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संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में स्थापित चरनी संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में स्थापित चरनी 

क्रिसमस काल 2022 – कोमलता की क्रांति का समय

येसु का जन्म, भय एवं अनिश्चितता के अंधकार से घिरी दुनिया में आशा का एक सबसे शक्तिशाली चिन्ह एवं संदेश है। अंतरराष्ट्रीय काथलिक आप्रवासी आयोग के महासचिव मोनसिन्योर रोबर्ट वितिल्लो ने “ख्रीस्त के जन्म” की परिवर्तनकारी शक्ति पर चिंतन किया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

मोनसिन्योर वितिल्लो ने कहा है कि प्रथम क्रिसमस की वास्तविकता, आज की चरनी से निश्चय ही भिन्न थी, जिसमें हम टिमटिमाते प्रकाश, संगीत, माता मरियम, योसेफ और बालक येसु को सुन्दर चिकने और कीमती कपड़ों में लपेटा हुआ कल्पना करते हैं।   

क्रिसमस काल २०२२ के अपने संदेश में वितिल्ली ने याद दिलाया है कि क्रिसमस की रात, पवित्र परिवार, आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के समान थे, जिन्हें बाद में पूरी तरह पलायन करना पड़ा जब राजा हेरोद ने बालक येसु की हत्य करने की धमकी दी।

आज लाखों लोग विस्थापित हैं जो मरियम और जोसेफ के समान पीड़ाओं और चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। वे "अस्वीकृति, अजनबी का डर, प्रकृति की कठोरता और अविश्वसनीय तत्वों, आश्रय की कमी, और भविष्य के बारे भारी अनिश्चितता" का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने सद इच्छा रखनेवाले लोगों को निमंत्रण दिया है कि इस क्रिसमस काल में वे शरणार्थियों, आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों, मानव तस्करी के शिकार लोगों एवं निम्न समझे जानेवाले लोगों के प्रति कोमलता की क्रांति लायें, ताकि सच्ची और स्थायी शांति का निर्माण किया जा सके एवं हरेक मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा सुनिश्चित की जा सके।

वर्ष के इस समय गाए जानेवाले क्रिसमस के कई भजनों में, हम चरनी पर पड़े बालक येसु की कल्पना एक रमणीय दृश्य में करते हैं, उन्हें जगमगाती रोशनी और संगीत के बीच, कीमती और चिकने कपड़ों में लपेटे, मरियम और जोसेफ के साथ देखते हैं। निश्चय ही यह उस पहली पवित्र रात्रि की वास्तविकता से बहुत दूर है।

उन्होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह पवित्र परिवार आंतरिक रूप से विस्थापित था। मरियम और जोसेफ को रोमी सम्राठ कैसर अगस्तुस के आज्ञा अनुसार नाजरेथ से बेतलेहेम जाना पड़ा, जो देश में लोगों की जनगणना करना चाहता था। गर्भवती मरियम इस यात्रा के दबाव से नहीं बच सकीं।  

उसके बाद येसु के जन्म के कुछ ही दिनों बाद पवित्र परिवार को मिस्र देश भागना पड़ा क्योंकि राजा हेरोद बालक को मार डालना चाहता था।

इस कहानी को आज भी लाखों लोग जी रहे हैं जो विश्व के विभिन्न हिस्सों में विस्थापित हैं। वे भी मरियम और जोसेफ के समान ही चुनौतियों का सामना करते हैं,

वे "अस्वीकृति, अजनबी का डर, प्रकृति की कठोरता और अविश्वसनीय तत्वों, आश्रय की कमी, और भविष्य के बारे भारी अनिश्चितता" का सामना कर रहे हैं।“

उन्होंने विश्वासियों को सलाह देते हुए कहा कि हमें क्रिसमस चरनी का दर्शन करते हुए कर्म और सुखद चीजों की कल्पना नहीं करनी चाहिए। संत पापा फ्राँसिस हमें स्मरण दिलाते हैं कि उस रात जब येसु का जन्म हुआ, कोमलता की क्रांति हुई। क्योंकि करुणावान ईश्वर ने अपने दिव्य पुत्र को हमारे लिए भेजा ताकि वे हमारे साथ रहें और अपने जीवन को हमारे लिए अर्पित करें। जिससे कि हम उनके साथ अनन्त काल तक जीते रहें।

उन्होंने विश्वासियों को आमंत्रित किया कि वे उनकी कोमलता की क्रांति में शामिल हों। ताकि शरणार्थी, आंतरिक रूप से विस्थापित, मानव तस्करी के शिकार एवं निम्न लोग स्वागत, सुरक्षा, प्रोत्साहन एवं स्थानीय समुदाय के साथ एकीकरण प्राप्त कर सकें।

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29 December 2022, 17:05