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परमधर्मपीठीय संस्थान द्वारा "सिस्टर क्लारा सेंटर” दिया गया वाहनः माताओं और बच्चों का दल परमधर्मपीठीय संस्थान द्वारा "सिस्टर क्लारा सेंटर” दिया गया वाहनः माताओं और बच्चों का दल  

'सिस्टर क्लारा सेंटर’ बौद्धिक विकलांग बच्चों को आशा प्रदान करता है

"उप-सहारा अफ्रीका के कुछ जातीय समूहों में, बौद्धिक विकलांगता वाले लोगों को अक्सर हाशिए पर रखा जाता है," सिस्टर क्लाउडिया सांबा एफसीएसएम कहती हैं, जिन्होंने आठ साल तक "सिस्टर क्लारा सेंटर" रोसो में सेनेगल और मॉरिटानिया दोनों में बौद्धिक विकलांगता वाले बच्चों के साथ काम किया है।

सिस्टर मेरी पेपाइन मातेन्दकामा, एफएससीएम

रोसो सेनेगल मंगलवार, 23 अप्रैल 2024 (वाटिकन न्यूज) : सिस्टर क्लाउडिया सांबा कहती हैं, "बौद्धिक विकलांगता वाले बच्चों को एक ओर अभिशाप के रूप में देखा जाता है, और दूसरी ओर सौभाग्य के आकर्षण के रूप में देखा जाता है।"

“सिस्टर क्लारा सेंटर'' का कार्यक्रम परिवारों से मुलाकात हेतु दौरे से शुरू होता है, एक बुनियादी गतिविधि जो धर्मबहनों को उन लोगों की वास्तविकता को समझने और अनुभव करने में मदद करती है, जिनकी वे काथलिक मिशन के नाम पर सेवा करती हैं।

सप्ताह में दो बार, धर्मबहनें रोसो, मॉरिटानिया के आसपास के गांवों का दौरा करती हैं, जहां सिस्टर क्लाउडिया का समुदाय, माता मरियम के पवित्र हृदय की पुत्रियाँ (एफसीएसएम) 2014 से एक मिशन में संलगन है। रोसो को उसके जुड़वां शहर, रोसो, सेनेगल को सेनेगल नदी द्वारा अलग किया गया है।

सिस्टर क्लाउडिया कहती हैं, "हमारी यात्राओं के दौरान, हमने देखा कि बौद्धिक विकलांगता वाले बच्चों के साथ जिस तरह से व्यवहार किया जाता था वह एक जातीय समूह से दूसरे जातीय समूह में भिन्न होता था।" “एक ओर, उनका स्वागत किया गया और उन्हें भाग्यशाली माना गया क्योंकि वे भीख मांगकर पैसा कमा सकते थे और अन्य सामान प्राप्त कर सकते थे। दूसरी ओर, उन्हें एक अभिशाप, परिवार की बुरी आत्मा के रूप में देखा जाता था और उन्हें हाशिए पर रखा जाता था।

माता मरियम के पवित्र हृदय की पुत्रियाँ (एफएससीएम) बच्चे के साथ
माता मरियम के पवित्र हृदय की पुत्रियाँ (एफएससीएम) बच्चे के साथ

जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से आशा और विश्वास

देखभाल की मांगों को पूरा करने के लिए, "सिस्टर क्लारा सेंटर" सभी पहलुओं में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है: अभिभावकीय, सामाजिक, धार्मिक, सरकारी और अंतर्राष्ट्रीय।

सिस्टर क्लाउडिया कहती हैं, "हमने कई किलोमीटर तक, कभी-कभी रेत के टीलों पर यात्रा की और जब हमने देखा कि मस्तिष्क पक्षाघात से पीड़ित बच्चों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाता है, तो हमारी आँखों में आँसू आ गए। हमारे लिए इन व्यवहारों को स्वीकार करना कठिन था - दोनों ही व्यवहार जो उन्हें सौभाग्य का प्रतीक मानते थे और जो लोग उन्हें दुर्भाग्य के अग्रदूत के रूप में देखते थे।''

आशा परमधर्मपीठीय संस्थान द्वारा वित्त पोषित एक परियोजना से आई है, जिसकी स्थापना उत्तर अमेरिकी काथलिकों द्वारा जरूरतमंद दुनिया में मसीह के प्रेम को लाने और कलीसिया एवं संत पापा  के काम से घनिष्ठ रूप से जुड़े रहने के लिए की गई थी।

परमधर्मपीठीय संस्थान ने बच्चों को उनके घरों से "सिस्टर क्लारा सेंटर” तक प्रतिदिन लाने और वापस धर ले जाने के लिए 16 सीटों वाली एक वाहन दान की। सामाजिक मामलों के मंत्रालय के माध्यम से, अन्य संस्थाओं और गैर सरकारी संगठनों ने भी माता-पिता को सहायता प्रदान की।

सिस्टर क्लाउडिया कहता हैं, “हालाँकि, उप-सहारा अफ्रीका में इन जातीय-आधारित मान्यताओं [विकलांगता के संबंध में] को खत्म करने के लिए अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।"

अपने काम में खुशी पाना ईश्वर का एक उपहार है

जन्म से लेकर 14 वर्ष की आयु तक के सभी बौद्धिक विकलांग बच्चों का "सिस्टर क्लारा सेंटर” में स्वागत है।

सिस्टर क्लाउडिया कहती हैं, "अपने काम में खुशी पाना ईश्वर की ओर से एक उपहार है।" "बाइबिल (उपदेशक ग्रंथ 5:18-19) जो कहता है वह सच है, ये बच्चे हमें खुशी से भर देते हैं जब वे अपनी क्षमताओं के अनुसार चित्र बनाना,  गीत गाना, पढ़ना-लिखना सीखते हैं।”

वे सेंटर के बच्चों द्वारा बनाई गई चीज़ों को असाधारण और आश्चर्यजनक बताती हे।

सिस्टर क्लाउडिया ने अपनी बातों को यह कहते हुए विराम दिया, “उनके रहने और अभिनय करने का बुद्धिमान तरीका हमें दिखाता है कि उनकी दुनिया कभी-कभी हमारे लिए आश्चर्य है! जैसा कि एक बुद्धिमान व्यक्ति ने एक बार कहा था, ‘जीवन का रहस्य यह है कि आप जो करते हैं उससे प्यार करें, न कि वह करें जिससे आप प्यार करते हैं।' यह मेरा रहस्य है।”

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23 April 2024, 10:17