवाद के लिए सेतु बन गये हैं।

ये बातें 18 जनवरी को ख्रीस्तीय एकता सप्ताह के आरंभ में, ठोस रूप से कही और व्यक्त की गयी, जिसे पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस अवसर पर पाकिस्तान के विभिन्न ख्रीस्तीय समुदायों ने, “शहीद” माने जानेवाले आकाश बशीर की कब्र पर तीर्थयात्रा करते हुए एक साथ ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना की तथा पाकिस्तानी लोगों के संकटों को चढ़ाया।

तीर्थयात्रा में कपुचिन फादर लाजर असलम ओएफएमकैप और प्रोटेस्टेंट पास्टर सामुएल खोखर भी शामिल थे।

प्रोटेस्टेंट पास्टर सामुएल खोखर ने 15 मार्च 2015 को योहानाबाद में हुई दुखद घटना (दो बम विस्फोट) के बारे व्यक्तिगत अनुभव बतलाये, जब आत्मघाती हमलावर का सामना करने में आकाश के साहस के कारण कई लोगों की जान बच गई थी।

पास्टर खोखर हमले के स्थान पर मौजूद थे, उन्होंने दूसरों के साथ क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए तुरन्त कदम उठाया एवं घायलों की सहायता की। उन्होंने घायलों एवं मृतकों के शवों को लाहौर के जेनेरल अस्पताल एवं जिन्नाह अस्पताल ले जाने के लिए वाहन प्रबंध किया।  

उन्होंने फिदेस एजेंसी को बतलाया, "मैं शवों को प्राप्त करने, उन्हें मुर्दाघर में रखने और उन लोगों की सूची बनाने के लिए जिम्मेदार था, जिन्होंने अपनी जान गंवा दी थी। विशेष रूप से, मुझे याद है कि मैंने शवों के एक बैग पर आकाश बशीर का नाम लिखा था।"

वे याद करते हुए बतलाते हैं, "जब मैंने उस युवक का चेहरा देखा तो वह एक मार्मिक क्षण था। भले ही वह बेजान था, मैं उसकी सुंदरता से मोहित था, मैं आकाश के चेहरे से निकलनेवाली मुस्कान और शांति से बहुत प्रभावित हुआ। उनमें एक चमक और पवित्रता थी जो प्रथम ख्रीस्तीय शहीदों की याद दिलाती थी।"

हमले के बाद लगातार धमकियों के शिकार पादरी खोखर को कुछ समय के लिए पाकिस्तान छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा और अब भावुक होकर उन्होंने आकाश बशीर की कब्र पर जाने की इच्छा व्यक्त की और उसे पूरी भी की।

लाहौर के कब्रिस्तान में आयोजित ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना सभा में एक अन्य प्रोटेस्टेंट पादरी आई.बी. रॉकी भी उपस्थित थे, जिन्होंने अपने समुदाय के युवा सदस्यों के साथ मिलकर कहा: "आकाश हमें एक शक्तिशाली संदेश देते हैं, विश्वास में दृढ़ बने रहना।"

यह हममें से प्रत्येक का कर्तव्य है कि आकाश के उदाहरण का अनुसरण करते हुए, हम अपने समुदाय से प्रेम करें और उसकी रक्षा करें, जिसने ईश्वर, अपनी कलीसिया और लोगों के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया।" पास्टर ने प्रकाशनाग्रंथ का हवाला दिया, जहाँ लिखा है: "तुम मृत्यु तक ईमानदार बने रहो और मैं तुम्हें जीवन का मुकुट प्रदान करूँगा।" (प्रकाशनाग्रंथ 2:10), तथा विश्वासियों को प्रोत्साहित किया कि वे विश्वास को अपने जीवन की चट्टान बनायें।

उपस्थित लोगों ने भावुक शब्दों में प्रार्थना की, बाइबल पाठ किया और उन पर मनन-चिंतन किया तथा मौन रहकर ईश्वर के सेवक आकाश बशीर से विशेष प्रार्थना की। इसके बाद श्रद्धालु लाहौर के योहानाबाद में संत जॉन काथलिक गिरजाघर का दर्शन किया, जहाँ आकाश बशीर की मृत्यु हुई थी।

फादर लाजर असलम ने फिदेस से कहा, “आकाश बशीर की विरासत ख्रीस्तीय एकता और सद्भावना का एक शक्तिशाली प्रतीक बन गई है: उनकी प्रतिमा विभिन्न धर्मों के लोगों और यहां तक ​​कि गैर-ख्रीस्तीयों को भी उनकी कब्र पर आने और प्रार्थना करने के लिए आकर्षित करती है।" यह एक गहन आध्यात्मिक अनुभव था, जिसने हममें एकता की गहरी भावना पैदा की, स्वयं को ईश्वर की संतान तथा मानव के रूप में पहचानने की प्रेरणा दी।

कपुचिन फादर ने अंत में कहा, “अपने बलिदान के माध्यम से, आकाश बशीर पाकिस्तानी श्रद्धालुओं को एकजुटता में रहने, अपने विश्वास की रक्षा करने और रोजमर्रा की जिंदगी में हर व्यक्ति के साथ प्रेम, शांति और संवाद के मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं।"

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