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2023.04.27  सिस्टर्स प्रोजेक्ट_PS32: मदर बर्नाडा हेमगार्टनर के पदचिन्हों पर चलते हए युवा लोगों का विश्वास प्रशिक्षण 2023.04.27 सिस्टर्स प्रोजेक्ट_PS32: मदर बर्नाडा हेमगार्टनर के पदचिन्हों पर चलते हए युवा लोगों का विश्वास प्रशिक्षण  #SistersProject

सिस्टर बेर्नाडा हेमगार्टनर, शिक्षा के माध्यम से आशा की महान वाहक

दो सौ साल पहले, स्विटजरलैंड के आरगाउ के कैंटोन में एक छोटी बच्ची अन्ना मारिया का जन्म हुआ था, जिसका जीवन आज भी विकास परियोजनाओं को प्रेरित करता है, खासकर प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं के लिए। उनके द्वारा स्थापित धर्मसमाज की धर्मबहनें न केवल यूरोप में, बल्कि अफ्रीका, भारत, श्रीलंका और लैटिन अमेरिका में भी धार्मिक कार्यों और विकास प्रशिक्षण में संलग्न हैं।(सिस्टर फ्रांज़िस्का मिटरर - होली क्रॉस)

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

सिस्टर बेर्नाडा हेमगार्टनर ने लोगों को बहुत आशा दी: 26 नवंबर, 2022 को हमने मेनजिंगन के पवित्र क्रूस की धर्मबहनों (शिक्षिकाओं) की संस्थापिका के जन्म का 200वां वर्षगांठ मनाया। उनका जन्म 1822 में जर्मन भाषी स्विट्ज़रलैंड में एरगौ के कैंटन में हुआ था। 1844 में दो साथियों के साथ, उन्होंने कपुचिन पुरोहित थेओदोसियुस फ्लोरेंटिनी की पहल पर, पढ़ाने वाली धर्मबहनों की एक धर्मसमाज की स्थापना की, जो लड़कियों की शिक्षा से संबंधित है और महिलाओं के विकास के लिए एक आवश्यक तरीके से योगदान देती हैं।

बच्चों के साथ मदर बेर्नार्डा हेमगार्टनर का चित्र
बच्चों के साथ मदर बेर्नार्डा हेमगार्टनर का चित्र

अन्ना मारिया हेमगार्टनर (सिस्टर बेर्नाडा) एरगाऊ के कैंटन स्थित अपने गृह गांव फिस्लिसबैक के स्थानीय स्कूल में पढ़ना और लिखना सीखा। मारिया बहुत बुद्धिमान थी। 1830 में कपुचिन पुरोहित थेओदोसियुस फ्लोरेंटिनी को लड़कियों के प्रशिक्षण के लिए धर्मबहनों का एक समुदाय स्थापित करने का विचार आया। अन्ना मारिया ने खुद को तुरंत उपलब्ध बनाया। 1839 में, फादर फ्लोरेंटिनी ने दो सखियों के साथ उसे बाडेन में "मारिया क्रोनुंग" कॉन्वेंट भेजा। इस बीच, राजनीतिक स्थिति तेजी से अस्थिर और याजक-विरोधी हो गई और "मारिया क्रोनुंग" कॉन्वेंट को बंद कर दिया गया। इस तरह उनका प्रशिक्षण अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया।

इस बीच फादर थेओदोसियुस ने युवा महिलाओं को अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित करना जारी रखा: ब्रिसगौ, फ्रीबुर्ग में वे उर्सुलाइन धर्मबहनों के साथ अपना प्रशिक्षण जारी रखा और अलसैस में रिबेउविले में अपना नोविशिएट पूरा किया। तीन युवा धर्मबहनें रिबेउविल में धार्मिक जीवन अनुभव के साथ स्विट्जरलैंड लौटी और छोटे गांव में छोटे समूहों में पढ़ाना शुरु किया।

जाम्बिया में मेनजिंगेन के होली क्रोस की धर्मबहनों की छात्राएँ
जाम्बिया में मेनजिंगेन के होली क्रोस की धर्मबहनों की छात्राएँ

गांवों में छोटे समूहों में

ज़ुग के कैंटोन में मेनजिंगन के पल्ली पुरोहित का पहले से ही रिबेउविले के मॉडल के अनुसार एक स्कूल स्थापित करने का इरादा था।  इस बीच, अन्ना मारिया और उनकी सखियों ने अक्टूबर 1844 में अल्टडॉर्फ में फादर थेओदोसियुस के कपुचिन आवास में अपना मन्नत लिया और  मेनजिंगन में अपना काम शुरू किया।

जल्द ही धर्मबहनों की संख्या बढ़ती गई और इसलिए दो या तीन के समूह में वे पहाड़ी गाँवों में बच्चों को पढ़ाने के लिए गाँव के स्कूलों में चली गईं, जो बहुत गरीब थे। सिस्टर बेर्नाडा ने निर्देशिका के रूप में अपनी भूमिका निभायी। वे धर्मबहनों को पत्र लिखकर और उनसे मिलकर अपने शिक्षण कार्य में लगे रहने के लिए प्रोत्साहित किया। इस तथ्य को प्रदर्शित करने वाले पर्याप्त दस्तावेज हैं कि राज्य के अधिकारियों द्वारा यात्राओं के अवसर पर, मेनजिंगन धर्मबहनों द्वारा प्राप्त शैक्षिक परिणामों की हमेशा अत्यधिक सराहना की गई।

धर्मबहनों को काथलिक प्रबुद्धता के प्रकाश में प्रशिक्षित किया जाता था। फादर थेओदोसियुस चाहते थे कि लड़कियाँ शिक्षा के माध्यम से अपना विकास करने में सक्षम हो। वास्तव में, काथलिक प्रबुद्धता का उद्देश्य बाइबिल के ज्ञान की उपेक्षा किए बिना तर्क और विश्वास के बीच एक कड़ी बनाना था।

ऑर्थोडोक्स और उदारवादियों द्वारा अस्वीकृत

ऑर्थोडोक्स काथलिक परिवेश में सिस्टर बेर्नाडा और धर्मबहनें मुख्य रूप से काम करती थी, वे लड़कियों की शिक्षा को अस्वीकार करते थे। उनकी मानसिकता के अनुसार, उनकी बेटियों और पत्नियों को केवल पारिवारिक क्षेत्र में काम करना चाहिए: बच्चे पैदा करना, उनका पालन-पोषण करना, खाना बनाना, घर संभालना और परिवार के भीतर धर्म के लिए जिम्मेदार होना। हालांकि, न केवल ऑर्थोडोक्स सिस्टर बेर्नाडा को अस्वीकार करते थे, दूसरी ओर, उदारवादियों का संदेह था कि धर्मबहनें बच्चों को सिर्फ भक्ति के अभ्यास करना सिखायेंगी। धर्मबहनों को देखते हुए, अधिक से अधिक लड़कियाँ शिक्षकों की समुदाय में शामिल होने लगीं। मेनजिंगन में, युवा महिलाओं के लिए एक शिक्षक प्रशिक्षण स्कूल स्थापित किया गया।

धर्मबहनों के साथ एक युवा सहयोगी ईवा, जाम्बिया के बच्चों के साथ खेल खेलती है
धर्मबहनों के साथ एक युवा सहयोगी ईवा, जाम्बिया के बच्चों के साथ खेल खेलती है

लोगों की आंतरिक क्षमता को महत्व देना

1883 से, धर्मबहनों ने अफ्रीका में अपना मिशन शुरू किया, और 20वीं सदी की शुरुआत में वे भारत और लैटिन अमेरिका, बाद में श्रीलंका गई। यूरोप में, मेनजिंगन के पवित्र क्रूस की धर्मबहनें इटली, जर्मनी और फिर इंग्लैंड पहुँची। वर्तमान में विश्वास प्रशिक्षण उनकी प्रमुख प्रतिबद्धताओं में से एक है और विश्वास प्रशिक्षण के तहत धर्म शिक्षा और विशेष रूप से युवा लोगों के लिए आध्यात्मिक मनन-ध्यान दिया जाता है।

वर्तमान में, यूरोप में कई धर्मबहनें वृद्धावस्था में हैं और उन्हें सहायता की आवश्यकता है। अभी भी अपने नर्सिंग होम में, वे अपने मिशन के बारे में जानती हैं और अक्सर नर्सिंग स्टाफ को जीवन और विश्वास में मजबूत होने के लिए मदद करती हैं। धर्मबहनें युवतियों से अफ्रीका में धर्मबहनों के साथ कुछ समय के लिए सहयोग करने का आग्रह करती हैं और इस तरह युवा लोग अपने स्वयं के विश्वास को गहरा करने का अवसर पाते हैं, इसप्रकार सिस्टर बेर्नाडा का लक्ष्य पूरा होता है: “प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता को बढ़ाना।”

जाम्बिया में एक युवा सहयोगी के साथ मेनजिंगन के पवित्र क्रूस की एक धर्मबहन
जाम्बिया में एक युवा सहयोगी के साथ मेनजिंगन के पवित्र क्रूस की एक धर्मबहन

संस्थापिका के वीरोचित गुणों की पहचान

सिस्टर बेर्नाडा हिंगार्टनर एक महान महिला थीं जिनके काम का समाज और कलीसिया पर असाधारण प्रभाव पड़ा। 1994 में उनके वीरोचित गुणों को पहचाना गया। आज उनके संत घोषणा के लिए कोई आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त चमत्कार का इन्तजार है। बहुत से लोग उनकी मध्यस्ता द्वारा ईश्वर को अपनी प्रार्थना चढ़ाते हैं। धन्य सिस्टर बेर्नाडा हम पवित्र क्रूस की धर्मबहनों को प्रोत्साहन देती हैं कि हम प्रत्येक व्यक्ति के गुणों को उजागर करना जारी रखें।

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04 May 2023, 11:29