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कार्डिनलों की नियुक्ति करते कार्डिनलों की नियुक्ति करते  

पूर्वी तिमोर के पहले कार्डिनल से मिलें

दिली के नवनियुक्त कार्डिनल विर्जिलियो दो कार्मो दा सिल्वा, पूर्वी तिमोर के नये कार्डिनल होंगे जो संत पापा फ्राँसिस द्वारा 27 अगस्त को कार्डिनल बनाये जायेंगे। कार्डिनल विर्जिलियो दो कार्मो दा सिल्वा के संत पापा फ्राँसिस द्वारा कार्डिनल नियुक्त किये जाने के साथ पूर्वी तिमोर को अपने प्रथम कार्डिनल प्राप्त होंगे।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन रेडियो के साथ एक साक्षात्कार में नवनियुक्त कार्डिनल ने देश की स्थिति, अपनी बुलाहट, कलीसिया की प्राथमिकता एवं वर्तमान में इसकी चुनौतियों पर प्रकाश डाला।  

सवाल ˸ जब पोप फ्राँसिस ने आपको कार्डिनल घोषित किया तो आप क्या कर रहे थे? आपके अनुसार किस बात ने उन्हें आपको चुनने के लिए प्रेरित किया?

उत्तर ˸ मैं अपने भाइयों के साथ आध्यात्मिक साधना केंद्र में था जब संत पापा फ्राँसिस ने इसकी घोषणा की। यह रविवार 29 मई, प्रभु के स्वर्गारोहन के पर्व का दिन था। मैंने पूर्वी तिमोर में परमधर्मपीठ के प्रतिनिधि की ओर से "बधाइयों" के साथ एक फोन प्राप्त किया। मैंने उनसे पूछा कि वे मुझे क्यों बधाई दे रहे हैं और जब उन्होंने कारण बतलाया तब हम दिली चले गये। उसके बाद अधिक लोगों का फोन और संदेश मिला।       

मैंने अयोग्य होने का एहसास करते हुए रातभर परेशान महसूस किया। ईश्वर की इच्छा को स्वीकार करने के लिए कठिनाई का एहसास करते हुए मैंने महसूस किया कि यह ईश्वर की कृपा है जो संत पिता के द्वारा पूर्वी तिमोर के लोगों एवं कलीसिया के लिए मिला है।   

पूर्वी तिमोर की काथलिक कलीसिया, जिसने हाल ही में 500 साल पूरे की है, और देश, जिसने अपनी स्वतंत्रता प्राप्त करने के 20 साल पूरे होने का जश्न मनाया है, वह इसके योग्य है। यह मेरे लिए नहीं है बल्कि पूर्वी तिमोर की ईश प्रजा के लिए है। यह दक्षिणपूर्व एशिया में 96% काथलिकों के साथ इस छोटे से देश की पहचान को पुष्ट करनेवाला एक ठोस अवसर है।

सवाल ˸ काथलिक परंपरा पूर्वी तिमोर की राष्ट्रीय पहचान का एक मूलभूत तत्व है, और जैसा कि आपने उल्लेख किया है, आपके देश ने अभी-अभी अपनी स्वतंत्रता की 20वीं वर्षगांठ मनाई है। आप पूर्वी तिमोर के पहले कार्डिनल हैं, आपके द्वीप से कार्डिनल की नियुक्ति का आपके देश के लिए क्या अर्थ है?

उत्तर ˸ इसका मतलब बहुत बड़ा है। हमारे देश में काथलिक पहचान स्पष्ट है। उदाहरण के लिए, हमारी स्वतंत्रता की 20वीं वर्षगांठ के उत्सव के दौरान, राष्ट्रीय संसद ने अबू धाबी में पोप फ्राँसिस और ग्रैंड इमाम [अल अजहर के] द्वारा हस्ताक्षरित मानव बंधुत्व पर दस्तावेज़ को अपनाया। दस्तावेज को अपनाना इस बात को बतला रहा है और पुष्टि दे रहा है कि बहुसंख्यक काथलिक हैं।

नियुक्ति की खबर से अधिकांश तिमोरवासियों को बहुत खुशी और गर्व महसूस हुआ। तिमोरी सरकार भी कंसिस्टरी (कार्डिनल रचना की धर्मविधि) में तीन प्रतिनिधि भेज रही है।

सवाल ˸ आप एक सलेशियन पुरोहित हैं। आपने एक पुरोहित के रूप में अपनी बुलाहट को कैसे पाया और आपने क्यों सलेशियन होने का चुनाव किया?

उत्तर ˸ मेरी बुलाहट की कहानी अत्यन्त सरल है क्योंकि मैंने जब प्राथमिक स्कूल समाप्त किया तो मैं जूनियर हाईस्कूल जाना चाहता था और वहाँ एक ही स्कूल था जो सलेशियन लोगों के द्वारा चलाया जाता था, उन लोगों के लिए जो भविष्य में सलेशियन बनना चाहते थे। जब मैं सलेशियन लोगों के पास पहुँचा तो पाया कि वे अत्यन्त दयालु थे, उन्होंने मेरे वहाँ रहने और पढ़ाई करने को स्वीकार कर लिया। वहाँ रहते-रहते मैंने अपने सलेशियन एवं पुरोहितीय बुलाहट को पहचाना।    

सवाल ˸ पूरे एशिया में फिलीपींस के बाद पूर्वी तिमोर दूसरा बड़ा काथलिक बहुल देश है। आपके देश में काथलिकों की संख्या काफी अधिक है, करीब 96 प्रतिशत से अधिक। पूर्वी तिमोर की कलीसिया में कौन-कौन सी प्रेरितिक चुनौतियाँ हैं?

उत्तर ˸ पूर्वी तिमोर की काथलिक कलीसिया का इतिहास अनुठा है और इसने चुनौतियों का सामना करने में अपना योगदान दिया है। यद्यपि सुसमाचार प्रचार सबसे पहले 16वीं शताब्दी में शुरू हुआ और सुसमाचार की प्रक्रिया धीमी थी, 1975 एवं 1999 के बीच नागरिक युद्ध के दौरान, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक कारणों से काथलिकों की संख्या नाटकीय रूप से और तेजी से बढ़ी। 2002 में, पूर्वी तिमोर ने दक्षिण पूर्व एशिया में एक युवा देश के रूप में और काथलिक बहुसंख्यक आबादी के साथ अपनी स्वतंत्रता हासिल की। इन दो दशकों में काथलिक कलीसिया का कार्य संघर्षपूर्ण रहा, क्योंकि इसने इस अवस्था परिवर्तनकालिक अवधि में अच्छी संगत प्रदान करने और लोगों के विश्वास को मजबूत करने और परिपक्व करने के लिए काम किया।  

इन सालों में हमें विश्वास के प्रशिक्षण एवं शिक्षा को बढ़ावा देना है। इन चुनौतियों को लेना जरूरी है। यह सुनिश्चित करना है कि प्रशिक्षण देनेवाले दक्ष हों, खासकर, सेमिनरी में। हमें लोकधर्मियों को भी अच्छी तरह सिखाना है, विशेषकर प्रचारकों एवं अन्य स्वयंसेवकों को, ताकि वे लोगों को विश्वास में मजबूत होने में मदद दे सकें। हमारी प्रेरिताई की प्राथमिकता, खासकर, परिवार, बच्चे और युवा लोगों के लिए हैं। युवाओं पर विशेष ध्यान देना है क्योंकि हमारे देश में गरीबी एवं बेरोजगारी है। कलीसिया अभी भी अध्ययन कर रही है कि किस तरह उनकी मदद की जाए जो अपनी मातृभूमि से दूर हैं।

सवाल ˸ पूर्वी तिमोर की यात्रा करनेवाले अंतिम पोप 1989 में संत पापा जॉन पॉल द्वितीय थे, जब देश स्वतंत्र नहीं हुआ था। तिमोरियों के लिए उस यात्रा का क्या अर्थ था?

उत्तर ˸ पूर्वी तिमोर में संत पापा जॉन पौल द्वितीय की यात्रा अनुठी थी और तिमोर के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण क्योंकि वे पहले पोप थे और हैं जिन्होंने इस भूमि की यात्रा की है। अब यह भूमि एक नया देश है। तब संत पापा की यात्रा दुनिया के सामने यह प्रकट करने का क्षण थी कि दुनिया के इस कोने में रहनेवाले लोगों का एक समुदाय है जो स्वतंत्रता के लिए तरसते हैं। संत पापा की यात्रा न केवल विश्वास को प्रेरित करने के लिए थी बल्कि तिमोर के लोगों के लिए आशा जगाने का समय भी था जो उन वर्षों में शोषित थे। उन वर्षों में संत पापा के शब्द "तुम पृथ्वी के नमक हो और तुम दुनिया की ज्योति हो" आज भी तिमोर के कई लोगों के लिए गूँजते हैं।  

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12 August 2022, 12:22