सिनॉडल तरीके से आप्रवासियों के साथ काम करने हेतु भारतीय धर्माध्यक्षों का आह्वान
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
बैंगलोर, 17 मार्च 2023 : भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीसीबीआई) के आप्रवासियों एवं शरणार्थी के लिए गठित राष्ट्रीय आयोग ने आप्रवासियों तक सिनॉडल तरीके से पहुँचने पर विचार करने के लिए बैंगलोर में एक सभा का आयोजन किया।
लातीनी रीति के भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के लिए गठित राष्ट्रीय आयोग ने 12 से 14 मार्च को, क्षेत्रीय सचिवों की तीन दिवसीय सभा का आयोजन बैंगलोर महाधर्मप्रांत के प्रेरितिक केंद्र पालना भवन में किया था, ताकि समाज एवं संस्थाओं में भले समारी के मनोभाव को बढ़ावा दिया जा सके।
सभा में वाटिकन के समग्र मानव विकास के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग एवं जेनेवा के अंतरराष्ट्रीय काथलिक आप्रवासी आयोग के प्रतिनिधियों ने भी उपस्थित थे।
सभा की विषयवस्तु थी, “भारत के बहुसांस्कृतिक संदर्भ में आप्रवासियों की प्रेरितिक देखभाल: एक सिनॉडल मार्ग।"
आप्रवासियों का स्वागत, सुरक्षा, प्रोत्साहन और एकीकरण
सीसीबीआई के आप्रवासियों के लिए गठित राष्ट्रीय आयोग द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि आप्रवासियों की सेवा उन्हें निर्भर बनाने के लिए नहीं है, बल्कि मजबूत बनाने की दिशा में है। समाज की मुख्यधारा में उनका स्वागत, संरक्षण, प्रोत्साहन और एकीकरण करके, आप्रवासियों और विस्थापितों को यह महसूस कराना है कि वे उनमें से एक हैं और वे गरिमा और स्वतंत्रता से जी सकते हैं।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि सम्मेलन ने महत्वपूर्ण कदम के रूप में सुझाव दिया है कि कलीसिया की प्राथमिकता, आप्रवासियों के जीवन एवं उनकी मानव प्रतिष्ठा की रक्षा होनी चाहिए। उसे आप्रवासियों की देखभाल हेतु प्रेरितिक दिशानिर्देश एवं संत पापा की शिक्षा को लेते हुए कलीसियाई जीवन के विभिन्न क्रियाकलापों में उसे लागू करना चाहिए।
आप्रवासियों का सशक्तिकरण
सम्मेलन में कहा गया है कि क्षेत्रीय सचिव अपने धर्मप्रांतीय समकक्ष के सहयोग से योजनाओं की रूपरेखा तैयार करेंगे जहाँ आप्रवासी अपने सशक्तिकरण हेतु कार्यक्रमों के लिए निर्णय लेने के हिस्से होंगे। संस्थानों में और व्यक्तियों के बीच भले समारी के मनोभाव को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए समय-समय पर क्षेत्रीय आयोग द्वारा सभा आयोजित की जायेगी।
आप्रवासियों की देखभाल के लिए गठित आयोग के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष विक्टर ठाकुर ने आप्रवासियों की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, इस मुद्दे का सामना एक साथ करने हेतु अंतरधार्मिक वार्ता पर जोर दिया।
बैंगलोर के महाधर्माध्यक्ष पीटर मचाडो ने धर्मप्रांतों में आप्रवासियों की प्रेरिताई के लिए काम करनेवाले धर्मसमाजियों की ओर ध्यान खींचा तथा कहा कि वे आप्रवासियों की देखभाल में अधिक अच्छी भूमिका निभा सकते हैं।
पोप फ्राँसिस की इच्छा, सिनॉडल कलीसिया सबसे कमजोर लोगों तक पहुँचे
वाटिकन से समग्र मानव विकास हेतु गठित परमधर्मपीठीय विभाग के उपसचिव मोनसिन्योर फाबियो बज्जो ने सिनॉडालिटी में संत पापा फ्राँसिस की इच्छा और अपेक्षाओं को प्रकट करते हुए कहा कि सिनॉड एक सहभागी कलीसिया की मांग करती है और यह सभी विश्वासियों के एक साथ मिलकर सबसे जरूरतमंद एवं सुदूर क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों तक पहुँचने की उम्मीद करती है।
उन्होंने आगे कहा कि कलीसिया के धर्मगुरूओं को भारत के पीड़ित आप्रवासी श्रमिकों की समस्याओं एवं संघर्षों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। जो महामारी एवं देश में आर्थिक गति कमजोर होने के कारण अधिक परेशान एवं तबाह हुए हैं।
अंतरराष्ट्रीय आप्रवासी आयोग की अध्यक्ष ख्रीस्तीने नाथन ने गौर किया कि उन कलीसियाओं में भेदभाव और विभाजन हैं जहाँ आप्रवासियों को बाहरी लोगों के रूप में देखा जाता है एवं उनका पूरे हृदय से स्वागत नहीं किया जाता है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय कलीसियाओं को आत्मनिरीक्षण और नवीनीकरण करना चाहिए, उन्हें आप्रवासी भाई और बहन में येसु के चेहरे को खोजने की जरूरत है जो अपनी आजीविका के लिए रोजगार की तलाश में एक नए स्थान पर आ जाते हैं। उन्हें उनके रंग, आस्था और धर्म पर ध्यान दिये बिना एक मानव के रूप में देखना चाहिए।
14 क्षेत्रों के सचिवों के साथ कार्यकारी सचिव फादर जैसन वाडसेरी ने आगे निर्णय लिया कि प्रत्येक धर्मप्रांत को एक आप्रवासी प्रकोष्ठ शुरू करना होगा, जहाँ आप्रवासियों के लिए न्यूनतम सेवाएँ उपलब्ध हों।
स्रोत और गंतव्यों में विभिन्न धर्मप्रांतों और धर्मसमाजों एवं नागरिक समाज संगठनों के बीच नेटवर्किंग कार्य को समन्वयित करना होगा, इसे अधिक प्रभावी ढंग से व्यवस्थित करने में मदद मिलेगी।
आप्रवासियों को स्वयं सशक्त बनाना होगा ताकि वे संकट में अन्य आप्रवासियों तक पहुंचने के लिए एजेंट बन सकें, जो मानव तस्करी और बंधुआ मजदूरी एवं गुलामी जैसी बुराइयों के खतरे में हैं।
आप्रवासियों की प्रेरिताई कलीसिया का न केवल एक साधारण कार्य है बल्कि यह कलीसिया के केंद्र में है और इसकी एक बुलाहट है, “जब मैं परदेशी था तुमने मुझे अपने यहाँ ठहराया।”
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