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ल्वीव में हवाई हमले के बाद  लोग धुआं उठते हुए गिरजाधर के पास से गुजर रहे हैं ल्वीव में हवाई हमले के बाद लोग धुआं उठते हुए गिरजाधर के पास से गुजर रहे हैं  (AFP or licensors) कहानी

यूक्रेन सर्दियों की तैयारी कर रहा है, विस्थापितों के लिए कलीसिया का समर्थन जारी है

यूक्रेन में, लोग युद्ध के बीच दूसरी सर्दी की तैयारी कर रहे हैं। बिजली और हीटिंग कटौती के खतरे के अलावा, विस्थापित लोगों के पास घर लौटने की कोई संभावना नहीं है। परिणामस्वरूप, उन्हें अक्सर ग्रीक-काथलिक कलीसिया की मदद से, अपने जीवन को बचाना पड़ता है।

ज़ेवियर सार्त्र द्वारा

ल्वीव, बुधवार 20 दिसंबर 2023 (वाटिकन न्यूज) : ल्वीव के केंद्र से लगभग दस किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में, ब्रिउखोविच के बेसिलियन मठ को शरद ऋतु एक निश्चित तूफान में ढँक लेती है। युद्ध की शुरुआत में एक व्यस्त अवधि के बाद, ग्रीक-काथलिक मठ, गिरजाघर, कॉन्वेंट और गुरुकुल ने अपनी शांति वापस पा ली है।

पहले संघर्ष में, जंगल के किनारे पर स्थित ये, सामने वाली सफेद बड़ी इमारतें एक समय में 140 विस्थापितों को आश्रय देती थीं। आज उनकी संख्या साठ के आसपास ही है। अन्य लोग विदेश चले गए हैं, या आसपास के क्षेत्र में आवास खोजने में कामयाब रहे हैं।

एंड्री, उनकी पत्नी तातियाना, जूलिया, डारिया, विक्टर और फादर फ्रांसिस
एंड्री, उनकी पत्नी तातियाना, जूलिया, डारिया, विक्टर और फादर फ्रांसिस

एंड्री उन लोगों में से एक है जो रुके थे। मूल रूप से देश के पूर्व में डोनेस्क के रहने वाले, गोल चेहरे और मूछ दाढ़ी वाले एंड्री को 2014 में गृहयुद्ध छिड़ने पर क्षेत्र छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। फरवरी 2022 में रूसी आक्रमण के बाद, वह फिर से भाग गया, इस बार अपनी पत्नी तातियाना के साथ, देश के पश्चिम की ओर जा रहा था, जहां वह अपनी बेटी से मिला, जिसे उसकी एक दोस्त ने अपने साथ आयरलैंड ले ली थी। तब से, वह कभी-कभार अपने माता-पिता से मिलने के लिए देश लौटती थी।

एंड्री के लिए अलगाव का दर्द अभी भी बहुत बड़ा है। हालाँकि, रेलवे में नौकरी मिलने के बाद, कम से कम उसके सिर पर छत है, और वह स्थानीय लोगों की एकजुटता पर भरोसा कर सकता है।

वह शर्माते हुए कहते हैं, ''वे हमारे साथ अच्छा व्यवहार करते हैं।'' ''मैंने देखा है कि यहां के लोग अपने घर की तुलना में अधिक उदार हैं; मैं कई उदाहरण दे सकता हूँ। युद्ध से पहले भी, जब हम [देश के दक्षिण-पश्चिम में] पहाड़ों पर आए, तो हमने देखा कि यहां के लोग अलग थे, माहौल का पूर्व से कोई लेना-देना नहीं था।" फिर भी जीवन सरल नहीं है, "मैं चाहूंगा कि मेरी बेटी हमारे साथ आए और हम यूक्रेन के दक्षिण में जाकर रहें, जहां अधिक सूरज है और गर्म है।"

डारिया जोखिम उठाती है और कुछ सवालों के जवाब देने के लिए सहमत होती है। यह युवा महिला, एक छोटी लड़की की मां, यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा स्टेशन और यूक्रेनी और रूसी सैनिकों के बीच भयंकर झड़प के स्थल ज़ापोरिजिया से आई है। उसकी उड़ान की याद आज भी उसके दिल को कचोटती है।

"जब हम अपनी बेटी के साथ निकले तो हम बहुत डरे हुए थे, हमें नहीं पता था कि हम कहां पहुंचेंगे, यूक्रेन में या विदेश में", वह कांपती हुई आवाज में बताती हैं। "हमारे पास केवल छोटा बैग था और कुछ नहीं। स्वयंसेवकों की मदद की बदौलत हम आखिरकार ल्वीव पहुंचे। भाइयों ने हमारा स्वागत किया और हमें रुकने को कहा।"

“यह हमारे लिए आश्चर्य की बात थी,” भावुक होकर, वह आगे कहती है, “केवल इसलिए नहीं कि उन्होंने हमें हमें शरण दी, बल्कि इसलिए भी कि उन्होंने हमें खाना दिया और बात करने का मौका दिया। उन्होंने हमारा समर्थन किया और इसके लिए हम बहुत आभारी हैं। भले ही यह हमारा शहर नहीं है, पर जब हम यूक्रेन में होते हैं तो हमें घर जैसा महसूस होता है।''

बेशक, उसे अपनी पुरानी ज़िंदगी याद आती है: अपना घर, अपना परिवार, अपने दोस्त। क्या वह पश्चिम में रहेगी या ज़ापोरिजिया लौटने की कोशिश करेगी? डारिया को अभी तक पता नहीं है, यह बहुत जल्दी है और देश अभी भी युद्ध में है, उसका शहर अग्रिम पंक्ति के करीब है। उनकी बेटी उनकी खुशी का मुख्य स्रोत है। वह स्कूल जाती है और अपनी उम्र के बच्चों के साथ घुलती-मिलती है, लेकिन सबसे बढ़कर, "उसे अब लड़ाई के कारण होने वाले विनाश को नहीं देखना पड़ता है और उसे बहुत अधिक हवाई हमले नहीं सहने पड़ते हैं।"

दो दुनिया का टक्कर

ल्वीव से कुछ दर्जन किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में, यूनिवर्सिटी लावरा - एक स्टडाइट मठ - कई शताब्दियों से यूक्रेन में आध्यात्मिकता का केंद्र रहा है। ऐतिहासिक इमारत मठवासियों के एक समुदाय का घर हैं जो आम तौर पर बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों का स्वागत करते हैं। यहां भी, युद्ध के पहले हफ्तों में, अराजकता के बीच, रूसी सैनिकों की बढ़त से भागकर सैकड़ों लोग शांति के इस ठिकाने पर एकत्र हुए थे। कभी-कभी वहाँ तीन सौ लोग शरण लिये होते थे। फिर उनकी संख्या धीरे-धीरे कम होने लगी। पिछली गर्मियों में, वहाँ लगभग तीस लोग थे। अब वहाँ वोहलेदर शहर के सिर्फ एक परिवार के लोग रहते हैं, जिनका घर नष्ट हो गया है। बेटा विकलांग और अपाहिज है, और माता-पिता नया घर ढूंढने में असमर्थ हैं, क्योंकि वे मठ में मदद करने के अलावा कोई काम नहीं करते हैं।

विस्थापितों का स्वागत करते हुए मठ के पुरोहित
विस्थापितों का स्वागत करते हुए मठ के पुरोहित

मठवासियों द्वारा, अपने दरवाजे खोलना युद्ध से निर्वासित अपने हमवतन लोगों की दुर्दशा के प्रति एक स्पष्ट प्रतिक्रिया थी। लेकिन यह आसान नहीं था, खासकर पिछली सर्दियों के दौरान, जब देश के बुनियादी ऊर्जा ढांचे पर रूसी बमबारी के कारण कई बिजली कटौती और हीटिंग की कमी थी।

वे अतिरिक्त खर्चों का सामना करने में सक्षम थे, तो यह ज़ुवर डी'ओरिएंट की एकजुटता थी। यह एक फ्रांसीसी चारिटी संगठन है जो 1856 से पूर्व में ख्रीस्तियों और 1924 से यूक्रेन में ग्रीक काथलिकों का समर्थन कर रहा है।

एक स्लोवाकियन फादर जोनास मैक्सिम, जो वर्ष के अंत तक यूनीव लावरा का नेतृत्व करेंगे, स्वीकार करते हैं कि अनुभव ने उन्हें और उनके भाइयों को बदल दिया है।

वह बताते हैं, ''हमारा क्षितिज वास्तव में व्यापक हो गया है, क्योंकि यहां, जो भी लोग आए हैं, उनके साथ हमें पूर्व से यूक्रेनियों को जानने का मौका मिला है।'' ''हमने उनकी मानसिकता, उनकी आदतों का पता लगाया है और समय के साथ यह कुछ दिलचस्प हो गया है: एक तरह से दो दुनिया, जो विभाजित थी, एक साथ आ गई है।”

युद्ध आज भी जेहन में ताज़ा है

अधिकांश विस्थापित लोग पूर्वी यूक्रेन से आए थे, ऑर्थोडोक्स थे और अपने धर्म का बहुत कम पालन करते थे। स्टडाइट समुदाय और उनके मेज़बानों के बीच धीरे-धीरे विश्वास और संवाद विकसित हुआ। पाँच विवाहों का जश्न मनाया गया और छह बपतिस्मा हुए, जिनमें डागुएस्तान की एक मुस्लिम महिला की बेटी का बपतिस्मा भी शामिल था, जिसका विवाह एक ऑर्थोडोक्स यूक्रेनी से हुआ था। वह पहले गिरजा में नहीं जाता था, लेकिन इस ग्रीक-काथलिक मठ में, उसने अपनी छोटी मैरी को बपतिस्मा दिलाने के लिए संकोच नहीं किया।

विस्थापित लोगों की उपस्थिति से स्टडाइट समुदाय के दिनचर्या में अधिक बाधा नहीं हुई। लोग जल्द ही सामान्य कार्य में भाग लेने लगे।

विस्थापितों के बीच एकजुटता

विस्थापितों के लिए आवास ढूंढना अब इतना जरूरी नहीं रह गया है। उनमें से अधिकांश या तो विदेश जाने के लिए देश छोड़ चुके हैं, या देश में कहीं और आवास ढूंढ चुके हैं। केवल सबसे गरीब या अलग-थलग और बिना सहारे वाले लोग ही अस्थायी केंद्रों या मठों में रहते हैं। उनकी प्राथमिकता नौकरी ढूंढना थी ताकि सार्वजनिक सहायता या दान पर निर्भर न रहना पड़े।

इहोर, एक अल्ट्रासाउंड तकनीशियन, को ल्वीव में चेप्टिट्स्की काथलिक अस्पताल द्वारा तुरंत काम पर रखा गया था। वह मारियुपोल से आता है और मार्च 2022 में रूसी सेना द्वारा हफ्तों तक घिरे शहर से भागने में कामयाब रहा। जब वह अपने जैसे पूर्व से एक यूक्रेनी को देखता है, तो वह परामर्श के लिए शुल्क नहीं लेता है।

वे बताते हैं, ''मैं यहां बहुत सारे लोगों से मिलता हूँ जो न केवल मारियुपोल से बल्कि पूरे पूर्व से आते हैं। और हर दिन मैं उनसे यहां चेप्टिट्स्की अस्पताल में मिलता हूँ। मेरे लिए, उनकी मदद करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम- आप एक ही नाव में हैं। उन्हें उन्हीं समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिनका मुझे और मेरे परिवार को सामना करना पड़ता है।"

यह सामूहिक प्रयास में योगदान देने और युद्ध से तबाह अपने हमवतन लोगों का समर्थन करने का उनका तरीका है। हालाँकि प्रत्येक विस्थापित व्यक्ति की कहानी अनोखी है, उनकी इच्छा लगभग एक जैसी है: रूसी सेना के उनके देश छोड़ने के बाद घर लौटने की।

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22 December 2023, 14:48