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भारतीय धर्माध्यक्षों ने मणिपुर में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए अपील शुरु की

मणिपुर राज्य में मैतेई जाति और ख्रीस्तीय आदिवासियों के बीच लगभग एक महीने की सांप्रदायिक हिंसा के बाद, उत्तर पूर्व भारत क्षेत्रीय धर्माध्यक्ष परिषद ने दोनों समुदायों से शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और सुलह के तरीके खोजने का आग्रह किया है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

मणिपुर, बुधवार 31 मई 2023 (वाटिकन न्यूज) : दंगा प्रभावित भारतीय राज्य मणिपुर में जातीय-धार्मिक संघर्ष जारी है, पूर्वोत्तर भारत के काथलिक धर्माध्यक्षों ने शांति के लिए एक नई अपील की है। संकट पर क्षेत्रीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के एक आपातकालीन सत्र के समापन पर 28 मई को जारी एक बयान में धर्माध्यक्षों ने स्थानीय समुदायों से शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और सुलह के तरीकों को खोजने के लिए एक साथ काम करने का आग्रह किया ताकि सांप्रदायिक हिंसा को रोका जा सके। 75 लोगों की जान गई, 45,000 से अधिक लोगों को विस्थापित किया और 1,700 से अधिक घरों, गिरजाघरों और अन्य ख्रीस्तीय संस्थानों को नष्ट कर दिया।

गुवाहाटी के महाधर्माध्यक्ष जॉन मूलाचिरा, पूर्वोत्तर भारत क्षेत्रीय धर्माध्यक्षीय परिषद के अध्यक्ष द्वारा हस्ताक्षरित बयान में लिखा गया है, “बहुत दर्द और गहन चिंता के साथ हम हाल ही में मणिपुर में हुई बड़ी त्रासदियों को देख रहे हैं। हम अपने भाइयों और बहनों के लिए दुखी हैं जो हिंसा के शिकार हुए हैं और इसका परिणाम भुगत चुके हैं।"

हिंदू मैतेई और ख्रीस्तीय आदिवासियों के बीच संघर्ष

मणिपुर में 3 मई को हिंसा तब भड़क उठी जब जातीय कुकी और अन्य आदिवासी समूह, जो मुख्य रूप से ख्रीस्तीय हैं, भारत के सकारात्मक कानून के तहत पिछड़े वर्गों के लिए राज्य के लाभ और आरक्षण कोटा का लाभ उठाने वाले हिंदू मैतेई को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने वाले अदालत के फैसले के विरोध में सड़कों पर उतर आए।

मणिपुर की 32 लाख आबादी में 53 फीसदी मैतेई हैं, जिनका स्थानीय राजनीतिक सत्ता पर नियंत्रण है, जबकि आदिवासी ख्रीस्तीय, जिनका राज्य में अधिकांश जमीन पर नियंत्रण है, करीब 41 फीसदी हैं।

हिंसा जारी

हिंदू समर्थक भारतीय जनता पार्टी के बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार ने नफरत भरे भाषणों और अफवाहों के प्रसार से बचने के लिए कर्फ्यू लगा दिया है और इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया है। हालांकि झड़पें अभी भी जारी हैं।

 

इंफाल के सूत्रों ने एशियान्यूज एजेंसी को बताया है कि एक काथलिक गांव, ज़ू वेंग पर हमला किया गया था। सुगनु गांव जो राज्य की राजधानी इंफाल से दूर नहीं है,  उसके गिरजाघर सहित पूरे गाँव को नष्ट कर दिया गया था। सुगनु के आदिवासी कॉलोनी में 100 से अधिक घर थे, जिनमें से 60 प्रतिशत जल गए। सुगनु के एक अन्य गांव लैंगचिंग में करीब 150 घरों में आग लगा दी गई। अपुष्ट रिपोर्टों के अनुसार, इंफाल में मणिपुर राइफल्स के शस्त्रागार से लगभग एक हजार हथियार लूटे गए, जहां मैतेई केंद्रित हैं।

रविवार, 28 मई को आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी में कथित तौर पर दो लोगों की मौत हो गई और 12 अन्य घायल हो गए। दो घायलों ने अगले दिन अस्पताल में दम तोड़ दिया।

आम भलाई को देखते हुए रियायतें दी जा सकती हैं

अपने बयान में, उत्तर-पूर्व भारत के धर्माध्यक्ष "पीड़ित लोगों की ओर से मदद की अपील की हैं," "बहुमूल्य जीवन और संपत्ति" के "अत्यधिक" नुकसान पर विलाप करते हैं, क्योंकि हिंसा जारी है और सभी प्रभावितों के लिए राहत कार्य अत्यंत कठिन है। .

इसलिए उनकी दलील दो समुदायों के "बुद्धिजीवियों और रचनात्मक विचारकों" को "स्थिति को आसान बनाने, आगे बढ़ने के रचनात्मक तरीके की खोज करने और मतभेदों को निपटाने के तरीकों को विकसित करने" के तरीकों पर काम करने के लिए संबोधित करती है। धर्माध्यक्षों ने कहा, "वे निश्चित रूप से उन क्षेत्रों को खोज लेंगे जहां आम भलाई और साझा भविष्य को ध्यान में रखते हुए शुरू किए गए सहयोगात्मक कदमों को देखते हुए रियायतें दी जा सकती हैं।"

सुनियोजित हिंसा

सामाजिक सद्भाव और सतर्कता के लिए बने केरल काथलिक धर्माध्यक्षीय आयोग के अनुसार, जिसने मणिपुर दंगों की जांच की थी, सांप्रदायिक हिंसा "सुनियोजित" थी और "कूकी जनजाति को लक्षित" थी, जिनमें से 90 प्रतिशत ख्रीस्तीय हैं। उकान्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, आयोग ने कहा कि "राज्य में भाजपा के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की नीतियों और कार्यक्रमों में बदलाव ने लोगों को सांप्रदायिक रेखाओं में विभाजित कर दिया है।"

 

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31 May 2023, 16:55