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2024.10.29 ट्रिनिटी कॉलेज, जालंधर, भारत में छठा राष्ट्रीय युवा सम्मेलन 2024.10.29 ट्रिनिटी कॉलेज, जालंधर, भारत में छठा राष्ट्रीय युवा सम्मेलन 

भारत : ख्रीस्त का साक्ष्य देने के लिए युवाओं को प्रेरणा

"प्रभु में आशा" शीर्षक से राष्ट्रीय युवा सम्मेलन में भारत के जालंधर में देशभर से 598 युवा संचालक एकत्रित हुए, जिन्हें सांसारिकता की ओर झुकती दुनिया में अपने विश्वास को जिम्मेदारी से जीने का प्रोत्साहन किया गया।

सिस्टर फ्लोरीना जोसेफ एससीएन

युवा काथलिक नेता पोप फ्राँसिस के आह्वान "मसीह जीवित हैं! वे हमारी आशा है" पर चिंतन करने के लिए भारत में एकत्र हुए हैं, जिसे उनके प्रेरितिक प्रबोधन क्रिसतुस विवित से लिया गया है।

6वें राष्ट्रीय युवा सम्मेलन में पूरे भारत से 598 प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें भारतीय काथलिक युवा आंदोलन (आईसीवाईएम) के नेता, युवा प्रतिनिधि, संचालक और पुरोहित शामिल थे, जो 14 क्षेत्रों के 81 धर्मप्रांतों से आए थे।

भारतीय काथलिक युवा आंदोलन द्वारा आयोजित और 21 से 25 अक्टूबर तक भारत के जालंधर स्थित ट्रिनिटी कॉलेज में आयोजित इस सम्मेलन में कलीसिया के निर्माण में युवा काथलिकों की सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर दिया गया।

युवा काथलिक प्रतिनिधि सम्मेलन में भाग लेते हुए
युवा काथलिक प्रतिनिधि सम्मेलन में भाग लेते हुए

जिम्मेदारी से मसीह की गवाही देने का आह्वान

राष्ट्रीय युवा आयोग के कार्यकारी सचिव फादर चेतन मचाडो ने वाटिकन न्यूज को बताते हुए कहा, “सम्मेलन मसीह की गवाही देने के विषय पर केंद्रित था, जो भारत के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की रणनीतिक योजना का एक महत्वपूर्ण बिंदु है। प्रत्येक व्यक्ति को दूसरों को येसु से परिचित कराने में अपनी भूमिका निभाने के लिए बुलाया जाता है।” अराजकता और हिंसा से त्रस्त दुनिया में, कलीसिया युवाओं से "आध्यात्मिक और विश्वास के मामलों से परे सुसमाचार को सामाजिक सुधार के क्षेत्र में ले जाने" का आह्वान करती है।

मीडिया की कहानियों से प्रभावित होने के बजाय, जानकारी का गंभीरता से आकलन करना, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना और गैर-ख्रीस्तीयों के साथ मिलकर पोप फ्राँसिस द्वारा लिखे, प्रमुख विश्वपत्र पर अध्ययन समूहों में शामिल होना है।

मणिपुर में संकट पर प्रकाश डाला गया, जिससे प्रतिभागियों को ऐसे मुद्दों का सामना करने के लिए सामूहिक आवाज उठाने की तत्काल आवश्यकता को पहचानने में मदद मिली। उनकी चर्चाओं में, भारत में कलीसिया से मणिपुर और इसी तरह की परिस्थितियों का सामना कर रहे क्षेत्रों के पुनर्निर्माण के लिए एक साथ आने का जोरदार आह्वान किया गया।

चुनौतियाँ

सम्मेलन में युवाओं द्वारा सामना की जा रही विविध किन्तु आपस में जुड़ी हुई चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया। एक महत्वपूर्ण मुद्दा जो सम्मेलन में उठाया गया वह था सोशल मीडिया का दबाव जो अक्सर आभासी एवं वास्तविक दुनिया में एक असंतुलन पैदा कर देता है, और युवाओं को जीवन के प्रति सतही दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

एक और चुनौती जो पहचानी गई वह थी युवा काथलिकों के लिए प्रासंगिक विश्वास प्रशिक्षण की कमी, जो बाहरी प्रभावों को उनके विश्वास पर हावी होने देती है। बढ़ते धार्मिक तनावों के बीच, सांसारिक दुनिया में मसीह के खुले तौर पर गवाही देने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। दूसरी ओर, युवा अक्सर काथलिक समुदाय द्वारा न्याय किए जाने का अनुभव करते हैं।

अन्य चुनौतियाँ में, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ, बेरोजगारी, जीवन साथी मिलने में देरी और बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल आदि प्रमुख थे जिनपर विचार किये गये। टूटे हुए परिवारों, परेशान पालन-पोषण और पीढ़ीगत अंतराल के नकारात्मक प्रभाव पर भी प्रकाश डाला गया।

भारत के युवा काथलिक प्रतिनिधि
भारत के युवा काथलिक प्रतिनिधि

आगे का रास्ता

इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए, सम्मेलन ने कई प्रमुख सिफारिशें प्रस्तावित कीं :

- कलीसिया के संचालकों, पल्ली समुदायों और युवाओं के बीच बेहतर तालमेल को बढ़ावा देना।

- यूखरिस्त के महत्व को फिर से जीवंत करना और कार्रवाई में प्रार्थना और चिंतन के सक्रिय दृष्टिकोण को बढ़ावा देना।

- खुले संवाद के लिए मंच बनाना, जिससे युवा अपनी आशाओं और आशंकाओं को व्यक्त कर सकें, अपनी चुनौतियों को समझ सकें और मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें।

- बाहरी प्रभावों के बीच युवाओं को स्थिर रखने के लिए आस्था निर्माण को मजबूत करना।

- युवाओं के बीच घटती प्रेरणा को संबोधित करने और मजबूत बाहरी समर्थन प्रदान करने के लिए सलाह और साझा अनुभवों के अवसर प्रदान करना।

- मिशनरी गठन को प्राथमिकता देना, व्यवसायों को मजबूत करने के लिए अल्पकालिक सामुदायिक जीवन के अनुभव प्रदान करना।

-समावेशीकरण को बढ़ावा देना, यह सुनिश्चित करना कि प्रेरिताई न केवल अभिजात वर्ग तक पहुंचे, बल्कि पारंपरिक कलीसिया की गतिविधियों से दूर रहने वाले युवाओं सहित हाशिये पर रहने वाले युवाओं तक भी पहुंचे।

- स्थायी जीवन पद्धतियों को प्रोत्साहित करें, सृजन के प्रति प्रेम पैदा करें और स्थायी पद्धतियों को लागू करें।

प्रतिभागियों ने देखा कि युवा प्रेरिताई को घटना-उन्मुख होने से हटकर गठन और प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, सेवक नेतृत्व को बढ़ावा देना चाहिए जो मान्यता से अधिक सेवा को प्राथमिकता देता है।

भारतीय काथलिक युवा आंदोलन

1999 में स्थापित युवा सम्मेलन सीसीबीआई युवा आयोग के तत्वावधान में संचालित होता है, जिसका लक्ष्य भारत भर में लातीनी रीति के सभी पारिशों में युवाओं के समग्र विकास को गति प्रदान करना है।

भारत के युवा काथलिक प्रतिनिधि
भारत के युवा काथलिक प्रतिनिधि

 

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30 अक्तूबर 2024, 15:53
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