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2023.02.11 सिस्टर अल्फोंसा किवेन और उनकी बहनें बच्चों से घिरी बर्बेरती में धर्माध्यक्ष के परिसर में, 2015 2023.02.11 सिस्टर अल्फोंसा किवेन और उनकी बहनें बच्चों से घिरी बर्बेरती में धर्माध्यक्ष के परिसर में, 2015  #SistersProject

सिस्टर अल्फोंसा का मिशन युद्धग्रस्त मध्य अफ्रीका में उसकी उपस्थिति

सिस्टर अल्फोंसा किवेन ने संघर्ष के समय मध्य अफ्रीकी गणराज्य के अपने अनुभव को साझा किया, एक यात्रा "जहां मेरा विश्वास मजबूत हुआ और जहाँ मैंने अनुभव किया कि ईश्वर हमारी बहनों के सुसमाचार गवाही के माध्यम से कार्य कर रहे हैं।"

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 13 फरवरी 2023 (वाटिकन न्यूज) : संत फ्रांसिस की एक तृतीय ऑर्डर की धर्मबहनों में से एक सिस्टर अल्फोंसा किवेन ने नेतृत्व के पदों पर रहते हुए अपना अधिकांश जीवन बिताया है। अपने मूल कैमरून में प्रांतीय सुपीरियर होने के बाद, अब वह जनरल काउंसलर के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल में हैं। सिस्टर अल्फोंसा हमेशा एक मिशनरी बनना चाहती थी। वे अपने धर्मसमाजी जीवन का स्वर्ण जयंती मनाती हैं, वे पीछे मुड़कर देखती हैं और बताती हैं कि कैसे प्रभु ने उनकी इच्छा को बहुत ही अप्रत्याशित तरीके से पूरा किया...।

सिस्टर अल्फोंसा ने कहानी जारी रखा...

मैंने 'मिशन' को दिल में रखते हुए धर्मसमाज में प्रवेश किया। मेरा हमेशा एक सपना था…। मैंने नवशिष्यालय में संतों के जीवन के बारे में बहुत कुछ पढ़ा था। मैं हमेशा उन संतों को पसंद करती थी जो संघर्ष करते थे जब वे छोटे थे – संत फ्रांसिस, संत अगुस्टीन, बालक येसु की संत तेरेसा - और दूसरी बात, वे लोग जो अकेले मिशन पर जाते थे, बहुत दूर, चुनौतीपूर्ण जीवन जीते थे। इन कहानियों ने मुझे मोहित किया।

यहाँ जनरलेट में रहते हुए, मुझे कठिन मिशनों के लिए भेजा गया, विशेषकर युद्ध या संघर्ष की स्थितियों में। इसलिए, जब 2015 में मध्य अफ्रीका में संघर्ष हुआ था, तब हम डरावनी कहानियां सुनते थे। उस समय यह निर्णय लिया गया कि मैं मध्य अफ्रीकी गणराज्य जाऊं, क्योंकि जब मैं कैमरून की प्रांतीय सुपीरियर थी तब मैंने वहां दो मिशन शुरु किया था। इस वजह से, मध्य अफ्रीका के लिए मेरा विशेष स्नेह और लगाव रहा है। मध्य अफ्रीका के बारे में कोई भी बात मुझे भावुक बना देती थी।

हमने मध्य अफ्रीका के लिए चीजें इकट्ठा करना शुरू किया। तब मुझे अपने भीतर एक संघर्ष का अनुभव होने लगा - एक चुनौतीपूर्ण जगह पर मिशन के लिए मेरा प्यार और वास्तविकता - वह अलग थी। कई लोगों ने वादा किया कि वे मेरे लिए प्रार्थना करेंगे। मध्य अफ्रीका की मेरी यात्रा के दौरान एक बहन ने प्रतिदिन एक घंटे के लिए यूखरिस्त की आराधना की।

मैंने रोम छोड़ दिया और अपनी दो धर्मबहनों के साथ आगे बढ़ी। हमारे ट्रक को कैमरून की सेना ने सीमा तक छोड़ दिया। फिर, मैं जो महसूस कर रही थी उसे शब्दों में बयां करना बहुत मुश्किल है। मेरे मन में था, 'हम पर कहाँ हमला होगा?' मैं डर के कारण वाहन में अकड़ कर बैठी थी। हमने सीमा पर बहुत समय बिताया और रात हो रही थी। मैंने खुद से कहा, 'जब हम पर हमला होगा, तो पता भी नहीं चलेगा कि हम कहां मरे पड़े हैं।'

रोम में एकत्रित कम्बलों को उतारते हुए
रोम में एकत्रित कम्बलों को उतारते हुए

करीब 9:00 बजे चांदनी रात में हम बर्बेरती में धर्माध्यक्ष के परिसर में पहुंचे। गाड़ी की आवाज सुनते ही बच्चे बाहर आये और मेरे चारों ओर भीड़ लगा दिये। वे खुशी से नाच रहे थे और गा रहे थे, (माँ आ गई है)। उनकी खुशी देखकर मेरी आंखों से आंसू बह निकले। कुछ मेरे कपड़ों को खींच रहे थे और दूसरे चाहते थे कि मैं उन्हें गोद में लूँ। मैं केवल बच्चों से मिलने के लिए इतने डर, तनाव, जकड़न के साथ वहाँ पहुंची थी। उस समय केवल एक ही फ्रेंच शब्द मुझे याद था - मर्सी (धन्यवाद) - उस पल मेरे साथ क्या हो रहा था, मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती। मैं बच्चों की खुशी में खो गयी थी।

सिस्टर अल्फोंसा अपने आने के एक दिन बाद पैदा हुए बच्चे को गोद में लिए हुए
सिस्टर अल्फोंसा अपने आने के एक दिन बाद पैदा हुए बच्चे को गोद में लिए हुए

उस सप्ताह की मेरा अनुभवः मैं सुबह उठकर प्रार्थना करती थी। रात को हमें और लोगों को पहरा देने के लिए सैनिकों को धन्यवाद देने के लिए बाहर जाती थी, फिर बच्चों का अभिवादन करती और उन्हें भोजन खिलाती थी। (बच्चों को अच्छी तरह से खिलाया गया था)।

दिन के समय मैं विभिन्न समूहों के साथ मिलने जाती थी। वे सभी बहुत खुश थे यहां तक कि मुसलमान भी। । मैं उनके साथ नीचे बैठती थी - मुसलमानों के नेता ने एक दिन मुझसे कहा कि धर्माध्यक्ष और धर्मबहनें हमारे लिए अल्लाह की तरह हैं। उस वक्त मैंने ईश्वर का शुक्रिया अदा किया। मैं बस इतना कर सकती थी कि वहाँ खड़ी रहूँ और उस व्यक्ति को देखूँ। मुझे फ्रेंच में कोई भी शब्द याद नहीं आ रहा था।

एक धर्मबहन के कपड़ों से लटकते बच्चे
एक धर्मबहन के कपड़ों से लटकते बच्चे

मैंने बहनों के साथ भी समय बिताया, उनकी बातें सुनीं, जो लगभग एक साल तक जिस चुनौतीपूर्ण स्थिति में रहीं, उससे सदमे में थीं और अभिभूत थीं। मैंने उन्हें उनके विश्वास की गवाही और उपस्थिति और करुणा के फ्रांसिस्कन मूल्यों के लिए धन्यवाद दिया। मैंने उनसे कहा कि मैंने देखा है कि जब भी कोई धर्मबहन घर से बाहर जाती है तो बच्चे उनके हाबिट पर कैसे लटके रहते हैं। मैंने महिलाओं के साथ समय बिताया, उनकी बातें सुनीं। उन्होंने मुझे अपनी कहानियाँ सुनाईं - कितने लोग मारे गए, कुछ ने अपने पतियों को मरते देखा, बच्चों को अपने सामने मरते देखा, उनके घरों को जला दिया गया - सभी प्रकार के अत्याचार की कहानियाँ मैंने सुनी।

फिर मैं उनके गाँव गयी, एक जीवंत गाँव जहाँ मैं पहले जा चुकी थी। वहां एक खूबसूरत मस्जिद था। अब यह पूरी तरह जर्जर हो चुका था। मैं उस गाँव में ऐसे घूमती रही जैसे मैं किसी कब्रिस्तान में हूँ, और यह प्रश्न पूछ रही थी, 'क्यों प्रभु?'  और जब में कम्पाउन्ड लौट गई और कहा “मैने देख लिया” और उन्होंने उत्तर दिया “धन्यवाद”। वास्तव में मैं आसानी से नहीं रोती हूँ, लेकिन जैसे ही मैं वहां खड़ा हुई, आंसू स्वतः बहने लगे।

सिस्टर अल्फोंसा स्कूल के बाद छात्रों को कैंडी देते हुए
सिस्टर अल्फोंसा स्कूल के बाद छात्रों को कैंडी देते हुए

बच्चों के साथ भी खूब मस्ती हुई। जब वे हर दोपहर स्कूल खत्म करते थे, तो उन्हें पता था कि वहाँ मिठाइयाँ हैं। बहनें सौ से अधिक बच्चों को लाइन में लगा देतीं और मेरा काम हर एक को मिठाई देना था और फिर बच्चे खुशी से  चिल्ला उठते थे।

इसी तरह मैंने बर्बेरती में अपना सप्ताह बिताया। जो मुझे सबसे ज्यादा याद है वह है मेरा डर और उन लोगों की कृतज्ञता और आनंद के बीच का अंतर जिन्होंने सब कुछ खो दिया था... सब कुछ। मेरे द्वारा लाए गए कंबलों और चीजों के लिए मेरी सराहना नहीं की गई। मेरी उपस्थिति के लिए मेरी सराहना की गई। संघर्ष के इस समय के दौरान मध्य अफ्रीकी गणराज्य की मेरी यात्रा एक ऐसी यात्रा थी जहां मेरा विश्वास मजबूत हुआ और जहां मैंने अनुभव किया कि ईश्वर हमारी बहनों के सुसमाचार गवाही के माध्यम से कार्य कर रहे हैं।

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13 February 2023, 16:25