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कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो राँची के ससम्मान सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष का निधन कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो राँची के ससम्मान सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष का निधन 

राँची के सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो का निधन

राँची के ससम्मान सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो ने बुधवार को दोपहर 3:45 बजे माण्डर के कॉन्सटंट लीबंस अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे 84 साल के थे और लम्बे समय से बीमार चल रहे थे।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

राँची, बुधवार, 4 अक्तूबर 2023 (वीएन हिन्दी) : राँची के सहायक धर्माध्यक्ष थेओदोर मसकरेनहास एस.एफ.एक्स ने 4 अक्टूबर को स्वर्गीय कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो के निधन की जानकारी दी।

उन्होंने बुधवार को एक शोक समाचार जारी कर कहा, बड़े दुःख के साथ “महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो एस. जे. और रांची महाधर्मप्रांत आपको सूचित करते हैं कि ससम्मान सेवानिवृत कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो, जो काफी समय से बिस्तर पर थे, 4 अक्टूबर 2023 को दोपहर 3:45 बजे कॉन्स्टेंट लिवन्स अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर, माण्डर में उनका निधन हो गया। वे 84 साल के थे। दफन क्रिया की तिथि बाद में बतायी जायेगी।”

धर्माध्यक्ष थेओदोर मसकरेनहास ने स्वर्गीय कार्डिनल टोप्पो की आत्मा की अनन्त शांति के लिए प्रार्थना करते हुए लिखा, “ईश्वर उन्हें अपनी दाखबारी में काम करने के लिए अनन्त पुरस्कार प्रदान करें। आइये, हम एक साथ प्रार्थना करें और याचना करें कि प्रभु उनके सभी प्रियजनों और सगे संबंधियों को सांत्वना और दिलासा प्रदान करें। उनपर अनन्त प्रकाश की रोशनी चमके। सेवानिवृत कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो को अनन्त शांति मिले।”

कार्डिनल टोप्पो 8 नवम्बर 1984 से 24 जून 2018 (सेवानिवृत होने तक) तक राँची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष रहे।

कार्डिनल तेलेस्फोर प्लासिदियुस टोप्पो का जन्म 15 अक्टूबर 1939 में गुमला के चैनपुर के सुदूरवर्ती झाड़गांव गुमला में हुआ था। उनके पिता अंब्रोस टोप्पो व माता सोफिया खलखो थी। 10 भाई-बहन में से कार्डिनल पी. टोप्पो आठवें नंबर पर थे।

बेल्जियन मिशनरी फादर कॉन्सटंट लीबंस के जीवन से प्रेरित होकर उन्होंने पुरोहिताई जीवन अपनाया। संत जेवियर कॉलेज रांची से अंग्रेजी में स्नातक की डिग्री हासिल की। रांची यूनिवर्सिटी से इतिहास में एमए की पढ़ाई पूरी की। दर्शनशास्त्र की पढ़ाई संत अल्बर्ट कॉलेज रांची में जारी रखी। ईशशास्त्र और लाईसेंसेट की पढ़ाई उन्होंने रोम के उर्बानियन यूनिवर्सिटी से पूरी की थी।

पढ़ाई के बाद 3 मई 1969 को राँची महाधर्मप्रांत के पुरोहित के रूप में स्वीटजरलैंड में उनका पुरोहिताभिषेक हुआ था। पुरोहिताभिषेक के बाद वे संत जोसेफ हाई स्कूल तोरपा के प्राध्यानाध्यपक नियुक्त हुए जहाँ उन्होंने पुरोहित उम्मीदवारों के लिए अपोस्तोलिक स्कूल, लीबंस बुलाहट केंद्र की स्थापना की। 1976 में वे राँची के माईनर सेमिनरी के रेक्टर एवं महाधर्माध्यक्ष के सचिव नियुक्त हुए। इस पद पर उन्होंने धर्माध्यक्ष नियुक्त होने तक सेवा दी।

8 जून 1978 को संत पापा पौल छठवें ने उन्हें दुमका का धर्माध्यक्ष नियुक्त किया, जब वे सिर्फ 38 साल के थे। धर्माध्यक्ष के रूप में उनका आदर्शवाक्य था, “प्रभु का मार्ग तैयार करो।”   

8 नवम्बर 1984 को संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने उन्हें राँची के सहायक महाधर्माध्यक्ष नियुक्त किया था। जो 7 अगस्त 1985 को राँची के महाधर्माध्यक्ष बने और उसी साल छोटानागपुर के प्रेरित फादर कॉन्सटंट लीबंस येसु समाजी के छोटानागपुर आगमन की 100वीं जयन्ती मनायी।

21 अक्टूबर 2003 को संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने उन्हें कार्डिनल नियुक्त किया। जिसके बाद उन्होंने क्रमशः 2005 और 2013 के कॉन्क्लेव (पोप चुनाव) में भाग लिया। दो बार भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष (2001-2004 और 2011 - 2013) रहे। 

3 फरवरी 1986 को उन्होंने पोप जॉन पौल द्वितीय का भारत में स्वागत किया था।

उन्होंने कई वर्षों तक एशिया के आदिवासी लोगों के लिए मार्गरेट वीसर फाउंडेशन के सलाहकार बोर्ड, इंडो-जर्मन सोशल सर्विस कॉरपोरेशन के प्रबंधन निकाय, सीसीबीआई के कुछ आयोगों और राष्ट्रीय शिक्षा समूह के सदस्य के रूप में भी काम किया। इसके अलावा, उन्होंने छोटानागपुर काथलिक मिशन को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी के अध्यक्ष बनकर आर्थिक सहायता का भी काम किया। रांची में रहते हुए वे काथलिक चैरिटी संस्थाओं के अध्यक्ष, सर्व धर्म मिलन परिषद के समर्थक, झारखंड अंत्योदय पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट और नागरिक मंच के ट्रस्टी बने।

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04 October 2023, 15:36