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पवित्र मिस्सा में निष्कलंक माता मरिया की मिशनरी धर्मबहनों ने भाग लिया पवित्र मिस्सा में निष्कलंक माता मरिया की मिशनरी धर्मबहनों ने भाग लिया  (© Archivio MdI, in Creative Commons)

एक मिशन करने से लेकर एक मिशन बनने तक

मैं निष्कलंक माता मरिया की मिशनरी धर्मबहनों के धर्मसमाज (एमएसआई) का सदस्य हूँ। मैं पीआईएमई करिश्मा के मिशनरी आयाम से आकर्षित थी इस कारण से मैं उनसे जुड़ गयी और मुझे लगता है कि यह मिश्नरी आयाम हर समय और स्थान के लिए प्रासंगिक है।

पीआईएमई की एक निष्कलंक माता मरिया की मिशनरी धर्मबहन द्वारा

शुक्रवार, 28 जुलाई 2023 (वाटिकन समाचार) : जुलाई 1982 से, मेरी मिशनरी यात्रा ने मुझे भारत के महाराष्ट्र मेरे गृहनगर से आंध्र प्रदेश, फिर भारत के विभिन्न राज्यों और अंततः उत्तरी अफ्रीका में एक मिशनरी धर्मबहन के रूप में वहां ले गई है। लेकिन एक मिशनरी होने की मेरी समझ भी एक यात्रा से गुज़री है, करने से होने तक एक आदर्श बदलाव; धार्मिक से लेकर साधारण पोशाक तक; बड़े संगठित मंत्रालयों से लेकर व्यक्तिगत या छोटे समूहों तक; विशाल पल्लियों से लेकर केवल एक धार्मिक समुदाय तक। इन परिवर्तनों ने मुझे अपने व्यवसाय और मिशन के सही अर्थ और प्रासंगिकता पर विचार करने पर मजबूर कर दिया है।

हमारे केंद्र में छुट्टियों के दौरान बच्चों के साथ हस्त कला गतिविधियाँ।
हमारे केंद्र में छुट्टियों के दौरान बच्चों के साथ हस्त कला गतिविधियाँ।

उत्तरी अफ़्रीका, मेरा मिशन

उत्तरी अफ्रीका में धर्मबहनें 2009 से मौजूद हैं। समय के साथ हमारी उपस्थिति बढ़ी है और अब हमारे पास चार समुदाय हैं। अगस्त 2014 में, हमने अपने धर्मप्रांत में एक बहुक्रियाशीलता (मल्टीएक्टिविटी) सेंटर खोला। अब, हम में से चार लोग स्थानीय अनुप्राणदाताओं के साथ विभिन्न गतिविधियों में सहयोग करते हैं - सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, खाना बनाना, एरोबिक्स और योग, मुख्य रूप से महिलाओं के लिए। एक बहन कढ़ाई कक्षाओं में लगी हुई है जिसमें सीखने में कठिनाई वाली कुछ युवा लड़कियाँ भी भाग लेती हैं। हम छुट्टियों के दौरान बच्चों के लिए पाठ्येतर गतिविधियाँ प्रदान करते हैं। एक और धर्मबहन कुछ ऑटिस्टिक बच्चों की देखभाल करती है।

मल्टीएक्टिविटी सेंटर में महिलाएं कढ़ाई परियोजनाओं पर काम कर रही हैं
मल्टीएक्टिविटी सेंटर में महिलाएं कढ़ाई परियोजनाओं पर काम कर रही हैं

जेल प्रेरिताई

एक स्वयंसेवक के साथ, मैंने 21 सितंबर 2020 को, जो हमारी संस्थापकों में से एक, मदर इगिल्डा की पुण्यतिथि के दिन, एक जेल का दौरा करना शुरू किया, जहां 2,000 से अधिक लोग थे। हमने अन्य अफ्रीकी देशों के सोलह लोगों से मुलाकात की जिनके पास अपने दूर के परिवारों के संपर्क में रहने की कोई संभावना नहीं थी।

फरवरी 2021 में, दो कैदियों को अन्य जेलों से स्थानांतरित कर दिया गया, जिनका दो साल से अपने परिवारों से कोई संपर्क नहीं था। उन्होंने मुझे जो फ़ोन नंबर दिए, उनसे मैंने परिवार के सदस्यों से संपर्क किया। "क्या वे जीवित हैं?" यह उनकी पहली प्रतिक्रिया थी। मेरे चेहरे से आँसू बह निकले। इस अनुभव से मुझे एहसास हुआ कि कैदियों और उनके परिवारों के बीच मध्यस्थ बनना कितना महत्वपूर्ण और आवश्यक है। जब हम कैदियों से मिलने जाते हैं, जब उन्हें अपने परिवारों के बारे में खबरें मिलती हैं, कभी-कभी पत्र मिलते हैं या अपने प्रियजनों की तस्वीरें मिलती हैं, तो मैं कैदियों के चेहरे पर जो खुशी होती है, उसका वर्णन नहीं कर सकता।

एक बार हमारी जेल प्रेरिताई के दौरान मुझे एक विशेष अनुभव हुआ जो उल्लेख करने के लायक है। सोलह कैदी पार्लर में जमा हुए थे। बाहरी दुनिया के बारे में समाचारों के आदान-प्रदान के बाद, उन्होंने अपनी कठिनाइयों को साझा किया - मानवीय सम्मान की कमी, भोजन की समस्याएँ, आदि। हमेशा की तरह, उन्हें सुनने के बाद, हमने कुछ समय प्रार्थना में बिताया। सुसमाचार से छोटा पाठ पढ़ा और कुछ विचार साझा किए। जिस बात ने मुझे सबसे अधिक प्रभावित किया वह प्रभु में विश्वास, उनकी सहज प्रार्थनाएँ और धन्यवाद के भजन थे। हाल ही में उनमें से दो ने पापस्वीकार करने की इच्छा जाहिर की।

प्रजेल का प्रत्येक दौरा मुझे उस स्वतंत्रता के लिए प्रभु के प्रति आभारी होना सिखाती है जिसका मैं आनंद लेती हूँ और जिसे अक्सर हल्के में लेती हूँ। संत मत्ती 25 : 36 में वर्णित अंतिम निर्णय में, येसु कहते हैं, “मै जेल में था और तुमने मुझसे मुलाकात की।”  मेरा मानना है कि जेल प्रेरिताई येसु के हृदय को प्रिय है जो जरूरतमंदों और सबसे हाशिए पर रहने वालों के साथ खुद को प्रकट करते हैं।

विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए सेंटर में पुस्तकालय
विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए सेंटर में पुस्तकालय

स्वास्थ्य मंत्रालय

हमारे मल्टीएक्टिविटी सेंटर में, हमारे पास बीमार बुजुर्गों के छोटी बीमारियों के उपचार हेतु एक छोटा कमरा है, खासकर महिलाएं जो हमारे पास आना पसंद करती हैं। पेशे से एक नर्स के रुप में मुझे पड़ोस के लोगों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करने में मदद मिली है और इससे परिवारों में प्रवेश की सुविधा मिलती है। मुझे कई लोगों की बीमारी या बुढ़ापे में मदद करने का अवसर मिला है। कुछ बजुर्ग अव इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनके परिवारों के साथ हमारा रिश्ता जारी है।

आपसी संबंध

रमज़ान के पवित्र महीने के दौरान, उनमें से कुछ हमें 'फ्तूर' याने सूर्यास्त के समय उपवास तोड़ने के लिए आमंत्रित करते हैं, जो आमतौर पर परिवार के सदस्यों के साथ किया जाता है। मैं 2018 में एक विधवा के साथ रमज़ान के पहले दिन को नहीं भूल सकती, जो केवल अपनी बेटी के साथ रहती है। भावुक होकर उसने मुझसे कहा, "एक भारतीय काथलिक धर्मबहन के साथ अपना उपवास तोड़ने का एक अनोखा अनुभव है।"

कुछ लोग हमें खुशी से शादी, बच्चे के जन्म, वर्षगाँठ आदि जैसे समारोहों में भाग लेने के लिए आमंत्रित करते हैं। हम बीमारी के दर्दनाक क्षणों, या किसी प्रियजन के खोने पर भी उनसे मिलने की पहल करते हैं।

हमारा मिशन एक चुनौतीपूर्ण मिशन है जहां ब्रह्मचर्य को मुश्किल से ही समझा जाता है। इस प्रकार, मोरक्को के रबात में पुरोहितों और धर्मसंघियो और धर्मबहनों के साथ मुलाकात के दौरान संत पापा फ्राँसिस के शब्द प्रासंगिक और उत्साहवर्धक हैं। उन्होंने इन बातों पर जोर देते हुए कहा, “येसु ने हमें चुनकर इस दिए नहीं भेजा कि हम अपनी संख्या बढ़ाते रहें! उन्होंने हमें एक मिशन के लिए बुलाया है। उन्होंने हमें मुट्ठी भर ख़मीर की तरह समाज के बीच में रखा है, परमानंद और भाईचारे के ख़मीर के द्वारा, हम सभी उनके राज्य को लोगों के बीच लाते हैं।”

जीवन एक मिशन है

आज, हमारी बुलाहट भाईचारे समुदाय के निर्माण में योगदान देना है, चाहे हम कहीं भी हों और जो कुछ भी करते हों। जब से मैं यहां आयी हूँ, मैं जीवन के संवाद और अंतरसांस्कृतिक, अंतरधार्मिक, अंतरपीढ़ीगत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और सद्भाव में एक साथ रहने के रूप में मिशन की आवश्यकता और महत्व को देखती हूँ। जैसा कि संत पापा फ्राँसिस ने प्रेरितिक उद्बोधन “गौदेते एत एक्सुलताते (खुस हो और आनंद मनाओ) में उद्धृत किया है, हम यह नहीं भूल सकते कि "जीवन का कोई मिशन नहीं है, बल्कि जीवन एक मिशन है।" (नंबर 27)

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28 July 2023, 16:09