खार्किव, लोगों की प्रतिष्ठा की रक्षा में मदद करती कलीसिया
वाटिकन न्यूज
यूक्रेन, मंगलवार, 23 जनवरी 2024 (रेई) : युद्ध की शुरुआत से लेकर आज तक लगभग हर रोज, खार्किव पर रूसी मिसाइलों से हमले किये जा रहे हैं। कई लोग वहाँ से चले गए हैं, लेकिन कई अभी भी बचे हैं, वे या तो अपना घर नहीं छोड़ना चाहते अथवा अपने बुजुर्ग और बीमार रिश्तेदारों को छोड़कर जाना नहीं चाहते हैं। वाटिकन रेडियो के साथ एक साक्षात्कार में खार्किव -जापोरिजा के लातीनी धर्माध्यक्ष पाओलो होंकारूक ने इस परिस्थिति में लोगों की कठिनाइयों के बारे बात की एवं बतलाया कि युद्ध के इस समय में कलीसिया किस तरह उनकी मदद कर रही है।
लगातार खतरे और तनाव
धर्माध्यक्ष पाओलो ने कहा, “हमारा शहर लगातार बम की चपेट में है। एक सप्ताह पहले दो रॉकोट शहर के बीचोबीच गिरे, जिससे कुछ आवासीय इमारत और स्वास्थ्य देखभाल केंद्र क्षतिग्रस्त हो गये।" उन्होंने बतलाया कि पहले रूसी रात में मिसाइलें छोड़ते थे, आजकल वे शाम को बमबारी करते हैं, जब लोग सड़क पर होते हैं। जिसके कारण तनाव और खतरा का माहौल है। और जब मन लगातार इस स्थिति में रहता है, तो न केवल थकान, बल्कि शून्य की स्थिति भी होती है, क्योंकि जब आप थक जाते हैं तो आप आराम कर सकते हैं, लेकिन जब शून्य की स्थिति आ जाती है, तो ठीक होना बहुत मुश्किल होता है।" बिशप बताते हैं कि यह निरंतर तनाव संवेदना की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है और परिणामस्वरूप, लोगों के बीच संचार की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है, यही कारण है कि कभी-कभी, गलतफहमी, आक्रामक प्रतिक्रियाओं का कारण बन जाती है।”
धर्माध्यक्ष ने बतलाया कि हम बहुत अधिक दबाव में जीते हैं, व्यक्ति जब अकेला रहता है तो यह अलग बात है लेकिन जब उसे अपने बच्चों, पत्नी, माता-पिता अथवा किसी और की देखभाल करनी पड़ती है तो यह बहुत भारी है। यह बहुत थकाऊ और कठिन है, खतरे से खाली नहीं है एवं दुखद भी है। क्योंकि हम लगातार सुन्दर इमारतों को ध्वस्त होते देखते हैं, जिसमें कल तक कोई रहता था एवं बत्तियाँ जलती थीं, दूसरे ही दिन ध्वस्त हो जाते एवं बर्फ से ढक जाते हैं। उन्होंने कहा, “मैं जब इस तरह की इमारतों के बगल से गुजरता हूँ जो बिलकुल खाली एवं सुनसान पड़े हैं, बहुत तीखे विचार आते हैं और लगता है मानो यह मृत्यु का संकेत हो।"
कलीसिया, समुद्र के किनारे एक प्रकाश घर की तरह
खार्किव-जोपोरिज्जा के धर्माध्यक्ष ने जोर दिया कि इन परिस्थितियों में कलीसिया की उपस्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। यह समुद्र के किनारे प्रकाश घर की तरह है, यह प्रकाश का चिन्ह हो सकता है, संकेत देता है कि मदद और बल पाने के लिए किधर देखा जाए। जहाँ एक स्रोत है जिसमें से कोई भी मदद ले सकता है। यह स्रोत प्रभु येसु हैं, जो आत्मा का पोषण करते और हमारी पहचान की आंतरिक भावना को तृप्त करते हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि बाहरी संकट, अन्याय, दर्द और मृत्यु किसी की पहचान की नींव, एक इंसान के रूप में स्वयं की भावना को चोट पहुंचाते हैं। इसके बदले, येसु ख्रीस्त से मिलना, पवित्र संस्कार ग्रहण करना, प्रार्थना करने के लिए गिरजाघर में कुछ समय बिताना, एक व्यक्ति के रूप में अपने मूल्य की इस आंतरिक भावना को मजबूत करता है, जो आनेवाली कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने के लिए एक साधन बन जाता है। होंकारुक आश्वासन देते हैं कि कलीसिया लोगों को मनुष्य, व्यक्ति के रूप में उनकी पहचान को संरक्षित करने और उसे फिर से खोजने में मदद करती है, और उन्हें आगे बढ़ने, अपने पड़ोसियों की रक्षा करने और उनकी सेवा करने का बल देती है। इसलिए, पीड़ित लोगों के बीच कलीसिया की उपस्थिति बहुत महत्वपूर्ण और मूल्यवान है।"
युद्ध के समय में ख्रीस्तीय एकता वार्ता
रूसी आक्रमण के पहले दिन से, यूक्रेन में कलीसिया लोगों को उनकी आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक शक्ति को पुनः प्राप्त करने में मदद कर रही है, और बुनियादी आवश्यकताओं, आश्रय, भोजन, कपड़े, ठंड से आश्रय आदि की आवश्यकता वाले लोगों को ठोस सहायता भी प्रदान कर रही है। यह मिशन विभिन्न ख्रीस्तीय समुदायों को एकजुट कर रहा है, जो कठिन परिस्थितियों के बावजूद, एकता की दिशा में खुद को प्रतिबद्ध करना जारी रखे हुए हैं। 2015 से ही खार्किव के विभिन्न ख्रीस्तीय समुदाय ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना सप्ताह में भाग ले रहे हैं। आमतौर पर, इस अवसर में, वे शहर के गिरजाघरों में बारी-बारी से प्रार्थना करते हैं। युद्ध से चिह्नित यह वर्ष कोई अपवाद नहीं है। हालाँकि, पिछले वर्षों के अनुपात में, यह पहल केवल तीन दिनों तक चली, क्योंकि गिरजाघरों के कुछ प्रतिनिधियों ने शहर छोड़ दिया है। धर्माध्यक्ष पावलो होंकारुक, ग्रीक काथलिक गिरजाघर, रोमन काथलिक गिरजाघर और लूथरन गिरजाघर में प्रार्थना सभाओं के बारे भी बात करते हैं। "हम जिन कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, उनमें ये एकता और खुलापन आपसी सहायता के रूप में तब्दील हो जाता है", उन्होंने रेखांकित किया कि, संयुक्त प्रार्थना सभाओं के अलावा, मानवीय सहायता के क्षेत्र में भी समुदायों के बीच सहयोग होता है, जहां "सभी विभाजन मिट जाते हैं", क्योंकि लोगों को एहसास होता है कि "हमें लोगों की मदद करनी चाहिए और हमें अपने देश की रक्षा में सहयोग करनी चाहिए।"
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