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2019.11.06 फादर जैक्स मौराड रोम में 2019.11.06 फादर जैक्स मौराड रोम में 

सीरिया: आईएसआईएस द्वारा अगवा किए गए मठवासी होम्स के महाधर्माध्यक्ष चुने गये

फादर जैक्स मौराड, जिन्हें 2015 में पांच महीने के लिए आईएसआईएस द्वारा बंधक बना लिया गया था, अंतरधार्मिक संवाद के अधिवक्ता हैं। वे होम्स के महाधर्माध्यक्ष चुने गए।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

होम्स, बुधवार 11 जनवरी 2023 (वाटिकन न्यूज) : अंताखियाई कलीसिया के धर्माध्यक्षीय धर्मसभा द्वारा एक सीरियाई काथलिक मठवासी और पुरोहित, फादर जैक्स मौराड होम्स के महाधर्माध्यक्ष चुने गए हैं।

 संत पापा फ्राँसिस ने पहले ही फादर मौराड की पसंद को मंजूरी दे दी थी, जिन्हें 21 मई 2015 को जिहादियों द्वारा अगवा कर लिया गया था, जब वे सीरिया के क़रयातयन में मार एलियन मठ में रह रहे थे। उन्हें पांच महीने तक बंदी बनाकर रखा गया था।

53 साल पहले अलेप्पो में जन्में फादर मौराड ने देयर मार मूसा अल-अबशी के मठवासी समुदाय में प्रवेश किया, जिसके वे एक सह-संस्थापक हैं, लेबनान चारफेट सेमिनरी में अध्ययन के बाद, उन्होंने धर्मशास्त्र का अध्ययन किया और लिटर्जी में लाइसेंस प्राप्त किया। उन्होंने उस वर्ष अगस्त में पुरोहिताभिषेक से पहले 20 जुलाई 1993 को मठ में अपना आजीवन व्रत लिया। 2000 से 2015 तक, वे मार एलियन मठ के पूर्व और क़रीयतन पल्ली के पल्ली पुरोहित थे।

अपहरण के बाद, वे मार एलियन की धर्मबहनों के मठों कोरी (इटली) और सुलेमान्याह (इराक) में रहते थे। 2020 में सीरिया लौटने पर, उन्होंने मार एलियन समुदाय के उप वरिष्ठ और बर्सर के रूप में सेवा की।

जिहादियों के हाथों में पांच महीने

फादर मौराड ने अपने अपहरण की कहानी को पत्रकार अमौरी गुइलम के साथ मिलकर लिखी गई किताब "ए मॉन्क हेल्ड होस्टेज: ए जिहादी प्रिजनर्स स्ट्रगल फॉर पीस" (एक मठवासी को बंधक बनाया गया : शांति के लिए एक जिहादी कैदी का संघर्ष) में सुनाया।

वे सीरिया में जिहादी आतंकवादियों के बंधक के रूप में बिताए गए समय को एक आध्यात्मिक अनुभव मानते हैं। वे कहते हैं कि रोजरी प्रार्थना और पावलो डैल'ऑलियो की शिक्षाओं ने उन्हें शक्ति और शांति दी।

हिंसा, उत्पीड़न, अभाव, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक यातना के उन दिनों में, फादर जैक्स उस पल को सबसे ज्यादा याद करते हैं, जब रक्का में पहले तीन महीने की कैद के बाद उन्हें पलमायरा के पास एक जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था। वहां उन्होंने अपने समुदाय के 250 ख्रीस्तियों से मुलाकात की। उन्हें बताया गया था कि उन्हें क़रीयतन वापस ले जाया जाएगा और उन्हें भारी निषेधों के अधीन किया जाएगा, लेकिन फिर से पवित्र मिस्सा अर्पित कर सकेंगे क्योंकि उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ी थी।

उन्होंने वाटिकन न्यूज को बताया, "तब मैं समझ गया था कि जो लोग हिंसा नहीं करने का निर्णय लेते हैं, वे अपनी इच्छा से उन लोगों का मनोभाव बदल सकते हैं, जो हथियार उठाने के आदी हैं।" "ईसाई, शांति के गवाह के रूप में हमारी बुलाहट के कारण हम बच गए।"

अंतरधार्मिक संवाद और प्रार्थना की शक्ति में भरोसा रखें

फादर मौराड के लिए, "संवाद में विश्वास एक सिद्धांत है, यह दूसरों के दृष्टिकोण से जुड़ा नहीं है।"

उन्होंनेकहा कि मौजूदा आतंकवाद के पीछे, एक राजनीतिक नेटवर्क है जो बुराई करने के लिए हर चीज का उपयोग करता है। यह सीधे तौर पर इस्लाम से प्रेरित नेटवर्क नहीं है, बल्कि एक राजनीतिक परियोजना से प्रेरित है। फादर ने यह भी कहा कि ख्रीस्तियों को इस तरह की सोच छोड़ देना चाहिए, जिसके अनुसार हर मुसलमान एक आतंकवादी है। हमारे जीवन में और दूसरों के साथ हमारे संबंधों में अधिक विनम्रता और स्पष्टता की आवश्यकता है। हमें इसे ठीक से जीने के लिए सुसमाचार को गहराई से पढ़ने की आवश्यकता है।

जिहादियों ने उसके गले पर चाकू रख कर इस्लाम कबूल करने को कहा, लेकिन उसकी कैद की डायरी के पन्नों से वह आंतरिक शांति, ऊर्जा और शांति उभरती है जो प्रार्थना से आती है।

उन्होंने कहा, "मैं कह सकता हूँ कि जिस क्षण मैं अपनी कैद में जी रहा था उसी क्षण मुझे ईश्वर से उपहार मिले।" "मैं उस ताकत, साहस को नहीं भूल सकता, जिसने मुझे इन जिहादियों के चेहरे को देखने और येसु के प्यार को उन तक पहुँचाने की अनुमति दी। उन स्थितियों में ईश्वर ने मुझे एक मुस्कान का उपहार दिया और यह कुछ ऐसा था जिसने जिहादियों को बेचैन कर दिया। वे हैरान थे कि एक कैदी के लिए मुस्कुराना कैसे संभव है और मैं भी यह नहीं बता सकता था कि मुझे ताकत कहाँ से मिली। जैसे ही मैंने रोज़री की प्रार्थना शुरू की, सभी दर्द गायब हो गए।

मोसुल के नए महाधर्माध्यक्ष इराक में चुने गए

सीरियाई लोगों के अंताखियाई कलीसिया के धर्माध्यक्षीय धर्मसभा ने इराक में मोसुल के नए महाधर्माध्यक्ष कुसे मुबारक अब्दुल्ला हानो को भी चुना है, जिसे संत पापा ने भी अपनी सहमति दे दी।

फादर हानो ने बगदाद में सेमिनरी में प्रवेश किया, लेबनान में संत एस्प्रिट विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र और धर्मशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उनका 29 जून 2011 को पुरोहिताभिषेक हुआ।

वे काराकोश में मार जैकब पल्ली के सहायक पुरोहित था और नीनवे मैदान पर आक्रमण के साथ उसने एरबिल में मार शमोनी गिरजाघर में विस्थापित सीरियाई लोगों की देखभाल की। वे पवित्र बाइबिल के शिक्षक, एक रेडियो कार्यक्रम के संग्रहाध्यक्ष और मध्य पूर्व कलीसियाओं के परिषद में इराकी कलीसिया के प्रतिनिधि भी रहे हैं। 2019 से वह बाइबिल धर्मशास्त्र में डॉक्टरेट की पढ़ाई के लिए रोम में हैं।

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11 January 2023, 16:55