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2023.03.03अदीस अबाबा में धर्मसभा महाद्वीपीय सभा के प्रतिभागी 2023.03.03अदीस अबाबा में धर्मसभा महाद्वीपीय सभा के प्रतिभागी 

अफ्रीकी महाद्वीपीय सभा: प्रतिनिधियों ने धर्मसभा प्रक्रिया की समा

अदीस अबाबा, इथियोपिया में वर्तमान में हो रही महाद्वीपीय धर्मसभा सभा में, प्रतिनिधियों ने सिनॉडल प्रक्रिया के अपने अनुभवों को साझा किया और प्रक्रिया के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त की जो अक्टूबर 2021 में शुरू हुई थी।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

अदीस अबाबा, शनिवार 04 मार्च 2023 (वाटिकन न्यूज) : अफ्रीका और मडागास्कर के धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ (एसईसीएएम) के तहत महाद्वीपीय सभा अदीस अबाबा, इथियोपिया में शुरू हुई, जहाँ दो सौ से अधिक प्रतिनिधि धर्मसभा पर धर्मसभा के महाद्वीपीय चरण के दस्तावेज़ पर विचार करने के लिए एकत्रित हुए हैं। यह सभा 1 से 6 मार्च तक चलेगी।

 दस के समूहों में विभाजित, कार्डिनलों, धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्मबहनों, अफ्रीका भर के लोकधर्मियों और युवाओं ने धर्मसभा प्रक्रिया के पिछले डेढ़ वर्षों में जो अनुभव किया और सीखा है, उसे साझा किया।

"अफ्रीका में कलीसिया द्वारा धर्मसभा का स्वागत किया गया है क्योंकि यह पहले से ही यहाँ अफ्रीका में हमारे काम करने के तरीके का हिस्सा रहा है। एकमात्र चिंता यह है कि कुछ अजीब विचार हैं जो धर्मसभा के माध्यम से फैलाए जा रहे हैं," अंग्लोफोन देशों के एक समूह ने व्यक्त किया।

समावेशिता और रूपांतरण

साथ ही, सराहना व्यक्त की गई कि धर्मसभा प्रक्रिया ने भविष्य में कलीसिया बनने के तरीके के रूप में समावेशिता को प्रोत्साहित किया है। उसी एंग्लोफोन समूह ने कहा, "हमें लगता है कि कलीसिया को उन लोगों को शामिल करने की आवश्यकता है जो उपेक्षित महसूस करते हैं, विशेष रूप से महिलाएं, युवा और विकलांग लोग। हमने यह भी देखा है कि हमने पेंटेकोस्टल आंदोलनों और एटीआर में कई ख्रीस्तियों को खो दिया है। इस घटना पर आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है।

"धर्मसभा प्रक्रिया समावेश का एक अच्छा अभ्यास है जिसे परिवर्तन की भावना के साथ प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, हमने इस प्रक्रिया में महसूस किया कि पवित्र आत्मा अफ्रीका में एक कलीसिया के रूप में हमें युवा, महिलाएं, विकलांग सभी को एक साथ चलने के लिए आमंत्रित कर रहा है - साथ ही, कलीसिया के स्वामित्व पर, धर्मसभा ने इस तथ्य को रेखांकित किया है कि कलीसिया हम सभी की है। इसलिए, लोकधर्मी जिम्मेदारी ले रहे हैं, वे कलीसिया को बेहतर बनाने के लिए पहल करने के लिए स्वतंत्र हैं। जाहिर है, हम ध्यान देते हैं कि यह एक सतत प्रक्रिया है लेकिन इसे अफ्रीका में कलीसिया होने का तरीका बनना चाहिए," दो अन्य अंग्लोफोन समूहों ने व्यक्त किया।

एक अधिक सहभागी और सुनने वाला मॉडल

फ्रैंकोफोन (फेंच बोलने वाले) समूहों की ओर से, प्रतिनिधियों ने कलीसिया की पिरामिड संरचना की ओर इशारा किया, जो कि कलीसिया के एक नए और अधिक सहभागी और सुनने वाले मॉडल को रास्ता देना चाहिए।

"धर्मसभा प्रक्रिया को कलीसिया की जीवन शैली के रूप में अपनाया जाना चाहिए। विश्वासियों की भागीदारी और प्रतिबद्धता जरूरी है। सिनॉडल प्रक्रिया का ढांचा हम सभी को मिशनरी होने के लिए कहता है, जो हमें दिए गए मिशन पर जवाबदेही की मांग करता है," एक समूह ने बताया।

एक अन्य समूह ने कहा, "धर्मसभा कलीसिया की एक शैली है जो सुलह की प्रक्रिया को भी सामने ला सकती है। कलीसिया की ऐसी संरचना केवल सिनॉडालिटी की भावना से सुधार कर सकती है और उन ख्रीस्तियों के लिए संस्कारों तक पहुंच को खोल सकती है जो बपतिस्मा और पवित्र परमप्रसाद जैसे संस्कारों को प्राप्त करने के लिए मना किये गये हैं।"

महिलाओं और युवाओं की भूमिका

प्रतिनिधियों ने एक स्वर में यह भी कहा कि धर्मसभा ने भविष्य की कलीसिया में महिलाओं और युवाओं की भूमिका के बारे में कुछ अंतर्दृष्टि प्रकट की है।

“महिलाएं कलीसिया की प्रमुख सदस्य हैं; महिलाओं के कई समूह हैं जिन्हें पीछे छोड़ दिया जा रहा है और उन्हें कलीसिया और समाज में अपने उपहारों को साझा करने की अनुमति देने की आवश्यकता है। इसके अलावा, युवा कलीसिया को आशा का स्रोत मानते हैं। वे खुद को अभिव्यक्त करने का अवसर देने के लिए कह रहे हैं, उन्हें अपने जीवन को प्रभावित करने वाली नकारात्मक शक्तियों के प्रति चुप नहीं रहना चाहिए।”

सबके पास देने के लिए कुछ न कुछ है

अफ्रीका में धर्मसभा के अनुभव ने जिन अन्य पहलुओं को उजागर किया है, उनमें एकता की आध्यात्मिकता को बढ़ावा देने की मांग, लघु ख्रीस्तीय समुदायों और ख्रीस्तीय आंदोलनों के माध्यम से कलीसियाई संरचनाओं का रूपांतरण शामिल है, जो अपनेपन और स्वामित्व की भावना को बढ़ाएगा और याजकवाद की जोखिम का सामना करेगा।

"इस सब के लिए एक नई धर्मशिक्षा की आवश्यकता है," प्रतिनिधियों ने रेखांकित किया, साथ ही उन्होंने स्वीकार किया कि एक साथ यात्रा करना, हालांकि महत्वपूर्ण है, कठिन भी है और "धैर्य की आवश्यकता है क्योंकि इसका तात्पर्य सुधारों को सामने लाना है।" एक अन्य समूह ने कहा, "हर किसी के पास कलीसिया को देने के लिए कुछ है और सिनॉडालिटी एक दूसरे के सुनते हुए, निरंतर संचार की मांग करती है और कलीसिया में लोकधर्मी अपनी जिम्मेदारी को पूरा करते हैं और पुरोहितों के साथ सह-जिम्मेदारी निभाते हैं।"

जैसा कि प्रतिनिधियों ने पहला दिन समाप्त किया, इस साझाकरण ने सभा के शेष तीन दिनों में और अधिक आध्यात्मिक विवेक के लिए आधार तैयार किया।

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04 March 2023, 15:49