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2022.08.24 डीआर कांगो में महिलाओं को सशक्त बनाने वाली 'माता हेकिमा' परियोजना के सदस्य 2022.08.24 डीआर कांगो में महिलाओं को सशक्त बनाने वाली 'माता हेकिमा' परियोजना के सदस्य  #SistersProject

डीआर कांगो में महिलाओं को सशक्त बनाने वाली 'माता हेकिमा' परियोजना

सिस्टर वर्जिनी बिटशांडा 'माँ हेकिमा' परियोजना के माध्यम से पिछले 10 वर्षों में किए गए कार्यों का वर्णन करती है, जो कि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में महिलाओं को "समाज द्वारा लगाए गए अनुचित परिस्थितियों" से बाहर निकलने और उनकी गरिमा हासिल करने में मदद करती है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

डीआर कांगो, शुक्रवार 9 सितम्बर 2022 (वाटिकन न्यूज) : कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य की महिलाएँ विभिन्न सामाजिक पृष्ठभूमि और धार्मिक परंपराओं से आती हैं, फिर भी उन्हें एक ही दैनिक संघर्ष का सामना करना पड़ता है। उन्हें वित्तीय कठिनाई, पारिवारिक बीमारी और उनके अधिकारों के बारे में जानकारी और जानकारी की कमी से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

इस स्थिति से बचने और उस गरिमा को हासिल करने का सबसे अच्छा तरीका है, दल में शामिल होना और एक दूसरे का ठोस तरीके से समर्थन करना है। अतः ‘प्रज्ञा की पुत्रियों के धर्मसमाज’ की धर्मबहन वर्जिनी बिटशांडा ने 10 साल पहले किसानगनी शहर में माताओं का एक संघ, "हेकिमा माता" (स्वाहिली में "विद्वान माताएँ") स्थापित करने का फैसला किया।

संघ का उद्देश्य जातीय और धार्मिक मतभेदों के बावजूद, "मामूली पृष्ठभूमि" की किसानानी महिलाओं को एक साथ लाना है, ताकि उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने में मदद मिल सके।

खेतों में काम करती महिलाएँ
खेतों में काम करती महिलाएँ

विभाजन और हिंसा पर काबू पाना

सिस्टर वर्जिनी ने वाटिकन मीडिया को बताया कि संघ में काथलिक, मुस्लिम, यहोवा के साक्षी, प्रोटेस्टेंट और रिवाइवल कलीसिया की महिलाएँ हैं। सिस्टर वर्जिनी ने कहा, "इस स्थिति से असहमत, समूह की महिलाओं ने धार्मिक संप्रदाय के अनुसार विभाजित होने के लिए कहा। इतने अलग-अलग धर्मों वाली इन महिलाओं के लिए एक साथ काम करना असंभव लग रहा था।”

"इससे हमें कोई आश्चर्य नहीं हुआ, क्योंकि टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले उपदेश को सुनते समय, हम सुन सकते थे कि कैसे ये नकारात्मक संदेश विभाजन, शत्रुता और हिंसा को भड़काते हैं।"

सुनना और सीखना

लेकिन सिस्टर वर्जिनी कठिनाइयों से पीछे हटने वालों में से नहीं थी, टीम भावना पैदा करने के लिए, उन्होंने कनाडा में सीखे तीन साल के कार्यक्रम का पालन किया था। सांस्कृतिक वास्तविकताओं से अवगत और स्थानीय मानसिकता को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने सहायता समूहों के पिछले अनुभवों का उपयोग किया और महिलाओं के इन समूहों के साथ मॉन्ट्रियल (आईएफएचआईएम) में इंस्टिट्यूट ऑफ इंटीग्रल ह्यूमन फॉर्मेशन में प्राप्त शिक्षा का उपयोग किया।

उन्होंने कहा, “हमने उन भयावह स्थितियों को देखा है जो समाज इन महिलाओं पर थोपता है। अधिक बारीकी से भाग लेने से, हम देख सकते हैं और पुष्टि कर सकते हैं कि इन महिलाओं की ताकत (क्षमता, कौशल, साहस, गुण, प्रेम ...) प्रभावशाली और आशा से भरी थी।

माताओं ने धीरे-धीरे आपस में सामंजस्य स्थापित किया, एक-दूसरे को अपने मतभेदों से परे देखने का फैसला किया। उन्होंने सहयोग करना शुरू किया, जातीय और धार्मिक मतभेदों को दूर किया और संबंधपरक कठिनाइयाँ आने पर शांति का निर्माण किया।

सिस्टर वर्जिनी ने कहा कि महिलाओं ने बड़ी रचनात्मकता और पहल दिखाई है। "अपने दम पर, एक महिला ऐसा नहीं कर सकती है, इसके बजाय, दूसरों के साथ एकजुट होकर, हमेशा एक समाधान खोजा जा सकता है।"

एक साथ काम करना

सिस्टर वर्जिनी द्वारा शुरु किये गये किसानगनी की ‘माता हेकिमा संघ’ ने जल्दी से एक साथ काम करना सीख लिया। अपनी रुचियों के आधार पर, प्रत्येक महिला अधिकतम 20 महिलाओं के एक छोटे समूह में काम करती है, जो नागरिक शिक्षा प्रशिक्षण, महिलाओं के अधिकार, परिवार नियोजन और परिवार के बजट और आय के प्रबंधन जैसे विषयों पर केंद्रित है।

आर्थिक कठिनाइयाँ वास्तव में इन महिलाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक हैं, इसलिए वे अपनी आर्थिक स्वायत्तता बढ़ाने के लिए उपकरण विकसित करने पर काम करती हैं।

आय का पहला स्रोत कसावा की खेती कर खाद्य पदार्थों का उत्पादन या बिक्री है, जो कई अफ्रीकी आबादी के दैनिक आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सिस्टर वर्जिनी याद करती हैं कि "शुरुआत में," कुछ छोटे समूह इसे आटा या 'चिक्वांग्यू' बनाने के लिए खरीदते थे, एक प्रकार का पास्ता रोल जो मैनिओका से बना होता है, जो कांगो नदी के किनारे बसने वालों का एक पारंपरिक व्यंजन है।

एक अन्य छोटे समूह ने चिक्वांग्यू उत्पादकों को इसकी आपूर्ति करने के लिए इसकी खेती करने का काम लिया। आज, लगभग दस समूह है और प्रत्येक में लगभग 20 महिलाएं हैं। दल का प्रबंधन समिति द्वारा निर्देशित होता है, जो उत्पाद बिक्री प्रक्रिया की देखरेख करती हैं।

माताओं ने लकड़ी के चूल्हे के उत्पादन के साथ अपनी आर्थिक गतिविधियों में भी विविधता लाई है। अधिक से अधिक महिलाएं संघ में शामिल हो रही हैं। बच्चे भी इस पहल की सफलता याने खाद्य पदार्थों का आनंद लेते हैं।

सिस्टर वर्जिनी अपनी खुशी साझा करते हुए कहती हैं, "कई लोग कुपोषण या बीमारियों से पीड़ित थे और ठीक हो गए, कई माताएं अपने बच्चों को स्कूल और यहां तक कि विश्वविद्यालय भेजने में सक्षम हैं।"

इन कठिनाइयों से परे काम करने में, ‘माता हेकिमा’ का उदाहरण उनके दोस्तों और उनके आसपास के सभी लोगों के बीच स्वायत्तता और वित्तीय स्वतंत्रता की इच्छा को बढ़ाता है।

अपने स्वयं के जीवन पर नियंत्रण रखना

सिस्टर वर्जिनी ‘माता हेकिमा’ परियाजना की सफालता के लिए अपने धर्मसमाज के समर्थन और अन्य भागीदारों के प्रति भी अपना आभार प्रकट करती हैं।

सिस्टर वर्जिनी ने कहा, "हमने अपने लिए जो पहला लक्ष्य निर्धारित किया था - सुपोषित परिवार, स्कूल में बच्चे - बड़े पैमाने पर हमने हासिल किया है और हमारी माताओं ने और अधिक किया: उन्होंने अपने जीवन पर नियंत्रण करना सीखा और देश के सभी अन्यायपूर्ण व्यवस्थाओं के प्रति आवाज उठाना सीखा। अपना सिर उठाकर जीना सीखा।  हमारे लिए यह कितनी खुशी की बात है कि उन्हें इस संगत का लाभ मिलता है, जो उन्हें न केवल उनकी वित्तीय सहायता में मदद करता है, बल्कि एक बार फिर 'माताओं' के रूप में उनकी गरिमा को पाने में मदद करता है।"

डीआर कांगो में महिलाओं को सशक्त बनाने वाली 'माता हेकिमा' परियोजना के सदस्य
डीआर कांगो में महिलाओं को सशक्त बनाने वाली 'माता हेकिमा' परियोजना के सदस्य

 

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09 September 2022, 16:13