धर्मसभा प्रतिभागियों के आध्यात्मिक साधना में रविवारीय मिस्सा समारोह
वाटिकन न्यूज
साक्रोफनो, शनिवार 7 अक्टूबर 2023 (वाटिकन न्यूज) : धर्माध्यक्षों के धर्मसभा की सोलहवीं साधारण महासभा में भाग लेने से पहले रोम स्थित साक्रोफनो के फ्रतेर्ना दोमुस में आध्यत्मिक साधना कर रहे धर्मसभा के सदस्यों, भाईचारे के प्रतिनिधियों और विशेष आमंत्रित लोगों के लिए 1 अकटूबर रविवार शाम को कनाडा के धर्माध्यक्ष रेमंड पॉइसन ने पवित्र मिस्सा का अनुष्ठान किया और प्रवचन दिया।
धर्माध्यक्ष रेमंड ने अपना प्रवचन एक प्रश्न से शुरु कियाः क्या आपने कभी किसी बच्चे को मेज या कुर्सी के सामने अकेले चलना सीखते देखा है? चलना सीखने के लिए, एक बच्चे को किसी की ज़रूरत होती है, एक व्यक्ति जिसे वह प्यार करता है और एक व्यक्ति जो उससे प्यार करता है। यह व्यक्ति सामने झुककर, अपने खुले हाथों से बारंबार कहता है: आओ, आओ, डरो मत; सब कुछ ठीक हो जाएगा! और अपने जीवन में पहली बार, अपने दो छोटे पैरों पर खड़ा होकर, बच्चा इस व्यक्ति की ओर दौड़ता है। निश्चित रूप से वह गिरेगा; लेकिन वह जानता है कि वह उस व्यक्ति की बाहों में गिर जाएगा जिसे वह प्यार करता है और जो उससे प्यार करता है। खुश होकर, प्रोत्साहित बच्चा बिना किसी डर के, फिर से शुरुआत करेगा, जब तक कि वह सफल न हो जाए। फिर आप उसे रोक नहीं पाएंगे।
यह शिक्षणविधि स्वयं ईश्वर, हमारे सृजनहार की है जिसने हमें अपनी गोद ली हुई संतान बनाया है। क्रूस पर अपनी बाहों को फैलाए येसु में स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाले, ईश्वर हमसे कहते हैं: आओ, आओ, डरो मत! आगे आओ! इस जीवनदायी साहसिक कार्य में, हर बार जब हम गिरते हैं, ई्श्वर दया से भरी अपनी बाहों से हमें पकड़ने के लिए मौजूद होते हैं और क्योंकि ईश्वर सच्चा पश्चाताप वाला प्रेम है और कोई भी दोष उसकी कोमलता का विरोध नहीं कर सकता। जीवन और मुक्ति का मार्ग सदैव खुला रहता है। वह उस पहले पुत्र की बात पर ध्यान नहीं देता है जो अपने पिता की दाखबारी में काम करने से इन्कार करता है।' (मत्ती 21:28-29) धर्माध्यक्ष रेमंड ने कहा, पिता के वचनों पर विश्वास करें और अपना विकल्प बदलें: उसी क्षण से, दाखबारी में काम करना शुरू करें।
ईश्वर की इच्छा है कि उसकी ओर से आने वाली दया की यह प्रवृत्ति और शिक्षणविधि हम सभी के बीच मौजूद और सक्रिय रहे। प्रेरित संत पौलुस, फिलिप्पियों को लिखते हैं: आत्मा में सहभागिता, हार्दिक अनुराग तथा सहानुभूति का कुछ अर्थ हो, तो एकचित्त, एकहृदय तथा एकमत होकर प्रेम के सूत्र में बंध जायें।" (फिलि 2:1-2)। हमारे बीच साझा की गई, ईश्वर की दया एकता को जन्म देती है और ईश्वर के राज्य के बीजों को इसमें शामिल करके दुनिया को बदल देती है। यह कलीसिया में संभव है क्योंकि इसी तरह से हम हर उम्र में एक-दूसरे के साथ चलना सीखते हैं, हमारे बहनों और भाइयों को धन्यवाद जो गिरने की परवाह किए बिना हमारे लिए अपनी बाहें खोलते हैं।
दुनिया के लिए उसे समझना मुश्किल है जो खुद से कहता है: "प्रभु का व्यवहार न्यायसंगत नहीं है।" (एजेकिएल 18:25) दुनिया को एक ऐसी कलीसिया को देखने की ज़रूरत है जो एकता के प्रति वफादार रहे। इसलिए, एकता की खोज को दिन प्रति दिन अभ्यास में लाना चाहिए। हम जो धर्मसभा कर रहे हैं वह एक स्कूल की तरह है जिसमें हम एक दूसरे को सुनना सीखते हैं, एक ऐसा स्थान जहां कलीसिया संत पौलुस के शब्दों को सुनती है: "आप अपने मनोभावों को ईसा मसीह के मनोभावों के अनुसार बना लें।" (फिलि. 2:5) आइए, हम क्रूसित प्रभु की तरह खुली बांहों वाली एक कलीसिया बनें और दुनिया के लिए ईश्वर के प्यार के सच्चे गवाह बनें।
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