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2023.02.28 कोड़ा मारने का स्तंभ 2023.02.28 कोड़ा मारने का स्तंभ 

संत प्राक्सिदिस महागिरजाघर में रखा गया कोड़ा मारने का स्तंभ, एक रहस्य

रोमन महागिरजाघर संत प्राक्सिदिस के एक चैपल में पारंपरिक रूप से स्तंभ को उजागर किया गया है, जिसमें ईसा मसीह को कोड़े मारने के लिए बांधा गया था। एक प्राचीन और गूढ़ भक्तिमय वस्तु जो अवशेषों के गहन अर्थ पर सवाल उठाती है।

माग्रेट सुनीता मिंज - वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, 07 मार्च 2023 (वाटिकन न्यूज) : प्रारंभिक ख्रीस्तियों का महागिरजाघर संत प्राक्सिदिस के दाहिने गलियारे में संत जेनोने के चमकदार और शानदार पवित्र कक्ष के बगल में, एक छोटा सा चैपल है, जहां एक छोटे से स्वर्ण मंदिर के अंदर, एक अवशेष के रुप में एक छोटे काले और सफेद पत्थर के स्तंभ का प्रदर्शन किया गया है। कहा जाता जाता है कि उस स्तंभ में मसीह को कोड़े मारने के लिए बांधा गया था। यह स्वर्ण मंदिर नोव्यू शैली मेंकलाकार डुइलियो कंबेलोटी द्वारा वर्ष 1898 में बनाया गया था।

संत प्राक्सिदिस महागिरजाघर के अंदर संत जेनोने के चैपल की छत पर पेंटिंग
संत प्राक्सिदिस महागिरजाघर के अंदर संत जेनोने के चैपल की छत पर पेंटिंग

एक विलक्षण वास्तु तत्व

यह स्तंभ केवल 63 सेंटीमीटर लंबा और आधार पर व्यास में लगभग 40 सेंटीमीटर है। पत्थर एक प्रकार का ग्रेनाइट, गैब्रो डायराइट है, जिसमें बड़े सफेद क्रिस्टल हैं, जो पूर्वी मिस्र के रेगिस्तान के उत्तरी भाग में पाये जाते हैं। यह दूर, अभेद्य और रेगिस्तानी जगह है। उत्खननकर्ता शायद सबसे गरीब सामाजिक वर्गों के थे, बिना किसी आशा के ऊर्ध्वाधर दीवारों पर चढ़ने के काम के लिए फेंक दिए गए और इस पत्थर पर काम करना भी मुश्किल था, हालाँकि यह बहुत मूल्यवान था। रोम में इसका आयात जूलियुस क्लॉदियुस काल में, यानी पहली शताब्दी की शुरआत में होता था। स्तंभ का आकार एक ट्रेपोज़ोफोर, एक मेज के लिए एक आधार या एक लैब्रम, एक बेसिन का सुझाव देता है, लेकिन यह कोड़ा मारने के स्तंभ को भी बाहर नहीं करता है।

कोड़ा मारना, क्रूर यातना

प्राचीन रोम में कोड़ा मारना एक बहुत व्यापक यातना थी,  तेज सिरों वाला एक कोड़ा जो मांस को चीर देता था। सिसरो याद करते हुए कहते हैं कि प्रत्येक घर, आलीशान घर में एक स्तंभ होता था जिसपर वे अपने दासों को बाँध सकते थे और उन्हें दंडित कर सकते थे। हम यह भी जानते हैं कि कोड़ा मारना हमेशा मृत्युदंड से पहले होता है, विशेष रूप से सूली पर चढ़ाने से पहले। सुसमाचारों में कभी भी किसी स्तंभ का उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन एक असमान तरीके से मसीह को कोड़े मारने की बात पर तीनों सुसमाचार सहमति में बोलते हैं (मारकुस 15, 15; मत्ती 27, 26, योहन 19, 1), जबकि संत लूकस एक सामान्य सजा को संदर्भित करते हैं। (लूकस 23, 22)

पहला गवाह

383 में येरूसलेम में पवित्र शुक्रवार धर्मविधि के दौरान इसके बारे में बात करने वाले एगरिया पहले व्यक्ति थे: “सूरज अभी तक नहीं निकला है; धर्मविधि समाप्त होने के बाद, हर कोई कोड़े मारने के खंभे के पास प्रार्थना करने के लिए सियोन की ओर दौड़ता है।"। एगरिया जिस जगह की बात करता है। सियोन पर्वत, उस स्थान से मेल खाता है जहां प्रेरितों का गिरजाघर खड़ा है।

रोम में स्तंभ

सदियों बाद, 1223 में पांचवें धर्मयुद्ध के दौरान, कार्डिनल जोवान्नी कोलोना द्वारा स्तंभ को येरूसालेम से रोम लाया गया होगा। दोनों तरीकों से पढ़ा जा सकता है: प्रमाण है कि यह एक आविष्कार है, संत पापा होनोरियस तृतीय के परोपकार को प्राप्त करने की एक चाल या, इसके विपरीत, एक दैवीय उपहार, जैसा कि वह स्वयं मानते थे। स्तंभ को संत प्राक्सिदिस महागिरजाघर में रखा गया था, जो कार्डिनल के स्वामित्व में था। स्तंभ के समारोह को परमधर्मपीठ द्वारा अनुमोदित किया गया था और चालीसा के चौथे रविवार को मनाया जाता था।

ऐसा भी कहा जाता है कि लोहे की अंगूठी जो स्तंभ के शीर्ष पर बंधी हुई थी, रस्सी को पास करने और कलाई बांधने के लिए, 1240 में फ्रांस के राजा ने संत पापा लुइस नवें को दान कर दी गई थी। 1585 में संत पापा सिक्सतुस पंचम ने पादुआ शहर के निवासियों को स्तंभ का एक टुकड़ा दान किया।

अवशेषों की मौलिकता पर सदियों पुराना प्रश्न

स्तंभ की प्रामाणिकता के संबंध में आपत्तियाँ स्तंभ की कम ऊँचाई से शुरू होती हैं, जैसा कि 63 सेंटीमीटर बताया गया है, जो निंदा करने वाले व्यक्ति को अप्राकृतिक आसन मानकर यातना सहने के लिए मजबूर करती। लेकिन सटीक रूप से यह विवरण इसे मौलिक बनाता है: कोड़े मारने के चाबुक को महत्वपूर्ण अंगों को नहीं छूना चाहिए, क्योंकि इससे मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए, सामने हृदय क्षेत्र घायल नहीं होना चाहिए। इसलिए इतने कम उँचाई वाले स्तंभ से बंधे, कैदी को आगे झुकने के लिए मजबूर किया जाता था ताकि शरीर के सामने के हिस्से याने छाती को मारपीट से बचाया जा सके। इस संबंध में, संत प्राक्सिदिस के स्तंभ की एक समान ऊंचाई होगी।

संत प्राक्सिदिस के कलात्मक स्तंभ

येसु को कोड़ा मारा जाना विशेष रूप से नाटकीय और क्रूर प्रतिमा व्यापक है और छोटों से लेकर बड़ों तक,  कई कलाकारों ने खुद को इसके खिलाफ मापा है। पिएरो देल्ला फ्रांसेस्का के ब्रामांटे और कारावाजो के बारे में सोचें।

माइकेल अंजेलो मेरिसी का कारावाजो, ख्रीस्त को कोड़ों की मार (1606-1607), मुसी डेस बीक्स-आर्ट्स, रूएन
माइकेल अंजेलो मेरिसी का कारावाजो, ख्रीस्त को कोड़ों की मार (1606-1607), मुसी डेस बीक्स-आर्ट्स, रूएन

स्तंभ हमेशा लंबा और पतला होता है, जिसे प्राचीन प्रकार की मूर्ति द्वारा ताज पहनाया जाता है। या कल्पना की गई जैसे कि इस पेंटिंग की रूपरेखा में है, ऊपर की ओर, जैसा कि एंटोनेलो दा मेस्सिना के मामले में है। स्तंभ अपने आप में संपूर्ण गैर ख्रीस्तीय दुनिया को समेटे हुए है। उनके बलिदान के साथ, मसीह की आकृति इसका प्रतिरूप, इसका प्रतिदान है।

अगुस्तीन चाम्पेल्ली ‘ख्रीस्त को कोड़े मारना’, फ्रेस्को, 1594-1604, संत प्राक्सिदिस महागिरजाघर, रोम
अगुस्तीन चाम्पेल्ली ‘ख्रीस्त को कोड़े मारना’, फ्रेस्को, 1594-1604, संत प्राक्सिदिस महागिरजाघर, रोम

इसके बजाय संत प्राक्सिदिस महागिरजाघर, में रखे गये छोटे शंक्वाकार के स्तंभ, साथ ही महागिरजाघर की कुछ भित्तिचित्रों में इसका पता लगाया जाता है, जैसा कि फ्लोरेंस के कलाकार पेंटर अगुस्तीन चामपेल्ली के फ्रेस्को में भी पाया जाता है। कहीं और, जैसे कि दूतों के पुल में एक दूत ने संत प्राक्सिदिस महागिरजाघर के कोड़े के स्तंभ को पकड़े हुए है। यह सबसे सुंदर है और मूर्ति के आधार पर प्रतीकात्मक शिलालेख: "मेरा सिंहासन एक स्तंभ पर है।" (प्रवक्ता ग्रंथ 24, 7) यह मूर्ति अंतोनियो राज्जी द्वारा बनाई गई है, जो बर्नीनी के एक डिजाइन पर आधारित है, जिनके वे सहयोगी और शिष्य थे।

बर्निनी द्वारा डिजाइन किये जाने के बाद, अंतोनियो राज्जी द्वारा 1669 में बनाई गई गई मूर्तिः ‘दूतों के पुल में कोड़े के स्तंभ को हाथों में लिए हुए एक दूत’
बर्निनी द्वारा डिजाइन किये जाने के बाद, अंतोनियो राज्जी द्वारा 1669 में बनाई गई गई मूर्तिः ‘दूतों के पुल में कोड़े के स्तंभ को हाथों में लिए हुए एक दूत’

17 वीं शताब्दी के बाद से, ख्रीस्त को कोड़े मारे जाने के रोमन स्तंभ की प्रतीकात्मकता में व्यापक रूप से फैल गया। टुस्काना के विभिन्न कलाकारों के साथ-साथ वेनेतो और अन्य क्षेत्रों से भी इसकी भक्ति के प्रसार के संकेत हैं। विशेष रूप से बादिया फ़िसोलाना में एक पेंटिंग, सत्रहवीं शताब्दी का एक गुमनाम फ्लोरेंटाइन कलाकार स्तंभ की काली पृष्ठभूमि पर विशिष्ट सफेद क्रिस्टल को भी सावधानीपूर्वक चित्रित करने में विफल नहीं होता है।

गुमनाम फ्लोरेंस वासी, ख्रीस्त को कोड़े मारा जाना, 17वीं सदी, बादिया फिसोलाना (फ्लोरेंस) © संस्थान ज़ेरी
गुमनाम फ्लोरेंस वासी, ख्रीस्त को कोड़े मारा जाना, 17वीं सदी, बादिया फिसोलाना (फ्लोरेंस) © संस्थान ज़ेरी

अवशेष का अर्थ

स्तंभ एक वस्तु है जो जितना संभव हो उससे अधिक नहीं कह सकता। यह टिटुलुस क्रूस जैसा शिलालेख नहीं है और न ही यह कफन का विस्तृत नक्शा है। हालाँकि, यह एक ऐसा तत्व है जो दुःखभोग की कहानी में सामंजस्यपूर्ण रूप से फिट बैठता है। संत प्राक्सिदिस महागिरजाघर, दूसरी शताब्दी में जीने वाली उसी नाम की लड़की के जीवन से जुड़ी हुई है, जिसने सताए गए ख्रीस्तियों को दफनाने के लिए उन्हें छिपाने की पूरी कोशिश की थी। परंपरा के अनुसार, शहीदों के खून को उसके द्वारा स्पंज से सुखाया गया और गिरजाघर के केंद्र में स्थित कुएँ में एकत्र किया गया, जहाँ पोर्फिरी डिस्क है। (पोर्फिरी- सफ़ेद या लाल स्‍फटिकों से युक्‍त कड़ी चटृटान जो प्राचीन मिस्र में पाई जाती है)

कोड़े मारने का स्तंभ, इसलिए, मसीह के दुःखभोग का गवाह है जिसमें शहीदों का बलिदान परिलक्षित होता है। महागिरजाघर में संरक्षित बड़ी संख्या में अवशेष इस संबंध को याद कराते हैं। संत प्राक्सिदिस के स्तंभ की भक्ति भौतिक ऐतिहासिक साक्ष्यों से जुड़ा नहीं है, बल्कि इतिहास की एक वास्तविक स्मृति है।

फ्रांसेस्को गायी द्वारा बनाये गये चित्र, येसु कोड़े के स्तंभ से बंधे (1889)
फ्रांसेस्को गायी द्वारा बनाये गये चित्र, येसु कोड़े के स्तंभ से बंधे (1889)

कोड़े के अन्य स्तंभ

कोड़े का रोमन स्तंभ एकमात्र स्तंभ नहीं है। दूसरा येरुसालेम में येसु के कब्र के महागिरजाघर में पाया जाता है, जिसके बारे बॉरदॉ के एक अनाम तीर्थयात्री ने 333 के एक लेख में किया है, जबकि येरूसालेम के संत सिरिल ने 348 के एक धर्मशिक्षा में इसका उल्लेख किया है। कुछ अध्ययन दोनों परंपराओं को संदर्भित करने का प्रयास करते हैं। मसीह को दो अलग-अलग जगहों में कोड़े मारे जाना: पिलातुस के साथ प्रेटोरियम में पहला और कैफा के महल में दूसरा। माना जाता है कि अभी भी दो अन्य कोड़े मारे गये स्तंभ हैं: इस्तांबुल में और बोलोन्या के पवित्र कब्र के महागिरजाघर में।

अलेसांद्रो अल्गार्डी, येसु को कोड़े मारा जाना, 17वीं शताब्दी, सोने का पानी चढ़ा हुआ कांस्य, प्राचीन हरा संगमरमर, 24.2 सेमी (सबसे लंबा आंकड़ा), फिजविलियम संग्रहालय, कैम्ब्रिज (कैम्ब्रिजशायर, यूनाइटेड किंगडम)  ज़ेरी फाउंडेशन
अलेसांद्रो अल्गार्डी, येसु को कोड़े मारा जाना, 17वीं शताब्दी, सोने का पानी चढ़ा हुआ कांस्य, प्राचीन हरा संगमरमर, 24.2 सेमी (सबसे लंबा आंकड़ा), फिजविलियम संग्रहालय, कैम्ब्रिज (कैम्ब्रिजशायर, यूनाइटेड किंगडम) ज़ेरी फाउंडेशन

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07 March 2023, 11:31