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कोलम्बो में प्रदर्शन करते प्रदर्शनकारी कोलम्बो में प्रदर्शन करते प्रदर्शनकारी 

एसीएन द्वारा श्रीलंका की कलीसिया की सहायता हेतु 465,000 यूरो दान

श्रीलंका में जब पुरोहित और धर्मसमाजियों का जीना मुश्किल हो रहा है, काथलिक कलीसिया की सहायता एजेंसी एड दू द चर्च इन नींड उनकी मदद हेतु एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा प्रदान कर रही है ताकि वे अपनी प्रेरिताई देश की आपातकालीन समय में भी जारी रख सकें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

आर्थिक मंदी और विरोध के बीच 15 जुलाई को गोटाबाया राजपक्षे को बाहर करने के बाद श्रीलंका के लोग इस सप्ताह एक नए राष्ट्रपति की प्रतीक्षा कर रहे हैं, एड टू द चर्च इन नीड (एसीएन) ने घोषणा की है कि वह द्वीप राष्ट्र के पुरोहितों और धर्मसमाजियों की सहायता हेतु 465,000 यूरो प्रदान कर रहा है। ताकि वे संकट के दौरान अपने आवश्यक प्रेरिताई को जारी रख सकें। काथलिक कलीसिया की सहायता एजेंसी एड दू द चर्च इन नींड विश्वभर की ऐसी कलीसियाओं की मदद करता है जो जरूरतमंद हैं अथवा अत्याचार के शिकार हैं।

पुरोहितों एवं धर्मसमाजियों की मदद

नए पैकेज में मिस्सा स्टाईफन शामिल है – जो पुरोहित को मूल आय प्रदान करता है, प्रचारकों, धर्मबहनों और अन्य धर्मसमाजियों को मदद राशि प्रदान करता है ताकि श्रीलंका में महत्वपूर्ण प्रेरितिक कार्यों को आगे लिया जा सके।  

कर्ज में डूबा एशियाई देश, जो अर्थव्यवस्था के घोर कुप्रबंधन और व्यापक भ्रष्टाचार के कारण एक अभूतपूर्व आर्थिक और वित्तीय संकट में फंस गया है, लोगों को बुनियादी जरूरतों और आजीविका से वंचित करनेवाले ईंधन, भोजन और दवाओं की गंभीर कमी का सामना कर रहा है।

कमी और बढ़ती कीमतों से कलीसिया प्रभावित

कैंडी के धर्माध्यक्ष वलेंस मेंडीस द्वारा एसीएन को दी गई जानकारी अनुसार, संकट का गंभीर प्रभाव स्थानीय कलीसिया पर भी पड़ रहा है। उन्होंने काथलिक उदारता संगठन को बतलाया कि यह अपनी लागतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है, और उन सभी लोगों की पीड़ा को दूर करने के लिए इसे और अधिक कठिन पा रहा है जो मदद के लिए कलीसिया की ओर रुख कर रहे हैं।

धर्माध्यक्ष ने कहा, "लोग वस्तुतः कुछ भी नहीं खरीद सकते हैं। हमारे पुरोहित और धर्मसमाजी संकट से बुरी तरह प्रभावित हैं। ईंधन, गैस, पाउडर दूध, चीनी, चावल, दवाएं आदि खरीदने की कोशिश कर रहे लोगों की बहुत लंबी कतारें हैं। बहुत से लोगों ने अपनी नौकरी खो दी है, और कीमतों में खगोलीय रूप से वृद्धि हुई है"। पिछले महीने मुद्रास्फीति के 54 प्रतिशत से ऊपर जाने के साथ, खाद्य कीमतें अब पिछले साल की तुलना में 80 प्रतिशत अधिक हैं। श्रीलंकाई केंद्रीय बैंक के अनुसार, आनेवाले महीनों में मुद्रास्फीति 70% तक बढ़ सकती है।

आर्थिक संकट और राजनीतिक अशांति

श्रीलंका में आर्थिक और वित्तीय कठिनाइयाँ 2019 में शुरू हुईं, जो बढ़ते सार्वजनिक ऋण के साथ, कोविड-19 महामारी के कारण पर्यटन के पतन से बढ़ गई। खाद्य और ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि - यूक्रेन में युद्ध के कारण 2022 में अधिक तेज हो गई - जिसने गंभीर ऋण को और बढ़ा दिया है तथा देश को अमेरिकी डॉलर से आयात के लिए असमर्थ कर दिया एवं विदेशी ऋणों पर चूक करने के लिए प्रेरित किया।

संकट के प्रबंधन पर व्यापक असंतोष पिछले सप्ताह के अंत में फूट पड़ा जब कोलंबो में लाखों लोगों ने सरकारी भवनों पर कब्जा कर लिया, जिससे राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा।

नए राष्ट्रपति के 20 जुलाई को चुने जाने की उम्मीद

श्रीलंका के लोग अब 20 जुलाई को संसद द्वारा एक नए राष्ट्रपति का चुनाव करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस बीच, प्रदर्शनकारियों के विरोध के बावजूद, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे, जिन्हें श्रीलंकाई संसद द्वारा अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया है, उन्होंने संकट से उत्पन्न सामाजिक अशांति के कारण 17 जुलाई को आपातकाल की स्थिति की घोषणा की।

शनिवार को उन्होंने कहा कि वह श्रीलंकाई लोगों को ईंधन, गैस और आवश्यक खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए एक तत्काल राहत कार्यक्रम लागू करेंगे और सरकारी भ्रष्टाचार को कम करने के लिए प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करने का भी वादा किया।

संत पापा फ्राँसिस श्रीलंका के लिए प्रार्थना कर रहे हैं

रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा फ्राँसिस ने श्रीलंका के लोगों के प्रति अपना आध्यात्मिक सामीप्य व्यक्त किया तथा धर्मगुरूओं के साथ मिलकर सभी लोगों से आग्रह किया कि वे किसी तरह की हिंसा से दूर रहें और आमहित के लिए वार्ता की प्रक्रिया शुरू करें।   

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19 July 2022, 16:59