खोज

नाकासाकी परमाणु विस्फोट नाकासाकी परमाणु विस्फोट 

जापान के धर्माध्यक्षों ने कहा है कि शांति एक कर्तव्य है जो सभी का है

जापान की कलीसिया जब शांति के लिए अपने वार्षिक दस दिवसीय प्रार्थना कार्यक्रम में भाग ले रही है, जापानी धर्माध्यक्षों ने कहा है कि शांति हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

जापान के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष टोक्यो के महाधर्माध्यक्ष एसौ किकूची ने इस अवसर पर एक संदेश में यूक्रेन में जारी युद्ध की पृष्टभूमि पर संत पापा फ्राँसिस के शब्दों पर चिंतन किया है।   

“शांति संभव है; शांति एक कर्तव्य है"। जापानी धर्माध्यक्षों ने शांति कार्यक्रम के लिए दस दिनों की प्रार्थना हेतु अपने चिंतन में इस आह्वान को दोहराया है। 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी के दो परमाणु बम विस्फोटों की वर्षगाँठ के अवसर पर 6 -15 अगस्त तक जापान में कलीसिया द्वारा हर साल प्रार्थना पहल आयोजित की जाती है।

संदेश में महाधर्माध्यक्ष ने शांति एवं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर लोगों का ध्यान एक नये परमाणु भय की ओर खींचा है, जब यूक्रेन और रूस में युद्ध जारी है।  

यूक्रेन पर रूसी हमले से विश्व शांति में बाधा

दो साल पहले आमदर्शन समारोह में संत पापा फ्राँसिस ने पहले से बेहतर स्थिति में कोविड-19 संकट से उभरने के तरीके के रूप में "विविधता और एकजुटता को सद्भाव में एकजुट" करने का आह्वान किया था। "हालांकि - जापानी धर्माध्यक्षों ने गौर किया कि पिछले छह महीनों में हमारी आंखों के सामने जो आया है वह सद्भाव, विविधता या एकजुटता नहीं है, बल्कि टकराव, बहिष्कार और हिंसा है"।

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने दुनिया को एक बड़ी शक्ति के हिंसक कृत्य के रूप में झकझोर दिया है, जिसने शांति की तलाश में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के बढ़ते प्रयासों को कुचल दिया है। जीवन की रक्षा और शांति की तलाश करनेवाले इतने सारे लोगों की इच्छाओं की परवाह किए बिना ये स्थिति जारी है।

हिंसा के द्वारा शांति को जीता नहीं जा सकता

जापानी धर्माध्यक्षों ने चेतावनी दी हैं कि महामारी के दौरान हमने अनुभव से सीखा है कि एकजुटता में एक-दूसरे का समर्थन करना, जीवन की रक्षा करने का सबसे अच्छा तरीका है। अब, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद, दुनिया "इस भावना में बह रही है कि हिंसा से शांति प्राप्त की जा सकती है। लेकिन यह केवल सच्ची शांति को रौंदेगा।”

जब हम कई ऐसे लोगों से प्रभावित होते हैं जो युद्ध के हिंसक रूप से अपने जीवन से वंचित हो रहे हैं और हमारा दिल इन सब की अतार्किकता से अभिभूत हो जाता है,  तब जो भय और क्रोध उत्पन्न होता है, वह करुणा और सहानुभूति को हमारी भावनाओं से बाहर निकाल देता है।

युद्ध के परिणाम पूरे मानव परिवार को प्रभावित करते हैं

संदेश में आगे कहा गया है कि युद्ध इतना "शक्तिशाली" है कि मानव जीवन से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण किन्तु उपेक्षित मुद्दे, जिनमें गरीबी, आर्थिक संकट, उत्पीड़न और विभिन्न कारणों से अपनी मातृभूमि से भागने के लिए मजबूर लोग शामिल हैं, " उनसे हमारा ध्यान हट गया है"। संत पापा के पास्का अपील की याद करते हुए महाधर्माध्यक्ष किकूची ने कहा है कि : "हर युद्ध अपने पीछे विनाशकारी परिणाम लाता है जो पूरे मानव परिवार को प्रभावित करता है: शोक और विलाप से लेकर शरणार्थियों की स्थिति एवं आर्थिक और खाद्य संकट तक का सामना करना पड़ता है।"

जब जापान में कलीसिया हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमबारी की याद कर रही है, धर्माध्यक्षों ने विश्वासियों को विभिन्न दृष्टिकोणों ले शांति पर चिंतन करने का आह्वान किया है।

महाधर्माध्यक्ष किकुची ने अपने संदेश के अंत में कहा है कि "हिंसा के बिना शांति संभव है", और काथलिकों से कहा कि वे दस दिनों का प्रयोग "शांति उत्पन्न करनेवाली एकजुटता की घोषणा करने" के लिए करें।

शांति हेतु दस दिनों की प्रार्थना पहल

जापान के प्रेरितिक यात्रा के दौरान पोप जॉन पॉल द्वितीय की "हिरोशिमा में शांति के लिए अपील" (25 फरवरी 1981) के बाद 1982 में जापानी धर्माध्यक्षों द्वारा "शांति के लिए दस दिनों" की पहल की स्थापना की गई थी, जिसमें उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि "अतीत की याद करना भविष्य को ऊर्जा देना है।” नवंबर 2019 में देश की अपनी यात्रा के दौरान, पोप फ्रांसिस ने आगे कहा था कि परमाणु हथियारों का होना भी अनैतिक है।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

09 August 2022, 17:36