डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों को प्यार करना – कारितास कजाखस्तान का मिशन
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
फादर ग्वीदो त्रेजानी ने बतलाया कि सभी बच्चों की किन्तु खासकर, डाउन सिन्ड्रोम वाले बच्चों को प्रोत्साहन देना, उन्हें प्यार करना और उनकी रक्षा करना कजाखस्तान के कारितास मिशन के केंद्र में है, जो ठोस रूप से उनकी मदद करने हेतु प्रतिबद्ध परियोजनाओं को बढ़ावा देता है।
संत पापा फ्राँसिस 13-15 सितम्बर को कजाखस्तान की प्रेरितिक यात्रा करेंगे जहाँ वे विश्व नेताओं एवं परम्पारिक धर्मों के धर्मगुरूओं के 7वें सम्मेलन में भाग लेंगे, साथ ही वे देश के छोटे काथलिक समुदाय को विश्वास में सुदृढ़ रहने का प्रोत्साहन देंगे।
कजाखस्तान में कुल आबादी 19 मिलियन में से 1 प्रतिशत काथलिकों की है जहाँ मुसलमानों की संख्या 70 प्रतिशत और ख्रीस्तीयों खासकर, रूसी ऑर्थोडोक्स की संख्या 25 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा, "(धर्म) एक मापदंड नहीं है जिसके द्वारा हम लोगों का चुनाव करते कि वे हमारे साथ काम करें अथवा हम उनके लिए काम करें। सबसे महत्वपूर्ण बात है उनकी योग्यता, न कि वे किस धर्म के हैं।"
साम्यवाद के अधीन
साक्षात्कार में फादर त्रेजानी ने कारितास कजखस्तान के कार्यों पर प्रकाश डाला तथा बतलाया कि यह किस तरह अतीत को पार किया है जो साम्यवाद के अधीन था किन्तु अब स्वतंत्र है।
कजाखस्तान जिसकी सीमा पर रूस स्थित है, 1991 में सोवित संघ (यूएसएसआर) के विघटन तक कम्युनिस्ट शासन के अधीन 15 सोवियत गणराज्यों में से एक था।
फादर ने जोर देते हुए कहा कि रूसी सीमा के दक्षिण में होने और वहाँ रहनेवाले बहुत बड़े रूसी और यूक्रेनी समुदायों के बावजूद " सौभाग्य से, फिलहाल [यूक्रेन में] युद्ध ने कजाकिस्तान में न तो तनाव पैदा किया और न ही संघर्ष।"
पुरानी मानसिकता से बाहर निकलने और विशेष देखभाल देने की आवश्यकता
फादर त्रेजानी ने कहा, "छोटा संगठन होने के बावजूद कारितास कजाखस्तान लोगों की दैनिक समस्याओं का समाधान खोजने का प्रयास करता है।
शिक्षण, स्वास्थ्य देखभाल और दिव्यांग एवं बुजूर्गों जैसे विशेष प्रकार के लोगों की चिंता करने पर गौर करते हुए, उन्होंने कहा, "यह एक बृहद स्तर का कार्य है।"
"अब हमारी स्थिति थोड़ी अच्छी है लेकिन शुरू में सब कुछ के लिए सरकार पर निर्भर रहना पड़ता था।"
चूँकि संयुक्त सोवियत संघ के समय सभी संगठन और सामाजिक परियोजनाएँ सरकार की थीं। उन्होंने गौर किया कि उस समय कजाखस्तान में दूसरों की मदद करने के लिए लोगों को एक साथ लाने की किसी प्रकार की मानसिकता या परम्परा नहीं थी।
उन्होंने कहा कि इस मानसिकता या संस्कृति को उत्पन्न करना संगठन की एक बड़ी चुनौती रही है।
साम्यवाद के तहत, इतिहास ख्रीस्तियों और उनके धर्म को माननेवालों के प्रति दर्दनाक उत्पीड़न और विकलांगों के प्रति असहिष्णुता एवं निर्दयता पूर्ण रहा है।
हालांकि, भले ही इसकी शुरूआत रेगिस्तान में क्यों न हुई हो, अब कजाखस्तान में कलीसिया का राष्ट्रीय मानवीय संगठन स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकता है, खासकर, डाउन सिन्ड्रोम वाले लोगों की मदद की विशेष परियोजना के लिए।"
दो नये क्षेत्रों में सुविधा
उन्होंने बतलाया कि कारितास कजाखस्तान किस तरह उन परिवारों की मदद करता है जिनके सदस्य डाउन सिन्ड्रोम वाले हैं।
उन्होंने कहा, "यह परियोजना सचमुच अत्यन्त सुन्दर है, हमारी नजर में बहुत उत्तेजक। क्यों? क्योंकि व्यवहारिक रूप से, पहले कुछ भी ऐसा नहीं था।"
1000 से अधिक बच्चों की सेवा
उन्होंने गौर किया कि वहाँ डाउन सिन्ड्रोम वालों के लिए क्षमता की पूर्ण अज्ञानता की स्थिति है।
फादर ने बतलाया कि ऐसे परिवारों का समर्थन करना जिनके सदस्यों और बच्चों में डाउन सिंड्रोम है, "एक ऐसी परियोजना है जिसे हम देश के पूरे क्षेत्र में विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें शिक्षा और समावेश पर भारी जोर दिया गया है।"
कारितास डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों की स्थिति और उनकी सभी संभावनाओं को समझाने और बतलाने की कोशिश कर रहा है।
"यहाँ बड़ा सवाल यह है कि शुरू से ही, जब माँ गर्भवती है, डॉक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता उन्हें गर्भपात कराने या बच्चे को अनाथालय में छोड़ने के लिए मनाने की कोशिश करते हैं।"
फादर त्रेजानी ने परियजना की शुरूआत अपने इताली मित्रों के साथ मिलकर शुरू की जिनका उद्देश्य है आशा प्रदान करना एवं विकास के लिए उचित साधन उपलब्ध कराना।
उन्होंने कहा, "अब हमने इस परियोजना की जिम्मेदारी ली है एवं विभिन्न शहरों में हम 1000 से अधिक बच्चों की सेवा कर रहे हैं।"
देखभाल करनेवाला
फादर त्रेजानी ने बतलाया कि मुस्लिम भी डाउन सिन्ड्रोम के साथ अपने बच्चों की रक्षा के लिए शुक्रिया अदा करते हैं।
इस कार्य में चुनौती पर ध्यान देते हुए फादर ने कहा कि "जब से डाउन सिन्ड्रोम के लिए इस परियोजना की शुरूआत की गई है हमें हमेशा यह देखना आश्चर्यचकित करता है कि अक्सर हमें समस्याओं का नहीं बल्कि रिश्तेदारों की ओर से प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है। माताएँ आकर कहती हैं कि उनके रिश्तेदार, भाई, बहन इत्यादि नहीं चाहते है कि वे हमारे पास लाये जायें क्योंकि हम मुसलमान नहीं, ख्रीस्तीय हैं। अतः उन्हें हमारे पास नहीं आया जाना चाहिए।"
जबकि माताएँ चाहती हैं कि वे उनके बच्चों की देखभाल करें क्योंकि उन्हें लगता है कि सिर्फ संगठन ही उनके बच्चों की देखभाल एक व्यक्ति के रूप में करता है।
कजाख लोगों द्वारा पोप की प्रतीक्षा
कारितास कजाखस्तान के निदेशक ने संत पापा की कजाखस्तान यात्रा पर भी प्रकाश डाला तथा याद किया कि 2017 में अस्ताना में आयोजित एक्सपो में परमधर्मपीठ मंडप लगाया गया था जो 2001 में संत पापा जॉन पौल द्वितीय की कजाखस्तान यात्रा की याद दिलाया था और संत पापा फ्राँसिस की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया था।
फादर त्रेजानी ने कहा, "जॉन पॉल द्वितीय और पोप फ्राँसिस दोनों ने 2017 एक्सपो अस्ताना में वाटिकन मंडप में एक बहुत ही केंद्रीय भूमिका निभाई, जिसमें संदेश न केवल ऊर्जा के सामान्य विषय के बारे में थे, बल्कि आमघर के निर्माण और देखभाल के बारे में भी थे, न केवल प्रकृति के प्रति सम्मान और प्रेम का दृष्टिकोण, बल्कि विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो जरूरत की परिस्थितियों में हैं, गरीबी में जी रहे हैं।"
उन्होंने कई ऐसे लोगों से मुलाकात की है जो 2001 में संत पापा जॉन पौल द्वितीय की यात्रा की याद करते और अब संत पापा फ्राँसिस का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "लोग इंतजार कर रहे हैं। वे इस अवसर का सचमुच इंतजार कर रहे हैं, और शायद वे सुनना चाहते है कि पोप कजाखस्तान एवं कजाख लोगों के लिए क्या कहेंगे।"
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