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फादर हंस-जोआकिम लोहरे 27 नवम्बर को बंधकों से मुक्त हुए फादर हंस-जोआकिम लोहरे 27 नवम्बर को बंधकों से मुक्त हुए 

माली : एक वर्ष बंधक रहने के बाद रिहा हुए जर्मन मिशनरी

जर्मनी में जन्मे मिशनरी फादर हंस-जोआकिम लोहरे को माली में अल-कायदा से जुड़े चरमपंथियों के हाथों बंधक के रूप में एक साल रहने के बाद रिहा कर दिया गया है।

वाटिकन न्यूज

अफ्रीका में जर्मन मिशनरी फादर हंस-जोआकिम लोहरे को माली में एक साल से अधिक समय तक चरमपंथियों द्वारा हिरासत में रखने के बाद रिहा कर दिया गया है।

वाटिकन की फिदेस समाचार एजेंसी के अनुसार, 66 वर्षीय पादरी तीन दशक से अधिक समय से देश में रह रहे थे जिनका नवंबर 2022 में अपहरण हो गया था।

फ्रांसीसी प्रसारक "आरएफआई" ने भी मिशनरी की रिहाई पर रिपोर्ट दी है हालाँकि, बर्लिन ने अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।

रिहाई

फिदेस ने गौर किया कि फादर लोहरे की रिहाई के आसपास की परिस्थितियाँ "स्पष्ट नहीं हैं।"

उनकी रिहाई, जो रविवार को हुई, इसकी घोषणा माली की सरकार के एक प्रतिनिधि और कलीसिया के दो अधिकारियों ने की।

जाहिर तौर पर, इस पर सीधे जर्मन सरकार ने बातचीत की, जो उन्हें एक विशेष उड़ान से सीधे देश वापस ले गई।

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन, एमआईएनयूसीएमए के हिस्से के रूप में जर्मनी के पास अभी भी माली में एक सैन्य दल है। देश की सेना के अनुरोध के अनुसार, वर्ष के अंत में इसे चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया जाएगा, जिसने 2020 में तख्तापलट करके सत्ता संभाली थी।

सेवा और अपहरण

माली में अपने तीस वर्षों के दौरान, फादर लोहरे - जिसे स्थानीय रूप से "हा-जो" के नाम से जाना जाता है - ने देश के इस्लामिक-ख्रीस्तीय प्रशिक्षण संस्थान (आईएफआईसी) में काम किया था और हमदल्लाये में विश्वास और मुलाकात केंद्र के निदेशक रहे थे।

उनका अपहरण तब हुआ था जब वे कलाबन कुरा में धर्मबहनों के समुदाय में पवित्र मिस्सा अर्पित कर रहे थे।

फिदेस का कहना है कि राजनयिक और सुरक्षा सूत्र उनके लापता होने का श्रेय अल-कायदा से जुड़े इस्लाम और मुस्लिम सहायता समूह, या जेएनआईएम को देते हैं।

सहायता कर्मी जोर्ग लैंग के बाद, फादर लोहरे एक साल से भी कम समय में साहेल में रिहा होनेवाले दूसरे जर्मन हैं, जिनका 11 अप्रैल 2018 को पश्चिमी नाइजर में अपहरण कर लिया गया था और उन्हें दिसंबर 2022 में रिहा किया गया था।

फिदेस के अनुसार, कई विदेशी बंधकों को अभी भी साहेल में रखा गया है।

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28 November 2023, 14:12