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बच्चों के लिए छोटा घर’, की प्रमुख, सिस्टर पियरिना लोरेन्ज़ोनी, बच्चों के लिए छोटा घर’, की प्रमुख, सिस्टर पियरिना लोरेन्ज़ोनी,  #SistersProject

ब्राजील: एक बड़े उद्देश्य के लिए एक 'छोटा घर'

क्रूसित येसु के मिशनरियों का संस्थान ब्राजील के बाहरी इलाके पोर्टो एलेग्रे, मेंअपनी उपस्थिति द्वारा आशा और एकजुटता प्रदान करता है, जो इस बात का गवाह है कि "घर वहीं है जहां दिल है।(एलिसिया लोपेस अराउजो द्वारा)

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

पोर्टो एलेग्रे, शुक्रवार 8 अप्रैल 2023 (वाटिकन न्यूज) : ब्राज़ील में प्रतिदिन सैकड़ों परिवारों की सहायता की जाती है: 2022 में 250,000 गर्म भोजन परोसे गए; 2,500 वर्ग मीटर का क्षेत्र लगातार 1,000 से अधिक लोगों का समर्थन करता है और हजारों लोगों के जीवन में बदलाव लाता है।

ये संख्याएं हैं जो "दिल की जगह" के बारे में बताती हैं, जहां रियो ग्रांदे दो सुल राज्य की राजधानी पोर्टो एलेग्रे से दूर दराज में ‘विला मारिया दा कॉन्सेइकाओ’ में रहने वाले लोग महसूस करते है। यह क्षेत्र, अत्यधिक भेद्यता की स्थितियों से चिह्नित हैं, जहां सबसे बुनियादी सेवाएं भी नहीं मिलती हैं और यहाँ परिवारों का विभाजन और सामुदायिक हिंसा दोनों होता है। क्रूसित येसु के मिशनरियों का संस्थान (एमजेसी) का ‘बच्चों के लिए छोटा घर’ (पेक्वेना कासा दा क्रिआंका) ऐसे लोगों के लिए आशा और बंधुत्व का स्थान हैं, जो 66 वर्षों से "महान" कारण के लिए काम कर रहा है।

वास्तव में, संस्थान केवल बच्चों के लिए एक घर नहीं है। यहां, युवा वयस्कों, बुजुर्गों और पूरे परिवारों का भी सहृदय स्वागत किया जाता है। यहाँ जीवन के तूफानों से आश्रय और सपनों को साकार करने के लिए जगह मिलती है, जैसा कि केवल एक घर ही दे सकता है, जैसा कि प्लिनी द एल्डर ने 2,000 साल पहले कहा था, "घर वही है, जहां दिल है।"

बच्चों का छोटा घऱ
बच्चों का छोटा घऱ

संस्थान की प्रमुख, सिस्टर पियरिना लोरेन्ज़ोनी, ओसरवातोरे रोमानो के साथ एक साक्षात्कार में बताती हैं, "(पेक्वेना कासा दा क्रिआंका) ‘बच्चों के लिए छोटा घर’, शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करता है, इसका उद्देश्य मानव के सभी आयामों - शारीरिक, संज्ञानात्मक, भावनात्मक, आध्यात्मिक और सामाजिक बनाने के लक्ष्य के साथ, ख्रीस्तीय मूल्यों के माध्यम से कार्य करते हुए मानव के अभिन्न विकास को बढ़ावा देना है।"

“2022 में सहायता प्राप्त करने वाले 479 परिवारों में से 25 प्रतिशत की पारिवारिक आय न्यूनतम वेतन से कम थी। लगभग 70 प्रतिशत परिवार एकल-अभिभावक इकाइयाँ हैं और 40 प्रतिशत परिवारों के अभिभावकों ने बुनियादी शिक्षा भी पूरी नहीं की है। 66 प्रतिशत महिलाएं हैं, जबकि 70 प्रतिशत अश्वेत हैं। इसके अलावा, आधे से अधिक आवास तंग और अस्वास्थ्यकर हैं, क्योंकि उनके पास साफ पानी और सीवेज सिस्टम की कमी है। यह परिदृश्य इन लोगों के सामाजिक अधिकारों की गारंटी नहीं देता है, उनमें से एक शिक्षा है, इस प्रकार संस्थान द्वारा आगे बढ़ाए गए कार्यों की निरंतरता को दृढ़ता से प्रेरित करता है, जो आज विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों, किशोरों, युवाओं, वयस्क और बुजुर्ग लोग सहित 937 लोगों का लगातार भरण-पोषण करता है : प्री-स्कूल और प्राथमिक स्कूल में 419 बच्चे हैं, 6 से 17 साल की उम्र के 164 बच्चे और किशोरों का आवास है। बाल श्रम के 252 बच्चों के साथ-साथ गरीब या बेघर वयस्कों की देखभाल की जाती है।

लेकिन जो बीज इन फलों को लाया है वह दूर से आता है, सिस्टर लोरेंजोनी बताता हैं, "1919 में कैंपिनास (साओ पाउलो राज्य) में, युवा मारिया विलेक की पहल पर विभिन्न सामाजिक संदर्भों, विभिन्न पीढ़ियों और जातीयताओं की महिलाओं के एक समूह का गठन हुआ। उन्होंने क्रूस का रास्ता धर्मविधि पर भाग लेने और दया के कार्यों को करने के लिए एक साथ आना शुरू किया। उस समय इसका अर्थ था शहर से दूर ग्रामीन क्षेत्र में समय बिताना, गरीबों के घरों में प्रवेश करना, कारखानों में श्रमिकों से मिलना और जेलों में कैदियों से मुलाकात करना।”

सद्भाव और सेवा को बढ़ावा देने के लिए परियोजनाएँ - 6 से 14 वर्ष के बच्चे
सद्भाव और सेवा को बढ़ावा देने के लिए परियोजनाएँ - 6 से 14 वर्ष के बच्चे

इन वर्षों में महिलाओं के समूह में काफी वृद्धि हुई, क्रूसित येसु के मिशनरियों के संघ का निर्माण हुआ, जिसका मिशन वंचित परिवारों का दौरा करना और धर्मशिक्षा के लिए केंद्रों को व्यवस्थित करना था। साओ पाउलो और कैंपिनास के शहरों में औद्योगीकरण की प्रक्रिया के त्वरण के कारण भी सामाजिक असमानता थी।

समूह के सुसमाचार प्रचार बल पर भरोसा करते हुए और इस ख्रीस्तीय अनुभव की निरंतरता की गारंटी देने के लिए, कैंपिनास के तत्कालीन धर्माध्यक्ष फ़्रांसिस्को डे कैंपोस बैरेटो ने संघ को एक धर्मसमाज में बदलने का सुझाव दिया "एक पैर दुनिया में और दूसरा कॉन्वेंट में।”

इस प्रकार, 1928 में इस करिश्मे के साथ एमजेसी धर्मसमाज का जन्म हुआ : "सबसे ज्यादा जरूरत वाले लोगों की तलाश करें!"  कलीसिया के इतिहास पर स्थायी प्रभाव डालने वाली धर्मबहनों में से एक गोइआस में जन्मी, नेली कैपुज़ो थीं। उसे पोर्टो एलेग्रे शहर में अपने मिशन को पूरा करने के लिए चुना गया था, जिसने शहर के बंदरगाह के आसपास के क्षेत्र में रहने वाले गरीब परिवारों और बच्चों के साथ काम करना शुरू किया।

हालांकि, क्षेत्र में बाढ़ आने के बाद, परिवारों को रहने के लिए दूसरी जगह की तलाश करनी पड़ी और वे विला मारिया दा कॉन्सेइकाओ में बस गए, जिसे मोरो दा मारिया डेगोलाडा के नाम से भी जाना जाता है। केंद्र से दूर और स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और सहायता के लिए सुविधाओं की कमी के कारण, धर्मबहन ने अपने काम को आगे बढ़ाया और 1956 में ‘बच्चों के लिए छोटा घर’ की स्थापना की। उस समय संस्थान का पहला मुख्यालय एक छोटी लकड़ी की झोंपड़ी थी, हमारे लिए 'घर' का मतलब स्वागत का, मुलाकात का स्थान था, लेकिन धर्मविधि और धर्मशिक्षा का भी स्थान था, यानी एक ऐसा स्थान जहां समुदाय एक साथ आ सके और आज भी, संस्थान "ईश्वर का घर" बना हुआ है, जो बिना किसी भेद-भाव के सभी के लिए खुला है।"

छोटे घर की कहानी इस प्रकार समुदाय के साथ जुड़ी हुई है, जो इसकी विशिष्ट आवश्यकताओं के प्रति चौकस है। उदाहरण के लिए, संस्थान ने एक क्लिनिक बनाने के लिए अपने भवन का एक हिस्सा अलग रखा जो स्वास्थ्य के अधिकार की गारंटी देगा। "दी गई सेवाएं जटिल और बहुआयामी हैं, क्योंकि वे अभिन्न मानव विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हैं, उनमें पोषण, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक संगति और आध्यात्मिक गतिविधि भी शामिल है, ताकि विश्वास, शांति और भाईचारे की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सके, जो सामुदायिक हिंसा से लड़ने में एक आवश्यक शक्ति है।"

छोटा घर
छोटा घर

सिस्टर पियरिना लोरेंजोनी बताती हैं कि कुछ समय पहले, पेक्वेना कासा दा क्रिआंका (बच्चों का छोटा घर) छोटा होना बंद हो गया। कठिन चुनौतियों के बावजूद, "धर्मसमाज ने एक नई इमारत का निर्माण शुरु किया, जो अधिक लोगों को पूर्व-विद्यालय और प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश करने की अनुमति देगी और घर के कार्यक्रमों से लाभान्वित होने वाले लोगों की संख्या को दोगुना कर देगी।" इसके अलावा, एमजेसी [धर्मबहनें] न केवल ब्राजील के कई राज्यों में, बल्कि चिली, इक्वाडोर, बोलीविया, पैराग्वे, पेरू, अंगोला, मोज़ाम्बिक और केन्या में भी हैं। दुनिया की इन दूर दराज क्षेत्रों में उनकी उपस्थिति धर्मसमाज के करिश्मे के प्रति वफादारी का प्रतीक है, जिसका मिशन शुरू से ही खुद को एक ऐसे सुसमाचार प्रचार के लिए समर्पित करना रहा है जो "गरीबों" की स्थिति के प्रति चौकस है।

धर्मबहनों ने इस रास्ते पर अच्छी तरह से यात्रा की है और समुद्र की तलाश में एक नदी की तरह वे लगातार "आगे बढ़ने" के महत्व के बारे में जानते हुए, नए सपनों को साकार करती रहती हैं।

दो बच्चों के साथ सिस्टर नेली कैपुज़ो (1958 की तस्वीर, ओ क्रूज़िरो पत्रिका के लिए अंतोनी रोनेक द्वारा ली गई)
दो बच्चों के साथ सिस्टर नेली कैपुज़ो (1958 की तस्वीर, ओ क्रूज़िरो पत्रिका के लिए अंतोनी रोनेक द्वारा ली गई)

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07 April 2023, 15:19