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कार्डिनल बोः एशियन धर्माध्यक्षों के मार्ग “त्रिपक्षीय वार्ता”

एशियाई धर्माध्यक्षों के प्रथम आम सम्मेलन में, कार्डिनल चार्ल्स बो ने आशा व्यक्त की कि एशिया में कलीसिया गरीबों, अन्य धर्मों और चहुंमुखी संस्कृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने की पहले करेगा।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2022 (रेई) 12 अक्टूबर को शुरू हुई एशियाई धर्माध्यक्षों के धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की पहली आमसभा के अंतिम पड़ाव पर एफएबीसी के अध्यक्ष कार्डिनल बो ने कहा कि एशियाई कलीसिया त्रिपक्षीय वार्ता के आधार पर एकता की पहल करेगा।

चुनौती भरा एक एशिया धन्य महाद्वीप

वाटिकन न्यूज को दिये गये अपने साक्षात्कार में कार्डिनल बो ने कहा, “हम निश्चित रुप में कह सकते हैं कि इन दो सप्ताहों में पवित्र आत्मा ने हमारा मार्गदर्शन किया है। हम उनकी कृपा से अपने को मजबूत पाते हैं विशेषकर अपने बीच भ्रातृत्व की भावना को।” उन्होंने कहा कि विभिन्न धर्मों के उद्गम स्थल स्वरुप एशिया, अपने में एक धन्य महाद्वीप है। “हम अपने बीच एकता को देखते जो हमें खुशी से भर देती है।”

शांति स्थापना एक नया सुसमाचार प्रचार

कार्डिनल बो ने कहा कि अपने में धन्य होने के साथ-साथ एशिया चुनौतियों से भरा एक महाद्वीप है, “विशेष रुप से शांति स्थापित करने की चुनौती।” अतः शांति स्थापना, वार्ता या मेल-मिलाप हमारे लिए एक नया सुसमाचार प्रचार है और इस कार्य में पवित्र आत्मा हमारी सहायता कर रहे हैं। “जिस कदम की ओर पवित्र आत्मा पूरे एशिया का नेतृत्व कर रहे हैं वह चुनौतीपूर्ण और खतरनाक है क्योंकि पूरे महाद्वीप में विविधता के साथ कुछ विभाजन हैं जहाँ हम हिंसा और सैन्यीकरण को पाते हैं।”

एकता हेतु त्रिपक्षीय वार्ता

चुनौतियों की परिस्थितियों में पवित्र आत्मा के कार्य को ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कार्डिनल बो ने कहा, “वे हमें शांति और मेल-मिलाप की ओर अग्रसर कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि अतीत को ध्यान में रखते हुए एफएबीसी के संस्थापकों ने त्रिपक्षाय मार्ग को चिन्हित किया है जो हमारा ध्यान गरीबों, धर्मों और संस्कृतियों के संग एकता के मार्ग में बढ़ने की माँग करता है। इन तीन एकता के साथ हम प्रकृति के साथ अपनी एकता को संयुक्त करते हैं और इन मार्गों में चलते हुए एशिया की कलीसिया शांति प्रवर्तक के रुप में सामने आयेगी।

एशियाई विश्वासियों का उत्तरदायित्व

उन्होंने कहा कि पवित्र आत्मा न केवल कलीसिया के धर्माध्यक्षों का दिशा-निर्देशन करते बल्कि वे पूरे एशिया के बपतिस्मा प्राप्त लोगों को अपनी राहों में चलने की प्रेरणा प्रदान करते हैं, जिससे हम शांति से संस्थापक बन सकें। “यह हमारे लिए एक चुनौती है क्योंकि 2000 सालों के बाद भी हम 2 प्रतिशत हैं यद्यपि हम अल्पसंख्यक हैं हम दुनिया के लिए नमक और ज्योति की भांति हैं।”  

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28 October 2022, 16:29