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भारतीय ख्रीस्तियों के खिलाफ उत्पीड़न जारी

जबरन धर्मांतरण के आरोपों के बीच छत्तीसगढ़ में ख्रीस्तीयों के खिलाफ उत्पीड़न की एक नई रिपोर्ट सामने आई है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

एक चरमपंथी हिंदू पार्टी द्वारा धर्मांतरण के आरोपों के बाद रविवार को छत्तीसगढ़ राज्य के एक गांव में 10 पादरियों सहित लगभग 50 ख्रीस्तीयों पर हमला किया गया।

समुदाय एक निजी घर में प्रार्थना करने के लिए एकत्रित था जब एक सशस्त्र भीड़, कथित रूप से उग्रवादी हिंदू राष्ट्रवादी संगठन, बजरंग दल, ने घर को घेर लिया, और घुसकर उन्हें प्रार्थना करने से रोक दिया।

अपनी सुरक्षा के डर से ख्रीस्तियों ने खुद को घर के अंदर बंद कर लिया और पुलिस बुलायी।

लेकिन जब पुलिस पहुंची, तो घर के मालिक, पादरियों, और कुछ अन्य ईसाइयों को "शांति भंग करने" के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।

हालाँकि उन्हें उसी दिन शाम को रिहा कर दिया गया, प्रार्थना सभा में भाग लेनेवाले अंकुश बरयिएकर ने पुलिस पर कुछ पादरियों की पिटाई करने का आरोप लगाया, जिन्हें स्थानीय अस्पताल में इलाज की आवश्यकता भी पड़ी।

घर मालिक, स्थानीय दांत डॉक्टर बिनोय साहू ने कहा कि उन्होंने माईक्रो फोन और लाऊड स्पीकर का प्रयोग नहीं किया और ध्वनि प्रदूषण नहीं हुई। हम इस हमले का कारण नहीं समझ रहे हैं।

उका न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में बरयिएकर ने आरोप लगाया कि साहू के हिंदू पड़ोसियों ने अतीत में धार्मिक बैठकों पर आपत्ति जताई थी और हिंदू कट्टरपंथियों से उन्हें रोकने के लिए मदद का अनुरोध किया है।

अमलेश्वर गांव, जहां घटना हुई थी, वहाँ के प्रभारी पुलिस अधीक्षक ने हमले को "एक छोटी घटना" कहा और कहा कि समस्या का समाधान पहले ही हो चुका है।

साहू ने स्थानीय मीडिया को बतलाया कि बजरंग दल ने 2021 में एक छोटा प्रदर्शन  किया था। और ख्रीस्तीयों को हिंसा की धमकी दी थी यदि वे प्रार्थना सभा में भाग लेना जारी रखें।

2023 की शुरुआत में, छत्तीसगढ़ के नारायणपुर और कोंडागांव जिलों में एक हजार से अधिक आदिवासी ईसाइयों को हिंसा की धमकियों के कारण अपने गांवों से पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

वास्तव में, जब से सत्तारूढ़ राजनीतिक दल, भारतीय जनता पार्टी ने मार्च 1998 में अपना शासन शुरू किया, तब से ईसाई-विरोधी हिंसा में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है।

वार्षिक रूप से, भारत की आंतरिक सुरक्षा और इसके राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने ईसाइयों के खिलाफ सौ से अधिक धार्मिक रूप से प्रेरित हिंसा की घटनाओं को सूचीबद्ध किया है, हालांकि इन संख्याओं को बेतहाशा कम करके आंका जाता है क्योंकि हिंसा की कुछ घटनाओं की रिपोर्ट नहीं की जाती है।

एक "अतिशयोक्ति"

मार्च 2022 में, बैंगलोर के महाधर्माध्यक्ष डॉ. पीटर मचाडो ने भारत के कुछ हिस्सों में ईसाइयों के खिलाफ "हिंसा की भयावह घटना" और "लक्षित घृणास्पद भाषण" को देखने के लिए एक याचिका दायर की। महाधर्माध्यक्ष मचाडो ने कहा कि हाल के वर्षों में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा के मामलों में तेजी से वृद्धि के कारण, भारत में ईसाई अब "भय के माहौल" में रहते हैं।

लेकिन 14 अप्रैल, 2023 को, भारत के सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आरोप लगाया कि महाधर्माध्यक्ष केवल "बर्तन उबलने" के लिए हमलों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे थे और ईसाइयों पर कथित हमले की केस रिपोर्ट के साथ सांख्यिकीय विसंगतियों के कारण दावों को "झूठ" के रूप में खारिज कर दिया।

 

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04 May 2023, 15:22