खोज

“चिंतन बैठक”  संबलपुर धर्मप्रांत के पुरोहित, धर्मबहनें, लोकधर्मी तथा समाज विकास और विशेषकर, पलायन संबंधी गतिविधियों से जुड़े गैर-सरकारी संगठनों के कार्यकर्ता “चिंतन बैठक” संबलपुर धर्मप्रांत के पुरोहित, धर्मबहनें, लोकधर्मी तथा समाज विकास और विशेषकर, पलायन संबंधी गतिविधियों से जुड़े गैर-सरकारी संगठनों के कार्यकर्ता 

आप्रवासी मुद्दे पर संबलपुर में एक “चिंतन बैठक”

संबलपुर धर्मप्रांत ने “व्यथित आप्रवासी” समस्या के मद्देनजर एक सभा का आयोजन किया और आप्रवासियों के जीवन में सुधार लाने हेतु उनकी मदद एकजुट होकर करने पर प्रतिबद्धता दिखाई।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

“व्यथित आप्रवासी” मुद्दे पर संबलपुर धर्मप्रांत के सोशल सर्विस सोसाईटी ने 13 फरवरी 2023 को एक “चिंतन बैठक” का आयोजन किया। बैठक में पुरोहितों, धर्मबहनों, लोकधर्मियों तथा समाज विकास और विशेषकर, पलायन संबंधी गतिविधियों से जुड़े गैर-सरकारी संगठन के कार्यकर्ताओं समेत कुल 30 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

धर्मप्रांत के द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, नई दिल्ली में, भारतीय सामाजिक संस्थान के पलायन मामलों के कार्य प्रभारी फादर मार्टिन ने परेशान आप्रवासी मुद्दे का सामना करने के लिए स्थापित विशेष पहल, “MAIN” (आप्रवासी सहायता एवं सूचना नेटवर्क) का दिशानिर्देश प्रस्तुत किया। पहल की शुरूआत कोविड-19 के बाद “तंगहाली में जी रहे आप्रवासियों तक समन्वित, सामूहिक और नवीनीकृत” पहुँच के साथ स्थिति पर ध्यान देने के लिए फरवरी 2021 को की गई थी। 

फादर मार्टिन ने बतलाया कि इस पहल के तहत व्यथित आप्रवासियों, उनके परिवारों और उनसे जुड़े लोगों के लिए एक राष्ट्रीय हेल्पलाईन (टोल फ्री न. 18008912995) सिस्टम जारी किया गया था ताकि वे संकट के समय में सूचना और सहायता की खोज कर सकें।

उन्होंने कहा कि “यह मॉडल आप्रवासियों की समस्याओं का एकमात्र समाधान नहीं है लेकिन यह आप्रवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना एवं उनके लिए एक गरिमामय जीवन को बढ़ावा देना भी चाहता है। यह एक विचारधारा को काम योग्य एवं टिकाऊ मॉडल में परिणत करने का प्रयास है।”

पहल के मुख्य उद्देश्य

इस पहल के मुख्य उद्देश्य हैं हेल्पलाईन सिस्टम के द्वारा आप्रवासियों की मदद करना; आप्रवासियों के फोन कोल का उत्तर देना एवं विभिन्न सेवाओं के द्वारा उनकी मदद करना; आप्रवासियों के कारणों के लिए उपयुक्त हितधारकों के साथ मध्यस्थ करना।

चिंतन बैठक में राँची के बगैचा से फादर सेबास्तियन लकड़ा येसु समाजी ने आप्रवासी कामगारों खासकर, मध्य भारत (झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा) के आप्रवासी मजदूरों पर एक अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने बतलाया कि कोविड-19 लॉकडाऊन के दौरान झारखंड के 7 लाख, ओडिशा से 10,07,330 और छत्तीसगढ़ से 10.85 लाख से अधिक आप्रवासी मजदूर विभिन्न शहरों में फंसे हुए थे और उन्होंने सहायता की मांग की। उन्होंने गौर किया कि आप्रवासी मजदूर हाशिये पर जीवनयापन करनेवाले समुदाय (आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्ग) से आते हैं। फादर सेबास्तियन ने प्रतिभागियों का आह्वान किया कि वे व्यथित आप्रवासियों की जरूरतों में उनका प्रत्युत्तर दें।

आप्रवासी सहायता एवं सूचना नेटवर्क
आप्रवासी सहायता एवं सूचना नेटवर्क

सभा में उपस्थित सदस्यों ने भी आप्रवासियों के साथ काम करने का अपना अनुभव साझा किया तथा बतलाया कि वे इस मुद्दे के समाधान हेतु किस तरह प्रयास कर रहे हैं।

संबलपुर के सोशल सर्विस सोसाईटी के निदेशक फादर अल्फोंस टोप्पो ने सुरक्षित आप्रवासन एवं इस मुद्दे के समाधान हेतु विभिन्न संगठनों के प्रयासों के लिए उनकी सराहना की।

परेशान आप्रवासी मुद्दे की गंभीरता पर चिंतन करने हेतु सभा के प्रतिभागियों से फादर अल्फोंस ने आग्रह किया कि वे इस मुद्दे का सामना, इसके स्रोत और गंतव्य पर सहयोग करते हुए करें। 

पलायन के पीछे स्थानीय रोजगार के विकल्पों की कमी को प्राथमिक कारण बताया जाता है। लोग काम की खोज में अपना घर छोड़कर बड़े शहर की ओर पलायन करते हैं और कई बार मानव तस्करी, असुरक्षा और शोषण आदि के शिकार बनते हैं।

आप्रवासी समस्या एक विश्वव्यापी समस्या

आप्रवासी समस्या आज एक विश्वव्यापी समस्या बन गई है। विश्वभर में जारी हिंसा, युद्ध, प्राकृतिक आपदा, विस्थापन और गरीबी के कारण लाखों लोग आप्रवासी बनकर नौकरी एवं सुरक्षित स्थान की खोज में एक जगह से दूसरे जगह जा रहे हैं। कुछ ही दिनों पहले तुर्की से इटली आ रही एक नाव के टूट जाने से 71 आप्रवासियों की मौत हो गई। इस घटना पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने मानव तस्करों की निंदा की थी। उन्होंने कहा था कि “मानव तस्करों को रोका जाना चाहिए, इतने सारे निर्दोष लोगों के जीवन को समाप्त नहीं किया जाना चाहिए था! आशा की यात्रा फिर कभी मृत्यु की यात्रा में न बदले! भूमध्यसागर का साफ पानी अब फिर कभी ऐसी भयावाह घटनाओं से रक्तरंजित न हो! प्रभु हमें समझने और रोने की शक्ति दें।”   

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

09 March 2023, 17:23