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पवित्र भूमि की कलीसियाएँ ख्रीस्तीय एकता का साक्ष्य दे रही हैं

दुनियाभर के ख्रीस्तीयों ने जब 27 अक्टूबर को शांति के लिए प्रार्थना, उपवास और तपस्या में भाग लिया, बेल्जियम के मिशनरी फादर फ्रैंस बाउवेन ने इजराइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध के संदर्भ में प्रार्थना के महत्व के बारे में वाटिकन न्यूज़ से बातें कीं और कहा कि दशकों की पीड़ा ने पवित्र भूमि के विभिन्न ख्रीस्तीय समुदायों को एक-दूसरे के करीब ला दिया है।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, शनिवार, 28 अक्तूबर 2023 (रेई) : दुनियाभर के ख्रीस्तीयों ने जब 27 अक्टूबर को शांति के लिए प्रार्थना, उपवास और तपस्या में भाग लिया, बेल्जियम के मिशनरी फादर फ्रैंस बाउवेन ने इजराइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध के संदर्भ में प्रार्थना के महत्व के बारे में वाटिकन न्यूज़ से बातें कीं और कहा कि दशकों की पीड़ा ने पवित्र भूमि के विभिन्न ख्रीस्तीय समुदायों को एक-दूसरे के करीब ला दिया है।

"पल्ली और धर्मसमाजी समुदाय पहले से ही हर दिन शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि इस दिन हम पूरे ख्रीस्तीय समुदाय की प्रार्थना में एकजुट महसूस करें।"

बेल्जियम के मिशनरी और अफ्रीका के मिशनरी फादर फ्रैंस बाउवेन, जो पचास वर्षों से अधिक समय से येरूसालेम में काम कर रहे हैं, उन्होंने पवित्र भूमि से उस परिप्रेक्ष्य की पेशकश की, जहाँ वे सक्रिय रूप से अंतरधार्मिक और ख्रीस्तीय एकतावर्धक संवाद में लगे हुए हैं और 1969 से 2015 तक प्रसिद्ध पत्रिका "प्रोचे-ओरिएंट चेरेतिएन" का निर्देशन किया है।”

शांति का पक्ष

वाटिकन न्यूज के डेल्फ़िन अल्लायर के साथ एक साक्षात्कार में, फादर बाउवेन ने उसी दिन बात की जिस दिन संत पापा ने शांति के लिए प्रार्थना, उपवास और तपस्या के दिन की घोषणा की थी।

उन्होंने कहा, प्रार्थना का यह दिन "हिंसा से पीड़ित सभी लोगों के साथ शामिल होने का चिन्ह है, और विशेष रूप से, इस समय, गाजा के छोटे ख्रीस्तीय समुदाय के साथ।

ख्रीस्तीय एकता का साक्ष्य

मिशनरी के अनुसार, मौजूदा युद्ध ने पवित्र भूमि की 13 कलीसियाओं को और भी करीब ला दिया है।

उन्होंने बताया कि 7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद, युद्ध छिड़ने से, येरूसालेम के प्राधिधर्माध्यक्षों और कलीसियाओं के प्रमुखों के बीच बैठकें तेज हो गई हैं, और सभी ख्रीस्तीय गाजा पट्टी में रहनेवाले अपने भाइयों और बहनों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।

यह एकजुटता विशेष रूप से 19 अक्टूबर को, संत पोर्फिरियोस गिरजाघर के ग्रीक ऑर्थोडॉक्स परिसर पर इजरायली हवाई हमले के बाद व्यक्त की गई थी।

फादर बाउवेन ने कहा, "कलीसियाओं ने एक आवाज में बोलने की कोशिश की है। दुःख या संघर्ष अक्सर विभाजित होते हैं, यहाँ वे एकजुट होते हैं। यह साक्ष्य और सामान्य सेवा की सार्वभौमिकता है।"

यह पूछे जाने पर कि क्या, उनकी राय में, पवित्र भूमि में ख्रीस्तीयों का भविष्य खतरे में है, बेल्जियम मिशनरी ने टिप्पणी की कि क्षेत्र में ख्रीस्तीय उपस्थिति "मेल-मिलाप और शांति के एक स्रोत" के रूप में भी आवश्यक है।

"उनकी उपस्थिति से ख्रीस्तीय हमारे मुस्लिम और यहूदी भाइयों के बीच संबंधों को सुगम बना सकते हैं, जो उनके बिना अधिक कठिन होगा।"

पवित्र भूमि में एक साथ रहने सीखना

"असीसी की भावना" (इटली में संत फ्राँसिस का शहर जहाँ पोप जॉन पॉल द्वितीय ने 27 अक्टूबर 1986 को पहली बड़ी अंतरधार्मिक सभा बुलाई थी) में अंतरधार्मिक संवाद का उल्लेख करते हुए, फादर बाउवेन ने टिप्पणी की कि "एक साथ रहना और एक भाईचारा पूर्ण देश के निर्माण के लिए पारस्परिक स्वीकृति" अब धार्मिक संवाद से भी अधिक महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, “यह येरूसालेम में जो एक पवित्र शहर जिसे ख्रीस्तीय एकता का प्रतीक कहा जाता है और जो, आज, विरोधाभास का संकेत है, विशेष रूप से सच है।”

युद्ध के बीच आशा के संकेत के रूप में कलीसिया की भूमिका

तीन महान एकेश्वरवादी धर्मों (ख्रीस्तीय, यहूदी और इस्लाम धर्म) के घर, येरूसालेम और पवित्र भूमि की विशिष्टता को याद करते हुए, मिशनरी ने अशांत क्षेत्र में आशा और शांति के संकेत होने के लिए ख्रीस्तीय कलीसियाओं के महत्व पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, “हम खुद को अपनी जड़ों से नहीं काट सकते। इसका मतलब यह नहीं है कि ख्रीस्तीयों को येरूसालेम पर कब्ज़ा करना चाहिए। हमें केवल उपस्थित रहने, अपने भाइयों और बहनों के बीच रहने, तीर्थयात्रियों का स्वागत करने और इस प्रकार सार्वभौमिक कलीसिया के लिए एक संकेत, आशा का चिन्ह बनने में सक्षम होने की आवश्यकता है।"

 

 

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28 October 2023, 15:44