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2022.12.15 लोरेटो सिस्टर वामू तेरेसिया वाचिरा 2022.12.15 लोरेटो सिस्टर वामू तेरेसिया वाचिरा  #SistersProject

केन्याई लोरेटो धर्मबहन सिखा रही हैं अहिंसक संघर्ष समाधान

सिस्टर वामुयु का मानना है कि शांति संभव है, हिंसा और अन्याय के दुष्चक्र को तोड़ा जा सकता है, और मीडिया "दोनों पक्षों को देखते हुए" परस्पर विरोधी दलों को एक साथ ला सकता है। पॉल सामासूमो द्वारा

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार 16 दिसम्बर 2022 (वाटिकन न्यूज) : सिस्टर वामू तेरेसिया वाचिरा, पीएचडी, धन्य कुंवारी मरिया धर्मसमाज (आईबीवीएम) की सदस्य हैं जिन्हें आमतौर पर लोरेटो सिस्टर्स के रूप में जाना जाता है। यह धर्मसंघ शिक्षा के लिए समर्पित है, जिसकी स्थापना अंग्रेज महिला मेरी वार्ड ने 1609 में किया था। सिस्टर वामुयू अपने मूल देश केन्या में शांति और अहिंसक संघर्ष समाधान की संस्कृति की वकालत करने के एक लंबे इतिहास के साथ कई पहलों को शिरि करने वाली महिला हैं। विशेष रूप से बालिकाओं और केन्याई महिलाओं के समर्थन में, 1991 के आसपास उनकी सक्रियता देखी जाने लगी।

सिस्टर वामुयू नैरोबी के संत पॉल विश्वविद्यालय, एक ईसाई विश्वव्यापी संस्थान में शांति और संघर्ष अध्ययन की एक वरिष्ठ व्याख्याता और कार्यक्रम के नेता हैं, और पाक्स ख्रीस्टी इंटरनेशनल के सह-अध्यक्ष हैं। वाटिकन मीडिया के साथ एक साक्षात्कार में, अफ्रीका के छात्रों को शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान में अपने कौशल प्रदान करने के लिए सिस्टर वामू का जुनून स्पष्ट और गहरा है। उसने संत पॉल विश्वविद्यालय के कार्यक्रम की व्याख्या की।

सिस्टर वामुयू ने कहा, "कार्यक्रम में, हम शांति बनाने के अहिंसक तरीके सिखाते हैं। हम जो सिखाते हैं उसका एक हिस्सा शांति पत्रकारिता है क्योंकि हमने देखा है कि हमारा मीडिया कभी-कभी संघर्ष की स्थितियों को बढ़ा देता है। यह तब होता है जब पत्रकार पक्ष लेते हैं और अपने शब्दों के माध्यम से या संदेश को संप्रेषित या फ्रेम करने के तरीके के माध्यम से और अधिक संघर्ष पैदा करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप दो लड़ने वाले समुदायों पर रिपोर्ट कर रहे हैं, तो आपको एक समुदाय को खलनायक दिखाने की आवश्यकता नहीं है। मीडिया को दोनों पक्षों को देखना चाहिए और पता लगाना चाहिए कि वे इन दोनों पक्षों को, इन दो समुदायों को एक साथ कैसे ला सकते हैं। समुदायों को ऐसी स्थिति तक पहुँचने में मदद की जा सकती है जहाँ वे मध्यस्थता के लिए तैयार हों। इसलिए मध्यस्थता हमारे लिए महत्वपूर्ण है। यह संत पॉल में हमारे प्रशिक्षण की कुंजी है।"

उसने आगे कहा, "मीडिया लोगों को यह देखने में मदद करे कि दूसरा पक्ष क्या देख रहा है। मीडिया को विशेष रूप से अफ्रीका में, पक्ष लेने के बजाय मेल-मिलाप और पुल-निर्माता बनने की जरूरत है। कई संघर्ष, विशेष रूप से चुनाव के समय, कभी-कभी इस वजह से होते हैं कि मीडिया ने किसी विशेष कहानी को कैसे आगे बढ़ाया।”

परंपरा और संघर्ष का समाधान

सिस्टर वामुयू का यह भी मानना है कि अफ्रीका वासियों को संघर्षों को हल करने के अपने पारंपरिक अफ्रीकी तरीकों को फिर से खोजने और अपनाने की जरूरत है। उन्होंने समझाया कि पारंपरिक अफ्रीकी समाज में शांतिपूर्ण संघर्ष प्रबंधन के समय-परीक्षणित तरीके थे। वह इसे "वैकल्पिक मध्यस्थता" के रूप में संदर्भित करती है।

उसने समझाया, "बुजुर्ग एक साथ आते थे, संघर्ष के दोनों पक्षों को सुनते थे। सुनने और संवाद के माध्यम से सामान्य आधार प्राप्त करते थे। पारंपरिक मध्यस्थता सद्भाव और समुदाय निर्माण को प्राथमिकता देती है। हमें इन मूल्यों को जारी रखने और उन्हें छात्रों तक पहुंचाने की जरूरत है। यह दूसरे के जूते में अपना पैर डालने और जैसा वे करते हैं वैसा महसूस करने के बारे में है।"

सिस्टर वामुयू का कहना है कि युवा जानते हैं कि सही और गलत क्या है, लेकिन उन्हें चुनौती देने की जरूरत है, खासकर हानिकारक और जहरीले सोशल मीडिया के उपयोग के बारे में।" मैं अक्सर यह देखने के लिए सोशल मीडिया को खोलती हूँ कि हमारे युवा छात्र इंटरनेट और ब्लॉग पर सोशल मीडिया पर क्या पोस्ट करते हैं। मैं कभी-कभी उन्हें चुनौती देती हूँ, 'क्या कोई और तरीका नहीं है जिससे आप अभद्र भाषा का उपयोग किए बिना अपनी बात कह सकें? आपको क्यों लगता है कि दूसरे व्यक्ति को नीचा दिखाना आपके लिए आवश्यक है? अगर आप दूसरी तरफ होते तो आपको क्या महसूस होता?’ और मैंने पाया कि जब आप इस रास्ते पर चलना शुरू करते हैं, तो आप उनकी मानसिकता बदलने लगते हैं। याद रखें, युवा लोग सच्चाई जानते हैं…। युवा लोग बहुत रचनात्मक हैं और पहले से ही कला और संगीत के माध्यम से बहुत शांति-निर्माण कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि हम उन्हें कुछ बिल्कुल नया सिखा रहे हैं।' "मैं हमेशा अपने छात्रों से कहती हूँ कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वहां क्या हो रहा है। जाओ और कुछ अलग करो और शुरुआत खुद से करो।"

फिर भी, एक धर्मबहन के अनुसार, वयस्कों को पहले आदर्श शांतिदूत बनने की आवश्यकता है। "यदि हम युवाओं को शांति से रहना सिखा रहे हैं, तो हमें खुद से पूछना चाहिए कि क्या हम वयस्क शांत हैं?  किसी मुद्दे पर अपनी असहमति व्यक्त करने के लिए माता-पिता, पति और पत्नी कैसे संवाद कर रहे हैं?

शांति के टुकड़ों को आपस में जोड़ना

अफ्रीका के स्थानिक जातीय और जनजातीय संघर्षों के बारे में सिस्टर वामुयू का विचार है कि, अफ्रीका के जातीय संघर्ष बिगड़ैल राजनेताओं द्वारा बनाए गए हैं, जो जनजाति को अपने या अपने परिवार और दोस्तों के लाभ के लिए राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने के साधन के रूप में हथियार बनाते हैं। “पुरुष सत्ता चाहते हैं। 'मेरे लोगों' की बात करुँ तो वे एक आदमी को सत्ता पर बैठाते हैं।"

सिस्टर वामुयू ने कहा, "हमें हमेशा व्यक्तियों की भिन्नता पर जोर नहीं देना चाहिए। हम सब एक समान हैं। अफ्रीका में विभिन्न जातियों और जनजातियों की सराहना की जानी चाहिए। ईश्वर चाहता तो हमें एक जैसा याने एक ही रंग रुप में बनाता। लेकिन परमेश्वर चाहता है कि हम अपने मतभेदों की सराहना करें। एक दूसरे की संस्कृतियों की सराहना करने का अर्थ है कि मुझे कभी भी यह विचार नहीं करना चाहिए कि मेरी संस्कृति बेहतर है या श्रेष्ठ है। हमेशा अच्छी चीजें होती हैं जो मैं दूसरों की संस्कृति से ले सकती हूँ। हम एक ही बगीचे में उगने वाले अलग-अलग फूल हैं, अतः हमें एक दूसरे की कद्र करनी चाहिए। अफ्रीका एक जिग्स पहेली की तरह है, जो एक साथ रखे जाने पर सुंदर है। हर टुकड़ा अलग है लेकिन जिग्स पहेली का हिस्सा है।"

 

 

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16 December 2022, 14:52