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जोसेफ और मरियम बालक येसु के साथ मिश्र देश भागते हुए जोसेफ और मरियम बालक येसु के साथ मिश्र देश भागते हुए 

क्रिसमस 2023 : वार्ता एवं मानव प्रतिष्ठा के द्वारा शांति की तलाश

येसु का जन्म भय और अनिश्चितता की छाया से अंधेरी दुनिया में आशा का सबसे शक्तिशाली संकेत और संदेश है। वाटिकन रेडियो ने धर्मगुरूओं और ख्रीस्तीय परोपकारी संगठनों के प्रमुखों से क्रिसमस 2023 के लिए, "प्रभु का जन्म शांति का जन्म है" विषय पर उनके विचार मांगे हैं। आज का संदेश अंतरराष्ट्रीय काथलिक आप्रवासी आयोग के महासचिव मोनसिन्योर रॉबर्ट भितिल्ल की ओर से है।

वाटिकन न्यूज

वे कहते हैं, मेरा गहरा विश्वास है कि मसीह हमारी शांति हैं, फिर भी ऐसे बहुत से लोग हैं जो शांति के बिना जी रहे हैं और उसके लिए संघर्ष कर रहे हैं।

इस वर्ष मैंने दो बार कोलम्बिया की यात्रा की, और हम सीमा पर इक्वाडोर एवं कोलम्बिया तथा वेनेजुएला की सीमा के दोनों ओर के धर्माध्यक्षों से मिले। इक्वाडोर के रास्ते पर, हमने बहुत से लोगों को पहाड़ों पर चलते देखा, बूढ़े, विकलांग, गर्भवती महिलाएँ, और बच्चों को ले जानेवाली महिलाएँ, एवं पुरुष जो कुछ भी अपने साथ ला सकते थे उसे खींचने की कोशिश करते दिखे।

और यह मुझे स्पेनिश और लैटिन अमेरिकी परंपरा लास पोसाडास की याद दिलाता है, जहां स्पेन के एक गाँव और पूरे लैटिन अमेरिका में लोग एक साथ इकट्ठा होते हैं और गांव के विभिन्न लोगों के दरवाजे खटखटाते हैं। एक एक कर, उन्हें अस्वीकार कर दिया जाता है, ठीक उसी तरह जिस तरह मरियम और जोसेफ को अस्वीकार कर दिया गया था। लेकिन फिर अंततः एक निर्दिष्ट परिवार, दरवाजा खोलता है और पूरा दल एक साथ अंदर आता है एवं प्रार्थना करता है और उसके बाद वे एक साथ खुशी मनाते हैं।

मुझे लगता है कि हमें इसे याद रखने की जरूरत है कि येसु और मरियम बेघर थे। और न केवल येसु के जन्म की रात वे बेघर रहे, बल्कि येसु के खिलाफ हेरोद की धमकियों के कारण वे जल्द ही शरणार्थी बन गए। इसलिए हमें यह देखने की आवश्यकता है कि येसु पीड़ा, बुराई की स्थिति में आए, फिर भी वे हमारे लिए प्रकाश, आशा और शांति लाए।

मुझे बहुत से शरणार्थियों में आशा और शांति दिखाई देती है जो ईश्वर का दान है जो उनकी प्रतिष्ठा को बनाए रखते और तब तक संघर्ष जारी रखते हैं जब तक कि वे और उनके बच्चे सम्मानजनक जीवन जीने में सक्षम नहीं हो जाते।

और अगले साल के लिए आपकी क्या उम्मीद है...?

खैर, निश्चित रूप से मैं शांति की आशा करता हूँ। लेकिन इस दुनिया में इतनी सारी परिस्थितियाँ हैं कि शांति संभव नहीं लगती, लेकिन मेरा मानना है कि ईश्वर हमें शांति पाने में मदद करेंगे बशर्ते कि हम एक-दूसरे के साथ बातचीत करना और एक-दूसरे की गरिमा का सम्मान करना सीख जाएँ।

साथ ही, मुझे उम्मीद है कि हमारा संगठन, अंतर्राष्ट्रीय काथलिक आप्रवासन आयोग, लोगों को सम्मान दिलाना जारी रख सकेगा और मानसिक स्वास्थ्य परामर्श एवं सेवाओं के माध्यम से उनकी भौतिक और भावनात्मक जरूरतों को पूरा करना शुरू करेगा, जिन्हें हम दुनिया के कई हिस्सों में प्रायोजित करते हैं।

और फिर उनकी प्रेरितिक जरूरतें, ईश्वर में अपने विश्वास को बनाए रखने की उनकी आध्यात्मिक भूख और आशा कि ईश्वर उनके जीवन को बेहतर बनाने में उनकी मदद करेंगे।

अंत में, यदि कोई अपील हो तो आप कर सकते थे...?

खैर, मुझे फिर लगता है कि यह कहना होगा कि अपील शांति के लिए है, बातचीत के लिए है। मैं देख रहा हूँ कि बहुत से देश किसी भी बातचीत के लिए दरवाजे बंद कर रहे हैं।

यूक्रेन पर दूसरे आक्रमण के बाद से पिछले दो वर्षों में मैंने यूक्रेन में काफी समय बिताया है। और यह देखकर बहुत दुःख होता है कि लोग लगातार कष्ट झेल रहे हैं, विस्थापित हो रहे हैं। देश में 60 लाख लोग विस्थापित हैं, इसके अलावा यूक्रेन के 70 लाख लोग अन्य देशों में शरणार्थी हैं।

इसलिए मुझे आशा है कि हम शांति में पा सकते हैं, एक-दूसरे का सम्मान करना सीख सकते हैं तथा क्षमा करना भी सीख सकते हैं।

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26 December 2023, 15:10