म्यांमार के महाधर्माध्यक्षों ने ‘शांति हेतु भावपूर्ण अपील’ की है
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
महाधर्माध्यक्षों द्वारा हस्ताक्षरित एक अपील में याद दिलाया गया है कि “मानव जीवन की गरिमा खतरे में है, कितने जीवन खो चुके हैं, कितने लोगों को विस्थापित होना पड़ा है और कितने लोग भुखमरी के शिकार हैं।”
दिल दहलानेवाली त्रासदी
दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक संकटों की एक श्रृंखला का सामना करना पड़ा है, और 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद से यह हिंसा के जाल में फंस गया है, जिसने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंका। बाद में हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया या बिना किसी कारण के मार दिया गया।
"इतने सारे संसाधनों से समृद्ध एक महान देश में, जीवन का विनाश एक दिल दहला देनेवाली त्रासदी है।"
इसके अलावा, "पूजा के स्थान और मठ, जहाँ समुदाय शांति और मेल-मिलाप की खोज करते थे, खुद लगातार हमले के निशाने पर हैं।" उदाहरण के लिए पिछले सप्ताह बर्मा के सैनिकों ने चार तान के ऐतिहासिक गिरजाघर को जला दिया। आग से केवल आराधना चैपल को बचाया जा सका। निकट के फ्रांसिसकन धर्मबहनों के कॉन्वेन्ट को भी आग लगा दिया गया।
पूजा स्थलों की सुरक्षा
महाधर्माध्यक्षों ने कहा है कि “हेग कन्वेंशन जैसे अंतरराष्ट्रीय साधन पूजा स्थलों, सीखने के स्थानों और उचार के स्थलों की सुरक्षा का आह्वान कर रहे हैं। वे दुःख और चिंता से पूछ रहे हैं कि क्यों इन पवित्र स्थलों पर हमले किये जा रहे हैं और उन्हें नष्ट किया जा रहा है?”
उन्होंने जोर दिया है कि पूजा के स्थल आपसी निर्भरता एवं आपसी संबंध को बढ़ावा देते हैं जो राष्ट्रों की चंगाई के लिए जरूरी है, जबकि उन्हें बेरहमी से जलाया जा रहा है, जिससे वापस सामान्य स्थिति में लौटना एक बड़ी चुनौती बन गयी है।
'सभी बंदुकों को शांत होने दें'
धर्माध्यक्षों ने कहा है कि "विभिन्न विश्वास की परंपराओं के धर्मगुरूओं के रूप में, हमने बहुत कुछ सहा है," म्यांमार के सभी हितधारकों से निवेदन करते हैं: "सभी बंदूकों को शांत होने दें, आइए, हम सभी, भाइयों और बहनों के रूप में सभी के पास पहुँचे, और एक राष्ट्र और एक प्रजा के रूप में एकजुट होकर शांति की एक पवित्र तीर्थयात्रा शुरू करें।"
उन्होंने कहा, शांति संभव है, शांति ही एकमात्र रास्ता है।
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