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जापान में एक काथलिक गिरजाघर जापान में एक काथलिक गिरजाघर 

पुन: शस्त्रीकरण योजना का जापानी धर्माध्यक्षों द्वारा विरोध

जापानी काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के न्याय और शांति आयोग ने प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा और जापानी रक्षा मंत्री को एक पत्र लिखकर मांग की है कि वे पुन: शस्त्रीकरण योजना तथा रक्षा रणनीतियों को संशोधित करने से सम्बन्धित तीन प्रमुख दस्तावेजों को वापस ले लें।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

टोकियो, शुक्रवार, 23 दिसम्बर 2022 (रेई, वाटिकन रेडियो): जापानी काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के न्याय और शांति आयोग ने प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा और जापानी रक्षा मंत्री को एक पत्र लिखकर मांग की है कि वे पुन: शस्त्रीकरण योजना तथा रक्षा रणनीतियों को संशोधित करने से सम्बन्धित तीन प्रमुख दस्तावेजों को वापस ले लें।

जापान के काथलिक धर्माध्यक्षों ने जापान सरकार द्वारा अनुमोदित नई पुनर्शस्त्रीकरण योजना का कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि यह असंवैधानिक ही नहीं अपितु ख़तरनाक भी है।

$ 320 अरब की योजना

16 दिसंबर को, प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा ने जापान की रक्षा रणनीति में एक विशाल बदलाव का अनावरण किया, जिसके तहत अगले पांच वर्षों में $320 अरब से अधिक यानि सकल घरेलू उत्पाद का 2% सेना को मज़बूत करने के लिये व्यय किया जायेगा।

इस योजना में कथित तौर पर न केवल जापानी निर्मित हथियारों को अपग्रेड करना शामिल होगा, बल्कि कम से कम 400 अमरीकी निर्मित लंबी दूरी की टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों को प्राप्त करना भी शामिल होगा।

जापान के मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय सुरक्षा व रक्षा रणनीति सम्बन्धी अन्य दो दस्तावेजों को भी मंजूरी दे दी है। इसमें  एक नई नीति की रूपरेखा दी गई है जो जापान को जवाबी हमले शुरू करने की क्षमता प्रदान करेगी, जबकि पिछले मंत्रिमंडलों ने यह रुख अपनाया था कि जापान के पास जवाबी हमला करने की क्षमता नहीं होनी चाहिए।

यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का हवाला देते हुए प्रधान मंत्री ने रक्षा निर्माण को मज़बूत करने की दलील दी है तथा  क्षेत्रीय खतरों की प्रतिक्रिया के रूप में इस कदम की व्याख्या की है।

असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक फैसला

इस सप्ताह जारी एक बयान में, जापानी धर्माध्यक्षों के न्याय और शांति आयोग ने जापानी सरकार से तीन दस्तावेजों को वापस लेने का आग्रह किया और नई रक्षा नीति की कड़ी आलोचना की, जो, "विशेष रक्षा की पारंपरिक बुनियादी नीति का बहिष्कार करती है।" जापानी संविधान के अनुच्छेद 9 का हवाला देते हुए कहा गया कि जापान को एक सैन्य महाशक्ति बनाने का फ़ैसला एक पूर्ण बदलाव का प्रतीक है।

संदेश में यह भी कहा गया है कि इस तरह का महत्वपूर्ण निर्णय जापानी संसद को दरकिनार करते हुए सरकारी फरमान द्वारा किया गया था, इसलिये यह अलोकतांत्रिक भी है।

न्याय और शांति आयोग सैन्य उद्देश्यों के लिए नागरिक बंदरगाहों और हवाई अड्डों का उपयोग करने और नए हथियार विकसित करने के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान को निर्देशित करने के बारे में भी चिंतित है। नानसेई द्वीपों पर लंबी दूरी की मिसाइलों की तैनाती  तथा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान की तरह ही ओकिनावा में स्थानीय निवासियों के बलिदान के जोखिम का भी बयान में उल्लेख किया गया।

कूटनीति के माध्यम से शांति

2019 में जापान की प्रेरितिक यात्रा के दौरान संत पापा फ्राँसिस के शब्दों का हवाला देते हुए जापान के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के न्याय एवं शांति आयोग ने इस बात की पुनरावृत्ति की कि "जापान को जापानी संविधान की प्रस्तावना और अनुच्छेद 9 के आधार पर कूटनीति के माध्यम से शांति का मार्ग अपनाना चाहिए, शांति के लिए एक ढांचा बनाने में भूमिका निभानी चाहिए जो बातचीत के माध्यम से विवादों को हल करती है।"



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23 December 2022, 11:24