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पवित्र मिस्सा के साथ सिनॉडालिटी पर एशियाई महाद्वीपीय सभा का उद्घघाटन

बैंकॉक में पूरे एशिया के 80 प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को पवित्र आत्मा के उद्घाटन मिस्सा में पवित्र आत्मा की सहायता की मांग करते हुए सांप्रदायिक विवेक में प्रवेश किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

बैंकॉक, शनिवार 25 फरवरी 2023 : एशियाई धर्माध्यक्षीय सम्मेलन संघ (एफएबीसी) के महासचिव और टोक्यो के एसवीडी महाधर्माध्यक्ष तारसिसियो इसाओ किकुची ने शुक्रवार को एशियाई महाद्वीपीय सभा की शुरुआत करने वाले ख्रीस्तयाग की अध्यक्षता की। अपने प्रवचन में, उन्होंने एशिया में धर्मसभा यात्रा के साथ-साथ अफ्रीका में एक मिशनरी के रूप में अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा किया।

महाधर्माध्यक्ष किकुची ने कहा कि "सभी प्रकार की कठिनाइयों के बावजूद,"  एशिया में धर्मसभा यात्रा "धर्मसभा पथ पर एक साथ चलने", में से एक रही है। उन्होंने दो कठिनाइयों को सूचीबद्ध किया, "आधिकारिक दस्तावेजों का एशिया की कई अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद करना" और "महामारी के कारण लोगों को एक साथ इकट्ठा करने में सक्षम न होना।" उन्होंने कहा, हालांकि, सिनॉडल यात्रा एक ऐसी घटना नहीं है जो जल्द ही खत्म हो जाएगी, लेकिन यह प्रक्रिया "कलीसिया की मूलभूत प्रकृति" का हिस्सा है। इसलिए, "हम जानते हैं कि वास्तविक बैठकों के बाद यह यात्रा जारी रहेगी।"

उदासीनता मार डालती है

इसके बाद महाधर्माध्यक्ष ने अफ्रीका के अपने दो अनुभवों को याद किया। पहली घटना 1995 में बुकावु में, फिर ज़ाइरे में हुई थी, वहाँ वे एक शरणार्थी शिविर में काम कर रहे थे। रवांडा में नरसंहार से भागे लोगों ने उस विशेष शिविर में शरण ली थी। अपने तीन महीने के प्रवास के दौरान, उन्होंने शिविर पर दो घंटे तक चलने वाले सशस्त्र हमले का अनुभव किया। हमले के दौरान, उन्होंने तीस शरणार्थियों की हत्या देखी। इस अनुभव के कारण, अब वे आतिशबाजी का प्रदर्शन नहीं देख सकते।

कुछ दिनों बाद, जब वे फिर से शिविर में गए, तो उन्होंने शरणार्थियों के एक नेता से पूछा कि उन्हें क्या चाहिए। "मुझे पता था कि हर चीज की कमी थी, वहाँ पर्याप्त भोजन, कपड़े दवा नहीं थी और उनके बच्चों के लिए कोई शिक्षा नहीं थी।" लेकिन उसके पास जो निवेदन आया वह इनमें से किसी भी चीज़ के लिए नहीं था। उसने कहा,  " फादर जी, जब आप जापान वापस जाएं, तो लोगों को बताएं कि हम अभी भी यहीं हैं। हमें भुला दिया गया है। इस अनुरोध से महाधर्माध्यक्ष ने निष्कर्ष निकाला कि, "उदासीनता सहायता की आवश्यकता वाले लोगों को मार सकती है।"

कोई हमेशा देखभाल करेगा

महाधर्माध्यक्ष का दूसरा अनुभव पल्ली पुरोहित के रूप में "दक्षिणी घाना के एक गाँव में 1987 से 1994 तक" था। महाधर्माध्यक्ष ने देखा कि खराब अर्थव्यवस्था और गंभीर सूखे में स्थानीय किसान अपने परिवारों की सही देखभाल करने में असमर्थ होने के बावजूद, अपने जीवन में खुश लग रहे थे, खासकर जब वे रविवार मिस्सा के लिए गिरजाघरों में आते थे।" वे विशेष रूप से गायन और नृत्य और लोगों के चेहरों पर मुस्कान को याद करते हैं। जब उन्होंने उनसे पूछा कि "इन सभी कठिनाइयों के बावजूद वे इतने खुश कैसे हो सकते हैं, तो उन्होंने मुझे बताया कि उनके पास 'घाना जादू' है। कोई मदद के लिए आएगा। कोई हमेशा आपकी परवाह करेगा। वह जादू है।"

इन दो अनुभवों से महाधर्माध्यक्ष ने निष्कर्ष निकाला, "उदासीनता सहायता की आवश्यकता वाले लोगों को मार सकती है, लेकिन एकजुटता जीने की आशा पैदा करेगी।"

वर्तमान संकट

महाधर्माध्यक्ष किकुची ने फरवरी में शुरू हुए दो मौजूदा संकटों को याद किया। दो साल पहले, "एशिया में हमारे पड़ोसी, म्यांमार में शांति और स्थिरता को छीन लिया गया था और अभी भी शांतिपूर्ण देश को फिर से स्थापित करने के लिए और अधिक प्रार्थना की आवश्यकता है।" और “ठीक एक साल पहले, यूक्रेन में संकट शुरू हुआ। हमें यूक्रेन के लोगों और इस युद्ध में शामिल सभी लोगों को याद रखना चाहिए और शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।”

"हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उदासीनता निराशा पैदा कर सकती है, लेकिन एकजुटता जीने की उम्मीद पैदा कर सकती है।"

आशा उत्पन्न करने का केंद्र

जबकि महामारी और इन सशस्त्र संघर्षों दोनों ने हमें "बिना किसी प्रकाश के अंधेरे में भटकने" के लिए मजबूर किया है, और "हम सभी अनिश्चित हैं" कि आगे क्या होगा, चूंकि "उदासीनता मार सकती है... हमें जीने की उम्मीद रखने के लिए एकजुटता की आवश्यकता है।" कलीसिया का मिशन "आशा उत्पन्न करना," और कभी भी "निराशा या उदासी का स्रोत नहीं बनना" है। हमें आशा का स्रोत बनना है क्योंकि हमारे पास जीवन का सुसमाचार है, आशा का सुसमाचार है,और हम सिनॉडालिटी के मार्ग पर एकजुटता में एक साथ चल रहे हैं।

महाधर्माध्यक्ष ने उपस्थित लोगों को आमंत्रित करते हुए अपने प्रवचन को समाप्त किया "दयालु पिता हमें पवित्र आत्मा भेजे ताकि हम ईश्वर के मार्ग को खोजने में सक्षम हो सकें। धर्मसभा यात्रा में एकजुट चलने वाले ईश्वर के लोग बनें।"

ईश्वर के प्रकाश के साथ

मिस्सा के अंत में, तीन मध्यस्थों में से एक सुश्री जॉय कैंडेलारियो ने बताया कि "प्रकाश का प्रतीक" तीन दिवसीय सभा के दौरान प्रतिनिधियों के साथ होगा क्योंकि एशिया के विभिन्न धर्म "प्रकाश के त्योहार" मनाते हैं। बारह छोटे समूहों में से प्रत्येक के एक प्रतिनिधि को मेज पर से एक मोमबत्ती लेने के लिए आमंत्रित किया गया। सुश्री कैंडेलारियो ने कहा, "ईश्वर का प्रकाश हमारे दिलों को गर्म करे क्योंकि हम अपने छोटे समूह में एक छोटा सिनॉडल समुदाय भी बनाते हैं, जिसमें विभिन्न एशियाई देशों के विभिन्न प्रतिनिधि शामिल हैं। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात," सुश्री कैंडेलारियो ने आगे कहा, "यह एशिया के विभिन्न संदर्भों, संस्कृतियों और चुनौतियों में ईश्वर की इच्छा को समझने में हमारी मदद कर सकता है।"

"ईश्वर का प्रकाश हमें ऊर्जा प्रदान करे क्योंकि हम इन दिनों सिनॉडल के नए मार्गों की खोज कर रहे हैं।"

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25 February 2023, 16:34