एशियाई धर्माध्यक्षों का सम्मेलन ˸ 'बेहतर एशिया के लिए काम पर'
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
एफएबीसी की आमसभा की शुरूआत 12 अक्टूबर को बैंकॉक के बान फू वान प्रेरितिक केंद्र में यूखरिस्त समारोह के साथ हुई।
सम्मेलन में 29 एशियाई देशों के 200 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इसका समापन 30 अक्टूबर को, संघ के 50 वर्ष पूरे होने की यादगारी मनाने के साथ किया जाएगा। सम्मेलन की विषयस्तु है, "एशिया के लोगों के रूप में एक साथ यात्रा करना।"
एशिया के लिए सुसमाचार की सदी
एफएबीसी के अध्यक्ष कार्डिनल चार्ल्स बो ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा था कि यह एशिया की कलीसिया के लिए एक "पेंतेकोस्त की घड़ी" और "गरिमामय समय" है।
उन्होंने एशियाई धर्माध्यक्षों को ख्रीस्त के शिष्य बनकर, महान प्रेरित संत थॉमस, संत फ्राँसिस जेवियर और कई अन्य पुरूषों एवं महिलाओं के पदचिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित किया जिन्होंने सुसमाचार प्रचार के मिशन में अपनी उदार सेवा प्रदान की।
उन्होंने कहा कि एशिया की कलीसिया के सामने उनका कर्तव्य है "पूरे एशिया के लिए इस सदी को येसु के सुसमाचार की सदी बनाना।"
बेहतर एशिया के लिए काम करना
कार्डिनल ओसवाल्ड ग्रेसियस ने उद्घाटन के दिन सम्मेलन को एक "महत्वपूर्ण कदम" और "एफएबीसी के लिए मील का पत्थर" कहा।
उन्होंने कहा, "हम एक साथ, सिनॉडालिटी की भावना से आये हैं, ताकि 11 साल बाद पहली बार अपनी आमसभा को समपन्न करें। उन्होंने बतलाया कि आमसभा आयोजित करने की प्रेरणा लातीनी अमरीकी धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की यात्रा से मिली।
कार्डिनल ने बतलाया कि जब उन्होंने आमसभा के प्रस्ताव के बारे पोप फ्राँसिस को बतलाया तो वे उत्साही थे और उन्होंने इसके लिए अपना पूरा समर्थन एवं प्रोत्साहन व्यक्त किया। कार्डिनल ग्रेसियस ने सम्मेलन के पहले सप्ताह के काम के रूप में बतलाया कि "एक बेहतर एशिया के लिए काम कर रही कलीसिया के लिए नये मार्गों की खोज और कल्पना", पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
एशिया की यात्रा
इस सप्ताह के प्रत्येक दिन की शुरुआत मेजबान देश के एक दल द्वारा दूर से की गई सुबह की प्रार्थना के साथ हुई। भारत, पाकिस्तान और फिलीपींस से संत पॉल की पुत्रियाँ इन दलों में शामिल रहीं।
फिर "उभरती वास्तविकताओं" को जानने और "समानताओं" एवं "मतभेदों" की पहचान करने के लिए एशियाई देशों के विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों की ओर से रिपोर्ट पेश किये गये।
विश्व की यात्रा
पिछले शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय कारितास के महासचिव अलोइस जॉन ने एशिया में कारितास की स्थिति, इसकी चुनौतियों और कलीसिया में यह किस तरह नेटवर्क की भूमिका निभा सकती है इसकी जानकारी दी।
यूरोप के प्रतिनिधि महाधर्माध्यक्ष ग्रुसास ने यूरोप में कलीसिया का एक तुलनात्मक अवलोकन प्रस्तुत किया, जिसमें इसके द्वारा पहचाने गए कार्यों को शामिल किया गया है। अमरीकी धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के प्रतिनिधि ने भी एशिया के धर्माध्यक्षों को सम्बोधित किया।
धर्माध्यक्षों ने काथलिक सुरक्षा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. गाब्रिएल दाय लियाको तथा आध्यात्मिकता की रक्षा करनेवाले विशेषज्ञ, मोनसिन्योर रेमन मैस्कुलिनो जूनियर के वक्तव्यों को भी सुना, जिन्होंने संस्थान के काम पर प्रकाश डाला और "प्रतिनिधियों से अपने देशों में ठोस कार्रवाई करने का आग्रह किया।"
वर्चुवल टोक शो
रविवार को नवनियुक्त कार्डिनल विलियम गोह ने ख्रीस्तयाग अर्पित किया तथा उपदेश में उन्होंने प्रार्थना करने तथा याजकों एवं लोकधर्मियों के एक साथ यात्रा करने के महत्व पर जोर दिया।
एफएबीसी के क्षेत्र के विश्वासी समुदाय की वास्तविकता पर प्रकाश डालते हुए एशिया के 13 देशों के 16 वक्ताओं ने एक वर्चुवल टोक शो में उनके जीवन के हर आयाम एवं सामाजिक स्थिति पर प्रकाश डाला।
वर्तमान विषयवस्तु पर प्रेरितिक चिंतन
सोमवार को प्रतिभागियों ने महामारी के बाद कलीसिया विषय पर धर्माध्यक्ष जेराल्ड मथियस और जेस्विट फादर नगुयेन हाई तिन्ह के वक्तव्य को सुना।
पर्यावरण नीति विशेषज्ञ और वकील अंतोनियो ला वीना, और पर्यावरण कार्यकर्ता सुश्री रिधिमा पांडे ने पर्यावरण संकट की ओर लोगों का ध्यान खींचा।
अंततः याजक विभाग के अध्यक्ष कार्डिनल लाजारो यू ने पुरोहितों के प्रशिक्षण संबंधी सवालों को सामने रखा।
युवाओं की प्रेरिताई
धर्माध्यक्षों ने मंगलवार को युवा विषय पर चर्चा की। प्रतिभागियों ने ताकामात्सु धर्मप्रांत में युवाओं की प्रेरिताई में नियुक्त फादर अकीरा ताकायामा का अनुभव सुना, जिन्होंने युवा लोगों को सुनने के महत्व पर बल दिया।
दो युवा, अंतोनी जुदी और अशीता जिम्मी ने सभा को सम्बोधित किया तथा कहा कि युवा पर सिनॉड के पाँच साल के बाद यह देखने का समय है कि कलीसिया ने कितनी प्रगति की है।
तीसरा वक्ता जॉर्ज प्रवीन ने सलाह दी कि कलीसिया के धर्मगुरू अपने कहने में बदलाव लाते हुए यह न कहें कि 'युवा अनुपस्थित हैं' बल्कि कहें 'मैं युवाओं से अनुपस्थित हूँ।'
आशा कैसे ला सकते हैं
दिन का अंत संत पापा फ्राँसिस के विश्व पत्र प्रातेल्ली तूती पर एक चिंतन के साथ हुआ, जिसे कारितास एशिया के पूर्व अध्यक्ष, महाधर्माध्यक्ष तारसीसियो इसाओ किकुची, एसवीडी द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
उन्होंने आपसी सद्भाव और एकजुटता के विषयों पर ध्यान केंद्रित किया और अपने दर्शकों के लिए विचार करने हेतु एक प्रश्न दिया कि वे समकालीन दुनिया में आशा कैसे ला सकते हैं।
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