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 श्रीलंका हमले की 4थी वर्षगांठ श्रीलंका हमले की 4थी वर्षगांठ  (ANSA)

श्रीलंकाई कलीसिया द्वारा 2019 ईस्टर बम विस्फोटों हेतु न्याय की मांग जारी

श्रीलंका में ईस्टर रविवार बम धमाकों के चार साल पूरे हो गये, जिसमें 261 लोग मारे गए थे। फादर जूलियन पैट्रिक परेरा के अनुसार, स्थानीय कलीसिया ने सरकार पर लीपापोती का आरोप लगाया और संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय जांच के लिए न्याय की मांग की।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

कोलंबो, सोमवार 10 अप्रैल 2023 (वाटिकन न्यूज) : "हम मानते हैं कि न्याय खोजना और सच्चाई का खुलासा करना एक राष्ट्रीय सेवा है जो हम अपने देश के लिए कर सकते हैं, क्योंकि हम श्रीलंका में अल्पसंख्यक ख्रीस्तीय हैं।" यह बात कोलंबो महाधर्मप्रांत की कानूनी टीम के सचिव फादर जूलियन पैट्रिक परेरा ने कही। उन्होंने 2019 ईस्टर रविवार बम विस्फोटों के अपराधियों को खोजने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए स्थानीय कलीसिया के प्रयासों का मूल्यांकन करने की प्रस्ताव दिया।

21 अप्रैल 2019 को, आतंकवादी हमलावरों ने दो काथलिक गिरजाघरों, एक इवांजेलिकल गिरजाघर और तीन लक्जरी होटलों के साथ-साथ एक आवास परिसर और एक गेस्ट हाउस पर हमला किया। समन्वित हमलों में 261 लोग मारे गए।

जिन आठ आत्मघाती हमलावरों पर सरकार का आरोप है कि वे तथाकथित इस्लामिक स्टेट से जुड़े हुए थे।

कोलंबो के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल माल्कम रंजीत ने हमलों के बारे में सरकार के रवैये पर सवाल उठाया है और लगातार अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है।

लीपापोती का आरोप

त्रासदी की चौथी बरसी पर वाटिकन न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में फादर परेरा ने ईस्टर रविवार बम धमाकों के लिए न्याय की कमी पर अफसोस जताते हुए कहा कि "पूरे मामले पर कोई उचित जांच पूरी नहीं हुई है।"

उन्होंने कहा कि मामले से कई प्रमुख जांचकर्ताओं को हटाने की ओर इशारा करते हुए एक लीपापोती का सबूत प्रतीत होता है। फादर परेरा ने कहा, “तथाकथित आतंकवादी आंदोलन के लगभग 25 सदस्यों के खिलाफ एक प्रकार का आंखों में धूल झोंकने का मुकदमा भी है। लेकिन वे आरोप बहुत सतही स्तर के हैं। कानून विशेषज्ञों का मानना है कि 23,000 आरोपों वाले मामले को कभी भी विश्वसनीय तरीके से सुनवाई के लिए नहीं लाया जा सकता है।"

"आप 23,000 आरोपों को सवालों के घेरे में कैसे ला सकते हैं और इतने सैकड़ों लोगों से जिरह कैसे कर सकते हैं? तो, आप देख सकते हैं कि पहली जगह में एक बहुत स्पष्ट लीपापोती है।"

कानूनी जीत

हालांकि, इस साल जनवरी के मध्य में कुछ प्रगति हुई, जब श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना और चार शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के खिलाफ लापरवाही का दीवानी दोषसिद्धि जारी की, जो ईस्टर रविवार बम विस्फोटों के लिए संभावित आतंकवादी हमले की तैयारी में खुफिया जानकारी पर कार्रवाई करने में विफल रहे। पीड़ितों के परिवारों को मुआवजे के रूप में उन्हें 100 मिलियन रुपये (273,000 अमरीकी डालर) का भुगतान करने के लिए भी मजबूर किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट की सजा ने अन्य देशों की अदालतों में दीवानी मुकदमेबाजी को और खोल दिया, क्योंकि हमलों में 45 विदेशी नागरिक मारे गए थे। फादर परेरा ने कहा कि इन पीड़ितों के परिवार इस दोषसिद्धि के आधार पर अपने घरेलू देशों में मुआवजे के लिए श्रीलंकाई अधिकारियों पर मुकदमा कर सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व वाली जांच

कलीसिया संयुक्त राष्ट्र समर्थित अंतरराष्ट्रीय जांच का अनुरोध करने के अतिरिक्त कानूनी विकल्प पाने की कोशिश कर रही है।

फादर परेरा ने हाल ही में 52वें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंकाई कलीसिया के मामले को प्रस्तुत किया, जो 27 फरवरी से 4 अप्रैल तक जिनेवा में आयोजित किया गया था।

संयुक्त राष्ट्र में सामान्य परामर्शदात्री स्थिति वाले एक गैर सरकारी संगठन फ्रांसिस्कन इंटरनेशनल के प्रतिनिधि के रूप में बोलते हुए, फादर परेरा ने कहा कि श्रीलंकाई अदालतों ने हमलों के मास्टरमाइंडों के लिए कोई आपराधिक सजा नहीं दी है, और उन्होंने बम विस्फोटों की जांच के लिए मामले में सार्वभौमिक अधिकार क्षेत्र को लागू करने के लिए संयुक्त राष्ट्र का आह्वान किया।

साक्षात्कार में, उन्होंने साक्ष्य एकत्र करने और गवाहों से संपर्क करने में कठिनाई को स्वीकार किया।

कलीसिया न्याय पाने हेतु प्रयासरत 

फादर परेरा ने कहा कि, काथलिक कलीसिया, उन कुछ संस्थानों में से एक है, जिनके पास न्याय की खोज में श्रीलंकाई सरकार की सत्ता को संभालने के लिए "साधन" है।

उन्होंने कहा, "हम स्वेच्छा से इस मौके को लेंगे, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस तरह का काम अगर हम नहीं करेंगे तो और कौन करेगा?"

फादर परेरा ने कहा कि श्रीलंका में अक्सर चुनावों से पहले हिंसा होती है, और राजनेता अपने चुनाव का आधार बनाने के लिए इन हत्याओं का फायदा उठाते हैं।

उन्होंने कहा, "श्रीलंका में इस तरह की चीजें - हत्याएं, लोगों का मारा जाना - इन सभी वर्षों में हुआ है और उन्हें कालीन के नीचे दबा दिया गया है," "जब भी कोई चुनाव होता है, इस तरह की चीजें राजनीतिक प्रचार का हिस्सा होती हैं।"

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10 April 2023, 15:25