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पुरोहित की रिहाई के लिए एकजुट हुए भारत के ख्रीस्तीय

विभिन्न ख्रीस्तीय समुदायों के ख्रीस्तीयों ने पुलिस स्टेशन से फादर को अपने गंधे पर उठा लिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

भारतीय पुलिस ने एक काथलिक पुरोहित को रिहा कर दिया, जब विभिन्न ख्रीस्तीय समुदाय के करीब 1,000 विश्वासियों ने ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना सप्ताह शुरू करते हुए, पुरोहित के प्रति एकजुट होकर रैली की।  

झाबुआ धर्मप्रांत के फादर जोसेफ अमुथाकानी को 18 जनवरी को मध्यप्रदेश में गिरफ्तार किए जाने के दस घंटे बाद रिहा कर दिया गया।

उन्हें इस आरोप के बाद अवैध रूप से हिरासत में लिया गया थाकि उन्होंने एक व्यक्ति को धोखे से धर्मांतरण कराने का प्रयास किया। इस तरह राज्य को सूचित किए बिना धर्मांतरण राज्य के कानून का उल्लंघन है जो सभी को अपराधी बनाता है। ।

फादर अमुथाकानी ने ऊका न्यूज को 19 जनवरी को बतलाया, “मैं लोगों के स्नेह से अत्यन्त प्रभावित हुआ।” 49 वर्षीय पुरोहित ने बतलाया कि उन्हें पल्ली के गाँव गिरजा (सब-स्टेशन) से गिरफ्तार किया गया था, जहाँ वे पवित्र मिस्सा चढ़ाने गये थे।

गिरफ्तारी एक हिंदू व्यक्ति की झूठी शिकायत पर आधारित थी, जिसने कहा कि फादर ने मिस्सा के लिए एक घर में भोले-भाले ग्रामीणों को इकट्ठा किया। सभा में, पुरोहित ने बाइबल और अन्य ख्रीस्तीय साहित्य की किताब वितरित किए और लोगों से अपने हिंदू धर्म को त्यागने और ख्रीस्तीय बनने के लिए कहा।

युवक ने सबूत के तौर पर पुरोहित के वाहन से ली गई मिस्सा ग्रंथ की एक प्रति भी प्रस्तुत की, जिसे उसने बाइबिल बताया।

फादर ने कहा, “पुलिस ने इसे एक झूठे मामले के रूप में समझा किन्तु उच्चतर अधिकारियों की ओर से दबाव के कारण, मुझे शाम 8 बजे तक हिरासत में रहना पड़ा।”

झाबुआ जिले के थांदला पुलिस थाने में 1,000 से अधिक ख्रीस्तियों के इकट्ठा होने और उनकी रिहाई की मांग के बाद पुरोहित को थाने से रिहा कर दिया गया।

जिले में दस लाख से अधिक लोगों में ख्रीस्तीय लगभग 4 प्रतिशत हैं, हालांकि राज्यव्यापी ख्रीस्तीय आबादी 71 मिलियन लोगों का सिर्फ 0.29 प्रतिशत है।

प्रोटेस्टंट ख्रीस्तीय गुल्ला धमोर ने ऊका न्यूज को बतलाते हुए कहा, “हम सभी पुरोहित के बचाव के लिए पुलिस स्टेशन पहुँचे।”

उन्होंने कहा, “इसी तरह काथलिकों के अलावा अन्य ख्रीस्तीय समुदाय के लोग भी पुरोहित के समर्थन में पुलिस स्टेशन पहुँचे।"

एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “हमें आवश्यकता है एकजुट होने की। जब हम कठिनाई में हैं, तब हमें एक साथ खड़ा होना चाहिए।”

उन्होंने जोर देकर कहा, "हम ख्रीस्तियों को हर चीज में एकजुट होने की जरूरत है, हालांकि हमारे ईश्वर की पूजा करने के तरीके में थोड़ा अंतर है।"

लोगों ने फादर को अपने कंधे पर उठाकर पुलिस स्टेशन से जुलूस करते हुए निकट के एक गिरजाघर लिया और अपने घर जाने से पहले वहाँ एक विशेष प्रार्थना की।  

फादर अमुथाकानी ने घटना को “ख्रीस्तीय एकता का एक उत्तम उदाहरण कहा” जिसको पूरे भारत में विकसित किया जाना चाहिए जहाँ ख्रीस्तीय अत्याचार सह रहे हैं।

विश्वभर में ख्रीस्तीय 18-25 जनवरी को ख्रीस्तीय एकता सप्ताह के रूप में मनाये हैं जिसमें विभिन्न ख्रीस्तीय समुदायों के बीच आपसी एकता को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रार्थना की जाती है।

झाबुआ धर्मप्रांत के जनसंपर्क अधिकारी फादर रॉकी शाह ने इस घटना को "हमें (विभिन्न संप्रदायों को) एक साथ लाने के लिए ईश्वर के द्वारा दिए गए अवसर के रूप में देखा।"

फादर शाह ने 19 जनवरी को ऊका न्यूज को बताया कि "काथलिक पुरोहित के समर्थन में येसु के अनुयायियों का एक साथ आना बहुत दिल को छू लेनेवाला था।"

उन्होंने कहा, "इस तरह की ख्रीस्तीय एकता हमें हमारे खिलाफ इस तरह के सुनियोजित जाल से बचाने के लिए जरूरी है।"

पुरोहित ने कहा कि दक्षिणपंथी हिंदू समूहों ने अब जिले में काम करनेवाले पुरोहित और पादरियों के खिलाफ फर्जी शिकायतें दर्ज करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, "उन्होंने मंच तैयार किया और हमारे खिलाफ धर्मांतरण की फर्जी शिकायतें दर्ज कराईं।"

झाबुआ में प्रोटेस्टेंट शालोम चर्च के सहायक बिशप पॉल मुनिया पर 11 जनवरी को राज्य के धर्मांतरण विरोधी कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था।

हालांकि, बिशप को पुलिस के सामने पेश होकर यह प्रमाणित करने के बाद गिरफ्तार नहीं किया गया था कि वे कभी भी उस जगह पर नहीं गए थे जहाँ उनपर कथित तौर पर अवैध धर्मांतरण में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। किन्तु उनके खिलाफ मामला अभी भी दर्ज है।

फादर शाह कहते हैं कि ''हमारे जिले में यही हो रहा है।'' इससे पहले, दक्षिणपंथी समूहों ने जिले में गिरजाघरों को अवैध रूप से बनाए जाने का आरोप लगाते हुए उन्हें गिराने की खुली धमकी दी थी।

हिंदू समूहों ने पुरोहितों, पादरियों और अन्य ख्रीस्तीय नेताओं पर राज्य के कड़े धर्मांतरण विरोधी कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज करना जारी रखा है, जो धर्मांतरण के प्रयासों को जेल की सजा के साथ अपराधी बनाता है। कानून कहता है कि धर्म बदलने से पहले जिलाधिकारियों को सूचित किया जाना चाहिए।

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21 January 2023, 15:53