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पाकिस्तानी ख्रीस्तीय हमले का विरोध करते हुए पाकिस्तानी ख्रीस्तीय हमले का विरोध करते हुए  (ANSA)

केरल की कलीसिया ने ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा के खिलाफ यूएन से कार्रवाई की मांग की

केरल के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (केसीबीसी) ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की है कि सांप्रदायिक भीड़ के हमलों से भारत और पाकिस्तान के ख्रीस्तीयों की सुरक्षा हेतु निर्णायक कार्रवाई करे जो दोनों देशों में बढ़ रहे हैं।

वाटिकन न्यूज

केरल, बुधवार, 23 अगस्त 2023 (रेई) : पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के जरानवाला में ख्रीस्तीय घरों और गिरजाघरों पर हाल ही में भीड़ के हमलों और पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर राज्य में ख्रीस्तीयों को निशाना बनाकर सांप्रदायिक अशांति के मद्देनजर, केरल के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (केसीबीसी) ने दोनों देशों में बार-बार होनेवाले ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप की अपील की है।

काथलिक संस्था ने एक बयान में कहा, "भारत और पाकिस्तान में ख्रीस्तीय तेजी से दंगों और भीड़ के हमलों के निशाने बन रहे हैं।"

मणिपुर में सांप्रदायिक हिंसा

भारत सरकार की लंबी चुप्पी के बीच, सांप्रदायिक हिंसा, जो मुख्य रूप से आदिवासी जातीय कुकी ख्रीस्तियों को लक्षित करती है, तीन महीने से अधिक समय से मणिपुर राज्य को अपनी चपेट में ले रही है, जिसमें लगभग 200 लोगों की जान चली गई है और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। दंगों के दौरान महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के एक दर्जन से अधिक मामले सामने आए हैं, जिसके कारण सैकड़ों गिरजाघर और स्कूलों सहित अन्य ख्रीस्तीय संस्थानों को जला दिया गया है।

जरानवाला में ख्रीस्तीयों के खिलाफ हमले

कुरान के अपमान के झूठे आरोपों के बाद, 16 अगस्त को पाकिस्तान के जरानवाला में मुस्लिम भीड़ द्वारा 80 से अधिक ख्रीस्तीय घरों और 19 गिरजाघरों में कथित तौर पर तोड़फोड़ की गई। हमलों के मद्देनजर, 20 अगस्त को पूरे पाकिस्तान में काथलिक समुदायों ने पीड़ितों के साथ प्रार्थना और एकजुटता का एक विशेष दिन रखा।

यह हिंसा पाकिस्तान में ख्रीस्तीयों के खिलाफ हमलों की एक लंबी श्रृंखला में नवीनतम है। भेदभाव के अलावा, ख्रीस्तीय अत्यधिक विवादास्पद ईशनिंदा कानूनों के दुरुपयोग द्वारा नियमित रूप से पीड़ित होते हैं, जिसमें कथित तौर पर इस्लाम और पैगंबर को अपमानित करने या बदनाम करने के लिए व्यक्तियों को दंडित किया जाता है।

सांप्रदायिकता और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण

1.4 अरब आबादी वाले भारत में हिन्दूओं की बहुलता है और लगभग 2.3 प्रतिशत ईसाई हैं। वहीं मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में ख्रीस्तीय आबादी 1.5 प्रतिशत है।

अपने एक बयान में केरल के काथलिक धर्माध्यक्षों ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की कि वह भारत और पाकिस्तान में ख्रीस्तीयों के साथ हो रहे इस प्रकार के हमलों को रोकने के लिए निर्णायक कार्रवाई करे।

केसीबीसी के प्रवक्ता फादर जेकब जी पालक्कपिल्ली ने उका न्यूज से कहा, “यह खेदजनक है कि पाकिस्तान में बहुसंख्यक आबादी [मुसलमान] निराधार आरोपों के आधार पर अल्पसंख्यक ख्रीस्तीय समुदाय पर हमला कर रही है।''

उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट है कि आतंकवादी आंदोलन किसी भी राष्ट्र में सांप्रदायिकता और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देते हैं। अपने घृणित अभियानों के माध्यम से, वे दंगे फैलाते हैं जो लाखों लोगों को भागने के लिए मजबूर करते हैं क्योंकि वे असुरक्षित महसूस करते।''

केसीबीसी प्रवक्ता ने कहा कि अधिकांश लोग हमले एवं अत्याचार का सामना इसलिए करते हैं क्योंकि वे ख्रीस्तीय हैं जिनकी संख्या कई देशों में कम है।

ख्रीस्तीयों के खिलाफ उत्पीड़न पर नजर रखनेवाली एक विश्वव्यापी संस्था, नई दिल्ली स्थित यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इस साल की पहली छमाही में ख्रीस्तियों के खिलाफ लक्षित हमलों की 400 घटनाएँ दर्ज की गईं हैं। 2022 में इसी अवधि के दौरान 274 दर्ज किए गए। उनमें से अधिकांश को धर्म-परिवर्तन के झूठे आरोपों के तहत निशाना बनाया गया था, जिसे कई भारतीय राज्यों में अपराध घोषित कर दिया गया है। केसीबीसी ने कहा, धर्मांतरण विरोधी कानून, "हिंदू समर्थक समूहों के लिए ख्रीस्तीयों को निशाना बनाने का एक उपकरण बन गया है।"

22 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित, धर्म एवं आस्था के आधार पर हिंसा के शिकार लोगों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। इसकी घोषणा 2019 अगस्त को हुई थी और हरेक साल मनाया जाता है। इसका उद्देश्य धर्म मानने या आस्था की स्वतंत्रता के अधिकार का समर्थन करना।  

अंतर्राष्ट्रीय दिवस की घोषणा करके संयुक्त राष्ट्र महासभा ने याद दिलाया कि राज्यों की मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने की प्राथमिक जिम्मेदारी है, जिसमें धार्मिक अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार भी शामिल हैं, जिसमें उनके धर्म या विश्वास का स्वतंत्र रूप से पालन करने का अधिकार भी शामिल है।

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23 August 2023, 16:08