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2023.02.13चेर्निहाइव में एक महिला के साथ उसके तबाह घर के बगल में धर्मबहनें 2023.02.13चेर्निहाइव में एक महिला के साथ उसके तबाह घर के बगल में धर्मबहनें  #SistersProject

युद्ध के बीच जीवन का चुनाव करती हैं यूक्रेन की धर्मबहनें

मुक्तिदाता धर्मसमाज की धर्मबहनों की सुपीरियर जनरल सिस्टर तियोदोरा शुलक, अपनी मातृभूमि यूक्रेन में रूस के चल रहे युद्ध के सामने अपने चिंतन और अपने आंतरिक संघर्षों को साझा करती हैं। (स्वितलाना दुखोविच द्वारा)

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

चेर्निहाइव, मंगलवार 28 फरवरी 2023 (वाटिकन न्यूज) : "प्रत्येक व्यक्ति का आध्यात्मिक घटक बहुत संवेदनशील होता है। जाहिर है, एक युद्ध में कई और विविध आंतरिक अनुभव, कई परस्पर विरोधी भावनाएँ होती हैं, , विशेष रूप से युद्ध की शुरुआत में, प्रार्थना करना मुश्किल हो जाता है", सिस्टर तियोदोरा शुलक, एक यूक्रेनी धर्मबहन का मानना है जिन्हें अक्टूबर 2022 में परम पवित्र मुक्तिदाता की मिशनरी धर्मबहनों का सुपीरियर जनरल चुना गया था।

उनका धर्मसमाज यूक्रेन में 1998 से सक्रिय है और यूक्रेनी प्रांत में 26 धर्मबहनें पांच समुदाय में रहती हैं। वे पल्लियों में मुक्तिदाता धर्मसंघ के पुरोहितों की मदद करती हैं, युवा लोगों और बच्चों के साथ काम करती हैं, धर्मशिक्षा देती हैं, और समर कैंप, तीर्थयात्रा और आध्यात्मिक साधना का आयोजन करती हैं।

येसु में और उसके साथ जीवित रहना

युद्ध ने इन धर्मबहनों के जीवन को बुरी तरह से आज़माया है, जो सभी 50 वर्ष से कम उम्र की हैं। सिस्टर तियोदोरा कहती हैं, “हमें ऐसा लगा कि डर, क्रोध और दर्द की भावनाओं के साथ हमने अपने आप पर छोड़ दिया है। कभी-कभी हम इस भावना से भयभीत हो जाती थी कि घृणा का कीड़ा हमारे हृदयों में स्थान बना लिया है। कभी-कभी मैंने लगभग एक तरह के विभाजन का अनुभव किया: एक ओर, सामुदायिक प्रार्थना के दौरान, मैं ईश्वर का धन्यवाद और स्तुति करती थी, और फिर, अपने कमरे में, मैं सबसे अधिक परस्पर विरोधी भावनाओं का अनुभव करती थी जिसे मैं नियंत्रण नहीं कर पाती थी। एक दिन मैंने महसूस किया कि यह अलगाव ख्रीस्तीय नहीं है और इसका हमारे ईश्वर से कोई लेना-देना नहीं था: येसु अपने घावों के साथ जी उठे; वे जानते हैं कि इन घावों को सहन करने और मृत्यु तक दर्द का अनुभव करने का क्या मतलब है। मैं समझ गयी कि इस त्रासदी से मैं केवल येसु में और येसु के साथ जीवित रह सकती हूँ।"

इस आंतरिक यात्रा ने धर्मबहन को अपनी सारी दर्दनाक भावनाओं और मनोभावनाओं को ईश्वर को सौंपने के लिए प्रेरित किया।  उसने रोते हुए ईश्वर को पुकारा, "प्रभु, मैं आपकी हूँ! "आपने हमें जीवन के लिए बनाया है और हम मौत का खौफ सह रहे हैं। आपने हमें इतने सारे लोगों के लिए जीवित आशा बनने के लिए बुलाया है और हम स्वयं मृत्यु और भय की छाया से आच्छादित हैं।”

आंतरिक जीवन के अनुभव ने मिशनरी को प्रार्थना के बाद मौन रहना सिखाया, ताकि ईश्वर को उसके अनुरोध का जवाब देने का समय मिल सके। वे बीते क्षणों को याद करती हैं, "मैंने कहा, मैं इंतजार करूंगी, लेकिन मुझे उस सब में अकेला मत छोड़ो जो मैं जी रही हूँ।"

चेर्निहाइव में खंडहरों के बीच में सिस्टर तियोदोरा
चेर्निहाइव में खंडहरों के बीच में सिस्टर तियोदोरा

विवेक की आवश्यकता

युद्ध के लिए निरंतर विवेक की आवश्यकता होती है, न केवल आंतरिक बल्कि प्रेरिताई जीवन के लिए भी। सिस्टर तियोदोरा, जो 2013 से अक्टूबर 2022 तक यूक्रेन में मुक्तिदाता धर्मबहनों की प्रांतीय सुपीरियर थीं, बताती हैं कि रूसी आक्रमण के बाद, उन्होंने अपने दैनिक काम पर पुनर्विचार किया, ताकि नई स्थिति में कलीसिया और लोगों की बेहतर सेवा की जा सके। करीब 10 धर्मबहनें जो जर्मन और/या अंग्रेजी बोलती हैं, मार्च में, काथलिक संस्थानों में मदद करने के लिए विदेश (जर्मनी, ऑस्ट्रिया, आयरलैंड) चली गई, जहाँ यूक्रेनी शरणार्थियों का स्वागत किया गया था। छह महीने से अधिक समय तक, उन्होंने अपने लोगों के दस्तावेजों को संकलित करने में मदद की, अस्पतालों में बीमारों और घायलों को देखने गई और स्थानीय स्कूलों में शरणार्थियों के बच्चों की मदद की।

उनके काम का एक अन्य पहलू युद्ध के पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक सहायता है। विभिन्न धर्मबहनें, जिन्होंने मनोविज्ञान और मनोचिकित्सा में विशेषज्ञता हासिल की थी, उन्होंने अतिरिक्त विशेष पाठ्यक्रम लेने का फैसला किया ताकि लोगों को उनके दुःख और आघात से उबरने में मदद दे सकें। "हमारे कुछ कॉन्वेंट में हमने शरणार्थियों का भी स्वागत किया और इनमें से एक तातार मुस्लिम परिवार भी था। उनके बच्चे का जन्म तब हुआ जब वे धर्मबहनों के साथ रह रहे थे और फिर उन्होंने फेसबुक पर एक बहुत ही मर्मस्पर्शी पोस्ट प्रकाशित की कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा कि वे ख्रीस्तियों और मुसलमानों के बीच के इस रिश्ते को इतने करीब से अनुभव कर पाएंगी।

कॉन्वेंट में धर्मबहनों के साथ एक शरणार्थी मुस्लिम जोड़ा
कॉन्वेंट में धर्मबहनों के साथ एक शरणार्थी मुस्लिम जोड़ा

चेर्निहाइव में मिशन

परम पवित्र मुक्तिदाता की मिशनरी धर्मबहनों का एक कॉन्वेंट उत्तरी यूक्रेन के चेर्निहाइव में भी है।

युद्ध के पहले महीनों में धर्मबहनें चेर्निहाइव में अपने मिशन को जारी रखने में असमर्थ थीं। उन्हें उस शहर को छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था जिसे रूसी सैनिकों ने घेर लिया था और उस पर बमबारी की थी। अप्रैल में जब वे लौटे तो तबाही का मंजर देखा। सिस्टर तियोदोरा, जो मनोचिकित्सा में विशेषज्ञ हैं, वहाँ गईं। वे बताती हैं, "हम उन जगहों पर लोगों से मिलने गए जो सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे, लोगों ने अपने प्रियजनों, अपने घरों, सब कुछ खो दिया था। उनकी बातों को सुनते हुए और वार्तालाप कर हम उन्हें कुछ अवसाद और भय से उबरने में मदद करने में सक्षम हुए। इन लोगों को वास्तव में यह जानने की जरूरत है कि कोई उनके करीब है, जो उनके डगमगाने पर आशा और विश्वास दिला सके।

सिस्टर तियोदोरा का कहना है कि यद्यपि अन्याय और अनुभव की गई पीड़ा के लिए गुस्सा एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है, यह महत्वपूर्ण है कि क्रोध को प्रमुख भावना न बनने दिया जाए और लोग  जानते हैं कि जीवन को कैसे चुनना है। वे चेर्निहाइव में एक महिला से मिलीं, जिसने अपने घर के चारों ओर एक अद्भुत बगान बनाया, जो बमों से पूरी तरह नष्ट हो गया था। महिला ने युवा धर्मबहनों से कहा, “मैं जीवन की छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देती हूँ। इस छोटे से पौधे को देखिए जो अभी-अभी धरती से निकला है। यह बढ़ेगा और यह जीवित रहेगा।” सिस्टर तियोदोरा कहती हैं कि उनके लिए यह इस बात का गवाही थी कि जीवन को चुनने का क्या मतलब है।

सदा सहायिका माता मरिया के आइकन के सामने मुक्तिदाता पुरोहितों के साथ प्रार्थना
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28 February 2023, 12:22