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खारकिएव में पीड़ित लोगों के साथ कलीसिया

धर्माध्यक्ष, पुरोहित और कारितास के कर्मचारी यूक्रेनी शहर खारकिएव में अपनी सेवा दे रहे हैं जहाँ लगातार बमबारी हो रही है, ताकि उन लोगों की मदद की जा सके, जिनके पास शीत ऋतु का सामना करने के लिए कुछ भी नहीं है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटकिन सिटी

खारकिएव महाधर्माप्रांत के धर्माध्यक्ष वासिल ने उल्लेख किया है कि उन परिस्थितियों में जीवित रहना बहुत कठिन है। कई निवासी वहाँ से जा चुके हैं और जो बच गये हैं वे मानवीय मदद के भरोसे जी रहे हैं।  

हर बृहस्पतिवार को खारकिएव के संत निकोलस ग्रीक काथलिक महागिरजाघर के सामने लोगों की एक लम्बी लाईन लगती है, जो बड़े सबेरे शुरू होती है। इस स्थानीय कारितास द्वारा युवा, वयस्क, बच्चे और बुजूर्ग सभी को मानवीय सहायता प्रदान की जाती है जो लगातार बमबारी होने के बावजूद अपने शहर में रूके हुए हैं। उनमें वे लोग भी हैं जो युद्ध की शुरुआत में यूक्रेन या विदेश के पश्चिमी क्षेत्रों के लिए रवाना हुए थे, लेकिन रूसी सेना को पूर्व की ओर धकेलने के बाद वापस लौट आए।  

एक छोटा झुण्ड

महागिरजाघर के आंगन में, जो अभी निर्माणाधीन है, खारकीएव के धर्माध्यक्ष वासिल तुकापेत्स लोगों के बीच चलते हैं। लोग उन्हें राहत सामग्रियों के लिए धन्यवाद देने हेतु रोकते हैं और जन्म दिन की शुभकामनाएँ देते हैं क्योंकि उन्होंने अभी अभी 55 साल पूरी की है। वे युद्ध के शुरू से ही खारकिएव में हैं, बावजूद इसके कि वे खारकिएव के नहीं हैं। वे देश के दूसरे भाग लविव से आते हैं किन्तु अपने झुण्ड के साथ हैं जो निश्चय ही छोटा है। खारकिएव, सुमी और पोलतावा प्रांतों में करीब 20 पल्लियाँ हैं। जिनमें पुरोहितों की कुल संख्या 25 है। तीन महिला धर्मसमाजी समुदाय भी हैं जिनमें कुल 8 धर्मबहनें हैं और एक पुरूष धर्मसमाजी समुदाय है जिसमें तीन पुरोहित एवं एक धर्मबंधु हैं।  

कठिन समय में एक साथ

धर्माध्यक्ष ने बतलाया, "युद्ध के शुरू में हमारी कुछ पल्लियाँ, खासकर, विलका और इजुम रूसी सैनिकों के कब्जे में था और हमें अपने पुरोहितों को वहाँ से हटाना पड़े। अब ये स्थान मुक्त हो चुके हैं और हम बचे हुए लोगों को मानवीय एवं आध्यात्मिक दोनों तरह के समर्थन देने की कोशिश कर रहे हैं।"

अन्य पल्लियों में भी, कठिन समय होने के बावजूद सभी पुरोहित अपने समुदायों के साथ हैं। उदाहरण के लिए, सुमी जो रूसी सैनिकों से घिरा हुआ था, पल्ली पुरोहित अपने विश्वासियों के साथ रहे और कुछ समय के लिए लातीनी काथलिकों की भी देखभाल की, जब उनके पल्ली पुरोहित अनुपस्थित थे।"

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25 October 2022, 17:12