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2023.04.24 सरगाँव में ईशसेविका माता बेर्नादेत की 62वीं पुण्यतिथि मनाई गई 2023.04.24 सरगाँव में ईशसेविका माता बेर्नादेत की 62वीं पुण्यतिथि मनाई गई 

सरगाँव में पहली आदिवासी ईशसेविका की 62वीं पुण्यतिथि मनाई गई

रविवार 23 अप्रैल को सैकड़ों लोग पूर्वी भारत के एक सुदूर सरगाँव में पहली तीर्थयात्रा में भाग लेने के लिए आए, जहाँ आदिवासी समुदाय की पहली ईशसेविका माता मेरी बेर्नादेत्त की 62वीं पुण्यतिथि मनाई गई।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

सरगाँव, सोमवार 24 अप्रैल 2023 (वाटिकन न्यूज) : 23 अप्रैल को राँची महाधर्मप्रांत ने राँची की संत अन्ना की पुत्रियों के धर्मसंध की संस्थापिका ईशसेविका माता मेरी बेर्नादेत्त प्रसाद किस्पोट्टा की भक्ति और प्रचार को बढ़ाने के लिए तीर्थयात्रा का आयोजन किया।

रांची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो ने झारखंड राज्य की राजधानी रांची से 32 किमी उत्तर पश्चिम में सिस्टर मेरी बेर्नादेत्त किस्पोट्टा की जन्मस्थली सरगाँव में 75 पुरोहितों के साथ पवित्र मिस्सा समारोह का अनुष्ठान किया, जिसमें करीब चार हजार विश्वासियों ने भाग लिया। मिस्सा की शुरुआत प्रवेश नृत्य और हाथों की पारंपरिक धुलाई से हुई। पवित्र मिस्सा में विभिन्न धर्मसमाजों से 1,000 से अधिक धर्मबहनें भी शामिल थीं।

कार्यक्रम की शुरुआत रोजरी प्रार्थना के पाठ से हुई। प्रतिभागियों ने हाथ में बैनर और ईशसेविका माता किस्पोट्टा की तस्वीर लिए पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ गाते हुए रोजरी माला का जाप किया। पवित्र मिस्सा के पूर्व सिस्टर अनुपा कुजूर ने माता मेरी बेर्मीदेत्त के जीवन पर प्रकाश डाला।

सिस्टर बेर्नादेत्त को 7 अगस्त, 2016 को ईश सेविका घोषित किया गया था।

महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स ने अपने प्रवचन में, संत अन्ना धर्मसमाज से ईश सेविका माता मेरी बेर्नादेत्त की 16 अप्रैल वास्तविक पुण्यतिथि को प्रार्थना तीर्थयात्रा के दिन के रूप में मनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ईश्वर जो सदा अपने आप को प्रकट करते हैं, उसने ईशसेविका माता मेरी बेर्नादेत्त के माध्यम से अपने को प्रकट किया है और प्रकट कर रहे हैं। जैसा कि माता बेर्नादेत्त लोकप्रिय रूप से जानी जाती हैं। माता बेर्नादेत्त बहुत ही साहसी महिला थीं, वे अनेक चुनौतियों के बावजूद अपने विश्वास में अडिग रही और धर्मसमाज की स्थापना की। वे सदैव लोगों की उद्धार चाहती थीं।

महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स ने छोटानागपुर की आदिवासी कलीसिया को आशीर्वाद देने के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया, जिसकी शुरुआत बेल्जियम के जेसुइट मिशनरी फादर ऑगस्टस स्टॉकमैन से हुई, वे 24 नवंबर, 1868 को कलकत्ता से चाईबासा आए थे। उन्होंने 1873 में चाईबासा के पास खुंटपानी गांव में चार बच्चों सहित आठ परिवारों के 28 लोगों को बपतिस्मा दिया। उसके बाद बेल्जियम के मिशनरी फादर कोंस्टंट लीवंस और फादर हेरमन रासकर्ट ने इस क्षेत्र में कलीसिया की एक मजबूत नींव रखी। उन्होंने यह भी कहा कि फादर लीवंस को छोटानागपुर के प्रेरित के रूप में सम्मानित किया जाता है। छोटानागपुर के प्रेरित, ईशसेवक फादर कोंस्टंट लीवंस ने अपनी कड़ी मेहनत से लोगों को प्रभु का साक्ष्य दिया।

पवित्र मिस्सा के बाद संत अन्ना की पुत्रियों के धर्मसमाज की परमाधिकारिणी सिस्टर लिली ग्रेस टोपनो ने अपने संदेश में कहा कि माता बेर्नादेत्त ने हर चुनौती की सामना धैर्य, विवेक, न्याय और संयम से किया। उन्होंने 66वर्षों तक कलीसिया एवं लोगों की सेवी की। आज उसी कार्य को 1135 धर्मबहनें शिक्षा, सेवा और समाज सेवा के माध्यम से कर रही हैं। वे अब भारत के अलावा इटली और जर्मनी में भी अपनी सेवा दे रही हैं।

मिस्सा के बाद लोगों ने तीर्थालय में ईशसेविका माता मेरी बेर्नादेत्त को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके घर गए। वे घर के भीतरी आँगन के कुएँ से पानी भरकर अपने साथ लिये। लोगों का मानना है कि पानी चमत्कारी है और कई लोग विभिन्न बीमारियों से ठीक हो चुके हैं।

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24 April 2023, 15:44