भारत में ख्रीस्तीय उत्पीड़न और घृणा अपराधों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
नई दिल्ली, बुधवार 22 फरवरी 2023 (वाटिकन न्यूज) : विभिन्न कलीसियाओं और लगभग 100 संगठनों के 15,000 से अधिक लोग रविवार को दिल्ली में भारतीय संसद भवन के करीब एक स्थान पर एकत्र हुए और राष्ट्र में ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा की बढ़ती लहर के खिलाफ सुरक्षा और न्यायिक कार्रवाई की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने स्तुति और वंदना के गीत गाए, हिंदी और अंग्रेजी में तख्तियां लीं जिनमें लिखा था "हर उत्पीड़न ख्रीस्तीयों को विश्वास में मजबूत बनाता है," "ईसाइयों के खिलाफ हमले बंद करो, "हमारे गिरजाघरों पर हमला करना बंद करो।"
रविवार को कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य सरकार, न्यायपालिका और नागरिक समाज का ध्यान "कई राज्यों में ख्रीस्तीय समुदायों के खिलाफ लक्षित घृणा और हिंसा की तीव्र वृद्धि" की ओर आकर्षित कराना था।
कलीसिया और ख्रीस्तीय अधिकार समूह
दिल्ली के महाधर्माध्यक्ष अनिल काउटो विरोध प्रदर्शन में उपस्थित थे। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि रैली का उद्देश्य "हिंसा, जबरदस्ती और हमारे लोगों की झूठी गिरफ्तारी की घटनाओं में तेजी से वृद्धि को रोकने के लिए न्यायिक और सरकारी हस्तक्षेप की मांग करना है।"
अखिल भारतीय काथलिक संघ के प्रवक्ता फादर जॉन दयाल ने बताया कि अकेले उत्तर प्रदेश में लगभग 350 ख्रीस्तीय अपने विश्वास के कारण जेल में हैं, और सैकड़ों आदिवासी ख्रीस्तीयों को छत्तीसगढ़ में उनके गांवों से बाहर कर दिया गया है।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि सरकार हमारी पुकार सुने और हस्तक्षेप करे और ख्रीस्तीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए।" उन्होंने साथी भारतीयों से "सहानुभूति और एकजुटता के साथ खड़े होने और ख्रीस्तीयों के खिलाफ पूरे देश में हो रहे लक्षित और संगठित अन्याय पर अपनी आवाज उठाने" की अपील की।
नई दिल्ली स्थित एक मानवाधिकार समूह ‘संयुक्त ख्रीस्तीय मंच’ भी उपस्थित था, जो भारत में ख्रीस्तीय के खिलाफ अत्याचारों की निगरानी करता है।
मंच के अध्यक्ष ने कहा, " आज, हम यहां शांतिपूर्वक एकत्र हुए हैं क्योंकि हम अपने साथी नागरिकों की पीड़ा को साझा करना चाहते हैं जो छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और कई अन्य स्थानों में ख्रीस्तीय धर्म का पालन करते हैं। जहां उनके बुनियादी मौलिक अधिकारों को छीना जा रहा है। उन्होंने कहा, "हम उनकी ओर से खड़े हैं... हम भारत के राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भी सौंपने जा रहे हैं।"
ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा
मार्च 1998 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है। हर साल विभिन्न संगठनों द्वारा ख्रीस्तीयों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की सैकड़ों घटनाएं दर्ज की जाती हैं।
हर साल, भारत की आंतरिक सुरक्षा और इसका राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग आधिकारिक तौर पर ख्रीस्तीयों के खिलाफ हिंसा के सौ से अधिक कृत्यों को सूचीबद्ध करता है, लेकिन पर्यवेक्षकों का दावा है कि ऐसे हमलों की वास्तविक संख्या शायद अधिक है क्योंकि यह अनुमान लगाया गया है कि केवल लगभग 10% इस तरह के हमले कभी रिपोर्ट किए जाते हैं। इन हमलों में गिरजाघरों, मठों और अन्य ईसाई संस्थानों में तोड़फोड़, बाइबिल की प्रतियों को जलाना, कब्रिस्तानों को अपवित्र करना, पुरोहितों और मिशनरियों की हत्या और धर्मबहनों का यौन उत्पीड़न शामिल है।
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