ब्राजीलः एक मिनीबस बेघरों को सम्मान प्रदान करती है
ए. ओलिवेरा, पी. अल्मेडा और एम. ई. अल्वेस
रेसिफ, मंगलवार 23 जनवरी 2024 (वाटिकन न्यूज) : पूर्वोत्तर ब्राज़ील के रेसिफ़ में संत विंसेंट डी पॉल की दया की पुत्रियाँ विभिन्न सामाजिक, स्वास्थ्य और शिक्षा गतिविधियों में शामिल हैं। अपने करिश्मे के प्रति वफादार और संत पापा फ्राँसिस के समाज के हाशिये पर जाने के निमंत्रण से प्रेरित होकर, उन्होंने अपने बेघर भाइयों और बहनों की जरूरतों का जवाब देने के लिए अपने रोजमर्रा के काम से आगे बढ़ने की इच्छा महसूस की। ब्राजील में बेघर लोगों की असुरक्षा और खाद्य असुरक्षा की समस्याएं बढ़ रही हैं, जो 2020 और 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण और भी गंभीर हो गईं।
‘माइक्रो दा कारिदादे’ परियोजना
‘माइक्रो दा कारिदादे’ परियोजना बेघरों को दैनिक भोजन वितरित करने और रेसिफ़ शहर में चक्कर लगाने की सामाजिक कार्रवाई से उत्पन्न हुई। शौचालय, साफ कपड़े और बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल जैसी आवश्यक स्वच्छता सेवाएं प्रदान करने की स्पष्ट आवश्यकता थी, जो उनके लिए दुर्गम विलासिता थी। अंतरराष्ट्रीय वित्त पोषण की मदद से शॉवर के साथ एक मिनीबस, एक अस्पताल और एक नाई की दुकान स्थापित की गई थी। यह पहल लगभग 60 बेघर लोगों के लिए है और व्यक्तिगत सहायता के ख्रीस्तीय सिद्धांत के अनुसार शौचालय, साफ कपड़े, व्यक्तिगत स्वच्छता उत्पाद, दवा और भोजन प्रदान करती है। यह परियोजना ड्राइवर, नाई, नर्स, डॉक्टर और सहायक कर्मचारियों सहित विभिन्न क्षेत्रों के स्वयंसेवकों की भागीदारी पर निर्भर करती है। ये स्वयंसेवक सप्ताह में एक बार अपना समय और सेवा दान करते हैं, फ़ज़ेंडा दा एस्पेरान्का जैसे सहायता केंद्रों को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और व्यक्तिगत दस्तावेज़ों को पुनर्गठित करने में मदद करते हैं।
दया की पुत्रियों के रूप में, हम संत विंसेंट डी पॉल के उदाहरण का अनुसरण करते हुए, अपनी सेवा के माध्यम से ईश्वर के करुणामय प्रेम की घोषणा करते हैं। हम दान को बढ़ावा देने, भली इच्छा वाले लोगों को संगठित करने और गरीबों के लिए सेवाओं और सहायता का एक नेटवर्क आयोजित करने के लिए विन्सेंसियन परिवार की अन्य शाखाओं के साथ सहयोग करते हैं। यह परियोजना परिवर्तनकारी है और सतत विकास तीसरे उद्देश्य के साथ खुद को जोड़ते हुए अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देती है।
सुसमाचार की घोषणा करें!
माइक्रो दा कारिदादे के लाभार्थी स्वागत महसूस कर रहे हैं और कहते हैं कि उनके साथ इंसानों जैसा व्यवहार किया जाता है। सहायता प्राप्त करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है। हमारी सेवा निःस्वार्थ होनी चाहिए, जिससे हम जिन लोगों से मिलते हैं, उनके माध्यम से ईश्वर को हममें कार्य करने की अनुमति मिल सके। हमें दूसरों के साथ रचनात्मक रूप से काम करती हैं और साहसी, प्रतिबद्ध, लचीला और सहयोग के लिए खुली हुई हैं। दया की पुत्रियों के रूप में हम अपने बेघर भाइयों और बहनों की मदद करने के लिए बुलाई गयी हैं, जिनमें बच्चे, युवा, वयस्क और बुजुर्ग शामिल हैं, जो अकेलेपन, परित्याग और अदृश्यता जैसी गरीबी के अन्य रूपों का सामना करते हैं। हमें उन लोगों की तलाश करनी चाहिए जिन्हें भुला दिया गया है और उन्हें व्यावहारिक सहायता प्रदान करनी चाहिए। हम अपने संस्थापकों के प्रति वफादार रहने का प्रयास करती हैं जिन्होंने गरीबों में मसीह की सेवा करने के आह्वान का जवाब दिया।
2023 के दौरान, 97 देशों में मौजूद संत विंसेंट डी पॉल की पुत्रियों के धर्मसमाज ने 400 साल पूरे किए, जब संस्थापिका लुईस डी मारिलैक पहली बार समुदाय की स्थापना के लिए प्रेरित हुई थी। 4 जून 1623 को, पेंतेकोस्त के दिन, संत लुईस डी मारिलैक प्रार्थना करने और पवित्र मिस्सा में भाग लेने के लिए पेरिस में संत निकोलस डेस चैंप्स गिरजाघऱ गई। वह एक पत्नी और मां के रूप में अपने भविष्य के बारे में चिंतित थीं और उन्हें अपने विश्वास पर भी संदेह था। उस दिन, उन्हें समुदाय की स्थापना के संबंध में प्रेरणा मिली, जो "लुमीएर" (रोशनी) के नाम से जाना जाता है। लुईस को अपने पति के साथ रहने की आवश्यकता और दूसरों की सेवा के लिए समर्पित एक छोटे समुदाय में गरीबी, शुद्धता और आज्ञाकारिता की शपथ लेने की आवश्यकता के बारे में स्पष्टता प्राप्त हुई। हालाँकि, अपनी अनेक प्रतिबद्धताओं को देखते हुए, वह नहीं जानती थी कि यह कैसे करना है।
संत लुईस डी मारिलैक को एहसास हुआ कि वह विंसेंट डी पॉल को अपने आध्यात्मिक निदेशक के रूप में स्वीकार करके अपने भाइयों और बहनों की सेवा में एक समुदाय में रह सकेंगी। दस साल बाद, 1633 में, उन्होंने मिलकर दया की पुत्रियों के धर्मसमाज की स्थापना की। गरीबों, बीमार और परित्यक्त बच्चों को समर्पित, धर्मसमाज पेरिस और अन्य क्षेत्रों में फैल गई। आज, पेंतेकोस्त की भावना ब्राज़ील में ‘माइक्रो दा कारिदादे’ जैसी परियोजनाओं में दया की पुत्रियों का मार्गदर्शन करना जारी रखती है।
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