खोज

मनरेसा की गुफा में संत इग्नासियुस मनरेसा की गुफा में संत इग्नासियुस  

पोप ˸ हम युद्ध और महामारी को अवसर में बदलें

संत पापा फ्राँसिस ने बर्सेलोना के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल जुवन जोश ओमेला ओमेला को प्रेषित पत्र में संत इग्नासियुस के मन-परिवर्तन एवं आधुनिक दुनिया में उनके आध्यात्मिक साधना को एक उपहार के रूप में चर्चा की है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

सोमवार को ठीक पाँच सौ साल पहले, संत इग्नासियुस बर्सेलोना पहुँचे थे, एक ऐसे शहर में जिसने उनके प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस घटना की यादगारी में संत पापा फ्राँसिस ने बर्सेलोना के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल जुवन जोश ओमेला ओमेला को एक पत्र भेजा।

दृश्य

संत पापा ने अपने पत्र की शुरूआत उस घटना का सजीव चित्रण करते हुए की।

उन्होंने लिखा, "पाँच सौ साल पहले आज के ही दिन, हमारे नायक जिन्होंने राजा की सेवा की थी और उनके लिए खून बहाने को भी तैयार थे, शारीरिक एवं आत्मिक रूप से घायल थे, उन्होंने अपने आपको सब कुछ से अलग किया तथा गरीबी एवं दीनता में ख्रीस्त की सेवा करने का दृढ़ निश्चय किया।"  

उन्होंने लिखा, "उनके लिए यह थोड़ा मायने रखता था कि वे गरीबों के घर में रहते थे या प्रार्थना करने के लिए गुफा जाते थे और इन सबसे बढ़कर वे 'बेकार और पागल समझा जाना' चाहते थे। (एस.ई.167)  

पोप ने उल्लेख किया कि इस अशुभ शुरूआत के बावजूद, पाँच सौ साल के बाद उस क्षेत्र के नागरिक और धार्मिक नेता, इस अवसर को मनाने के लिए संस्थागत रूप में एक साथ आते हैं।

युद्ध एवं महामारी

संत पापा ने कहा कि संत इग्नासियुस ने हमारे समान युद्ध और महामारी के समय जीया और यह महत्वपूर्ण है कि ईश्वर ने इन दोनों का प्रयोग उनके मन-परिवर्तन के बुलावे के लिए किया।

"युद्ध ने उन्हें पम्पलोना की घेराबंदी से बाहर निकाला और उन्हें मन-परिवर्तन के लिए प्रेरित किया, तथा महामारी ने उन्हें बर्सेलोना पहुँचने से रोका एवं मनरेसा की गुफा में रखा।"

संत पापा ने कहा कि "यह हमारे लिए एक महान सीख है, जिसको हमें युद्ध एवं महामारी के समय में एक अवसर के रूप में लेना चाहिए, कि हमने अब तक जिस रास्ते का अनुसरण किया है, उसे बदलना और जो सचमुच मायने रखता, उसपर चलना, चाहे हम जिस किसी क्षेत्र में काम करते हों।"

"संकट के द्वारा ईश्वर हमें बतलाते हैं कि हम इतिहास के स्वामी नहीं हैं,...न ही हम अपने इतिहास के मालिक, और यद्यपि हम उनके बुलावे की कृपा का प्रत्युत्तर देने या न देने के लिए स्वतंत्र हैं, यह हमेशा उनके प्रेम की रूपरेखा है जो दुनिया को निर्देशित करती है।”

संत इग्नासियुस दुनिया के लिए वरदान

संत पापा ने कहा कि संत इग्नासियुस ने अपने बुलावे की कृपा को स्वीकारा, खासकर, उन्होंने इस कृपा को अपने लिए नहीं रखा, लेकिन शुरू से ही दूसरों के लिए वरदान के रूप में बोया, एक मार्ग, एक माध्यम के रूप में।  

संत पापा ने संत इग्नासियुस के प्रसिद्ध आध्यात्मिक साधना की तुलना, पूर्णता के अन्य मार्गों से की, उदाहरण के लिए, संत बेनेडिक्ट की 12 डिग्री की दीनता, संत तेरेसा के महल या अधिक सरल रूप में धन्यताएँ या पवित्र आत्मा के वरदान।  

संत पापा ने कहा कि "अन्य आध्यात्मिक मार्ग की तरह, आध्यात्मिक साधना हमारे लिए याकूब की सीढ़ी के समान है जो पृथ्वी से स्वर्ग तक पहुँचती है और जिसकी प्रतिज्ञा येसु ने उन लोगों के लिए की है जो उनकी खोज ईमानदारी से करते हैं।"

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

15 November 2022, 16:53