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श्रीलंका के प्रदर्शनकारी श्रीलंका के प्रदर्शनकारी  

श्रीलंका में आर्थिक संकट के बीच सहायता प्रदान कर रही है कलीसिया

कारितास श्रीलंका के निदेशक, फादर महेंद्र गुनाटिलके देश में लोगों की दुर्दशा के बारे में बोलते हैं, जिनमें से कई गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने पद से इस्तीफा दे दिया है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

कोलंबो, शनिवार 16 जुलाई 2022 (वाटिकन न्यूज) : श्रीलंका में राजपक्षे परिवार के दशकों का शासन शुक्रवार को उस समय समाप्त हो गया जब देश की संसद के अध्यक्ष ने औपचारिक रूप से राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का इस्तीफा स्वीकार कर लिया।

देश में एक गंभीर आर्थिक संकट के कारण हुए जनता के विद्रोह से बचने के लिए द्वीप राष्ट्र से भागने के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया। बुधवार तड़के एक सैन्य विमान से मालदीव भाग गए और राजपक्षे अब सिंगापुर में हैं।

प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेंगे। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने उनके इस्तीफे की भी मांग की है। श्रीलंकाई लोग बढ़ती कीमतों और भोजन, ईंधन और दवाओं सहित बुनियादी सामानों की कमी का सामना कर रहे है।

यूक्रेन में संघर्ष ने स्थिति को भी खराब कर दिया है, क्योंकि श्रीलंका अपनी चाय का 18 प्रतिशत यूक्रेन और रूस को निर्यात करता है और 45 प्रतिशत गेहूं यूक्रेन से आयात करता है।

लोग मौजूदा हालात के लिए पूर्व राष्ट्रपति और सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। श्रीलंका में, आधी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जी रही है और शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक सेवाओं के लिए समर्थन में लगातार गिरावट आई है।

काथलिक सहायता एजेंसी, (सीएएफओडी), ने श्रीलंका में 30 से अधिक वर्षों तक काम किया है। अपने नेटवर्क के माध्यम से, यह गंभीर भोजन और ईंधन संकट से प्रभावित परिवारों के लिए बहुत जरूरी खाद्य राहत प्रदान कर रहा है।

यह श्रीलंकाई लोगों के जीवन में तत्काल सुधार के लिए शांतिपूर्ण आह्वान का समर्थन करने वाले स्थानीय संगठनों के साथ भी काम कर रहा है। कारितास श्रीलंका के राष्ट्रीय निदेशक फादर महेंद्र गुनाटिलके वाटिकन रेडियो से बात करते हुए, बताया कि वर्तमान राजनीतिक और आर्थिक संकट "श्रीलंका के इतिहास में एक बहुत ही अनिश्चित क्षण" है।

मानवीय संकट

उन्होंने कहा, "अभी हम मानवीय संकट से गुजर रहे हैं और यह एक आपदा बन रहा है... ईंधन, गैस आदि के लिए लंबी कतारें हैं, और लोग  समय पर अपने कार्यस्थलों तक नहीं पहुंच सकते हैं ... लोगों को जीवित रहना बेहद मुश्किल हो रहा है,। "

आंकड़ों के मुताबिक, देश में दस लाख से ज्यादा लोगों की नौकरी चली गई है। संयुक्त राष्ट्र का यह भी अनुमान है कि 22 मिलियन की आबादी में से 5 मिलियन से अधिक को खाद्य सहायता की आवश्यकता है।

जवाबदेही और विश्वास

फादर गुनाटिलके ने समझाया कि मौजूदा विरोधों की जड़ सरकार और राष्ट्रपति में विश्वास और जवाबदेही की कमी से उपजा है, जो उनके द्वारा किए गए बुरे फैसलों के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था को घुटनों पर ला दिया है।

आर्थिक पतन और इसकी जड़ें

यह पूछे जाने पर कि क्या यूक्रेन में युद्ध का श्रीलंका के मौजूदा आर्थिक संकट पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, फादर गुनाटिलके ने कहा कि देश की स्थिति चार साल पहले ही खराब हो चुके हैं।

"2019 में हमारे पास ईस्टर संडे की बमबारी हुई थी और समाज में व्याप्त गंभीर मनोविकृति ने समाज को वस्तुतः एक ठहराव में ला दिया।" स्कूल जाना या काम करना संभव नहीं था, जिसका अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा।

उन्होंने यह भी कहा कि 2020 और 2021 के दौरान कोविड -19 महामारी ने आर्थिक स्थिति को और गंभीर बना दिया। यूक्रेन में युद्ध का श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा है, विशेष रूप से देश में तेल और गैस लिए। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि बांग्लादेश जैसे अन्य दक्षिण एशियाई देशों की अर्थव्यवस्थाएं अच्छा कर रही हैं। उन्होंने कहा सरकार और पूर्व राष्ट्रपति को देश के कुप्रबंधन की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

कलीसिया का समर्थन

जैसा कि लोगों को आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, फादर गुनाटिलके ने कहा कि कलीसिया जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए अपने सभी संसाधन जुटा रही है। उन्होंने कहा कि कारितास श्रीलंका भोजन और स्वच्छता सेवाएं प्रदान करता रहा है। देश के गरीब और जरुरतमंद लोगों की सहायता के लिए बौद्धों, हिंदुओं और मुसलमानों सहित अन्य धार्मिक समुदायों के साथ काथलिक कलीसिया भी काम कर रही है।

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16 July 2022, 15:13