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इराक में ख्रीस्तियों के शहर काराकोश में आग के पीड़ितों के अंतिम संस्कार में शोक मनाते लोग इराक में ख्रीस्तियों के शहर काराकोश में आग के पीड़ितों के अंतिम संस्कार में शोक मनाते लोग  (AFP or licensors)

मध्य पूर्व में शांति के लिए इराक के ख्रीस्तियों द्वारा 'नीनवे उपवास'

इराक के प्राधिधर्माध्यक्ष साको ने ख्रीस्तियों से अपनी वार्षिक प्रार्थना 'नीनवे उपवास' में मध्य पूर्व और दुनिया में शांति एवं स्थिरता को समर्पित करने का आह्वान किया।

वाटिकन न्यूज

काराकोश, गुरुवार, 25 जनवरी 2024 : इराक की खलदेई काथलिक कलीसिया के प्रमुख, प्राधिधर्माध्यक्ष लुईस राफेल साको, इराक, पवित्र भूमि और व्यापक दुनिया में शांति के लिए तीन दिवसीय उपवास प्रार्थना में अपने देश के ख्रीस्तियों का नेतृत्व किया।

हर साल चालीसा के पहले आयोजित होने वाले इस उपवास को सिरिएक ख्रीस्तीय - मध्य पूर्व में केंद्रित प्राचीन समुदायों - द्वारा बाओथा दी 'नीनवे या "नीनवे के लोगों की याचिका" के रूप में जाना जाता है।

"सुलह और भाईचारे के रिश्ते" के लिए प्रार्थना

इस वर्ष, अधिकांश सीरियाई ईसाई 22-24 जनवरी को उपवास रखा।

खलदेई कलीसिया बड़ी सिरिएक कलीसियाओं में से एक है, प्राधिधर्माध्यक्ष साको ने विश्वासियों से "इराक, पवित्र भूमि, यूक्रेन और दुनिया में शांति और स्थिरता के लिए" उपवास करने का आह्वान किया।

प्राधिधर्माध्यक्ष साको जिन्हें संत पापा फ्राँसिस ने 2018 में कार्डिनल बनाया था - ने विश्वासियों से आह्वान किया कि वे विश्व नेताओं को शांति की तलाश करने के लिए प्रेरित करें, युद्ध की नहीं... लेकिन मानवता की भलाई हेतु मेल-मिलाप, भाईचारे के संबंधों, प्रेम और सहिष्णुता की दिशा में फलदायी प्रगति हासिल करने के लिए सर्वशक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना करें।”

"नीनवे लोगों की याचना"

नीनवे उपवास हर साल उन तीन दिनों को चिह्नित करने के लिए आयोजित किया जाता है जो नबी योना ने व्हेल के पेट में बिताए थे। यह नीनवे शहर में उपवास का एक स्मरणोत्सव भी है, जब इसके निवासियों ने योना के पश्चाताप के आह्वान को स्वीकार कर लिया था।

कई सीरियाई ख्रीस्तीय प्रत्येक तीन दिन में आधी रात से दोपहर तक सभी प्रकार के भोजन और पेय से परहेज करते हैं। अन्य लोग पूरी अवधि के लिए मांस या पशु उत्पादों से परहेज करते हैं, या बिल्कुल नहीं खाते हैं।

सिरिएक ख्रीस्तीय समुदाय, जो लैटिन या ग्रीक के बजाय सिरिएक भाषा में ईश शास्तीय और धार्मिक परंपराओं से प्रेरित हैं, ख्रीस्तीय धर्म के शुरुआती दिनों से हैं।

युद्ध और अस्थिरता के कारण मध्य पूर्व में  उनकी पकड़ कमजोर हो गई है, परंतु दक्षिण-पश्चिमी भारत और प्रवासी भारतीयों में बड़े समुदाय हैं।

सिरिएक येसु की भाषा अरामाइक की एक बोली है, जो कभी पूरे क्षेत्र में बोली जाती थी।

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25 January 2024, 15:27