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स्वर्गीय फादर स्टैन स्वामी एस. जे। स्वर्गीय फादर स्टैन स्वामी एस. जे। 

स्टैन स्वामी को मरणोपरांत मिला अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार

दुनियाभर में मानवाधिकार रक्षकों का सम्मान करनेवाले एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने दिवंगत जेसुइट फादर स्टैन स्वामी को इस साल के मार्टिन एनल्स अवार्ड से सम्मानित किया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

नई दिल्ली, बृहस्पतिवार, 2 जून 2022 (मैटर्स इंडिया)˸ दुनियाभर में मानवाधिकार रक्षकों का सम्मान करनेवाले एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने दिवंगत जेसुइट फादर स्टैन स्वामी को इस साल के मार्टिन एनल्स अवार्ड से सम्मानित किया है।

मानव अधिकारों के रक्षक अलर्ट-इंडिया के राष्ट्रीय कार्यकारी सचिव के सदस्य हेनरी टिफागने ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि "यह उस काम और विरासत की स्वीकृति है जिसे फादर स्टैन स्वामी ने हम सभी के लिए छोड़ दिया है।"

यह पुरस्कार दो जून को जिनेवा में एक समारोह में सम्पन्न हुआ और फादर स्वामी की ओर से जेसुइट फादर जेवियर सोरेंग इसे ग्रहण किया।

मार्टिन एनल्स अवार्ड के वेबसाईट अनुसार फादर स्टैन को 2021 के वसंत में पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था, लेकिन इसके पहुंचने से पहले ही उनका निधन हो गया।

इस पुरस्कार का प्रबंधन स्विट्जरलैंड के जिनेवा में स्थित मार्टिन एनल्स फाउंडेशन द्वारा किया जाता है। मानव अधिकारों के रक्षक अलर्ट-इंडिया के साथ साथ, 34 देशों के करीब 60 रक्षक इस पुरस्कार से जुड़े हैं जो मानव अधिकारों की रक्षा करनेवाले व्यक्तियों एवं संगठनों को सम्मानित करता है जिन्होंने जोखिमों के बावजूद मानव अधिकारों की रक्षा करने और उसे बढ़ावा देने में असाधारण प्रतिबद्धता दिखाई है।    

पुरस्कार रक्षकों को "अधिक आवश्यक सुरक्षा, उनकी सार्वजनिक प्रतिष्ठा को ऊपर उठाना और उनके कामों के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाना चाहता है।"

फादर स्टैन स्वामी जिन्होंने अपना जीवन भारत के झारखंड राज्य के आदिवासी लोगों के लिए समर्पित किया, उनका निधन 5 जुलाई 2021 को मुम्बई के अस्पताल में विचाराधीन कैदी के रूप में हुआ। वे 84 साल के थे।

भारत की प्राथमिक आतंकवाद विरोधी कार्यबल, राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने 8 अक्टूबर, 2020 को झारखंड राज्य की राजधानी रांची के पास नामकुम में उनके केंद्र बगैचा से फादर स्वामी को गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने उन पर प्रतिबंधित माओवादी समूहों से संबंध रखने का आरोप लगाया था।

वे 2018 भीमा कोरेगांव हिंसा में उनकी कथित भूमिका के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किए गए 16 लोगों में शामिल थे। फादर स्टैन ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इंकार किया था। चूँकि वे पर्किनसंस की बीमारी से पीड़त थे उन्होंने मेडिकल के आधार पर बेल की मांग की थी जिसको कई बार खारिज किया गया। इस बीच जेल में रहने के दौरान उसकी तबीयत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई।

तीन दशकों तक झारखंड में रहते हुए फादर स्टैन स्वामी ने आदिवासी समुदाय के विभिन्न मुद्दों पर काम किया, उदाहरण के लिए जमीन मामले, जंगल, मजदूरों के अधिकार आदि। उन्होंने संविधान की पांचवीं अनुसूची के गैर-कार्यान्वयन पर सवाल उठाया, जिसमें राज्य में उनकी सुरक्षा, कल्याण और विकास के लिए आदिवासी समुदाय के सदस्यों के साथ एक जनजाति सलाहकार परिषद की स्थापना की गई थी।

अपनी गिरफ्तारी से दो दिन पहले दिए गए एक बयान में, स्वामी ने कहा था कि उन्होंने हजारों युवा आदिवासियों और मूलवासियों (मूल निवासियों) की "अंधाधुंध" गिरफ्तारी को चुनौती दी है, जिसमें जांच एजेंसियों ने उन्हें "नक्सल" या माओवादी करार दिया है।

फादर स्वामी ने राज्य के खिलाफ झारखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर ऐसे सभी विचाराधीन कैदियों को निजी अनुबंध पर रिहा करने और शीघ्र सुनवाई की मांग की थी। उन्होंने मुकदमे की प्रक्रिया में देरी के कारणों की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग की नियुक्ति की भी मांग की थी।

स्वामी के काम में "भूमि बैंकों" की स्थापना का विरोध भी शामिल था, जिसके बारे में उनका तर्क था कि छोटे और बड़े उद्योग स्थापित करने के लिए समुदाय से संबंधित भूमि को मुक्त कर दिया जाए।

फादर पीटर महेंद्र येसु समाजी जिन्होंने उनके साथ काम किया है उन्होंने अपना अनुभव बतलाते हुए कहा, "जिस तरह एक जलती मोमबत्ती अपनी मकसद पूरी करती है उसी तरह फा. स्टैन अपने जीवन जीने के मकसद जानते थे। वे हमेशा लोगों के हितों, मुद्दों में अपने को व्यस्त रखते थे। अंग्रेजी और हिन्दी दोनों में उनके लेख हमेशा बेजुबानों की आवाज थे। सही मायने में वे आज के जमाने के एक नबी थे। वे समाज में प्रेम, शांति, समानता और न्याय का राज्य चाहते थे।"

राँची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो येसु समाजी ने कहा, "हमें बड़ी खुशी है कि फादर स्टैन स्वामी को उनकी मानवता के प्रति निःस्वार्थ सेवा के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।"

मार्टिन एनल्स अवार्ड की स्थापना ब्रिटिश मानवाधिकार कार्यकर्ता मार्टिन एनल्स के सम्मान में की गई है, जिन्होंने 1968 से 1980 तक एमनेस्टी इंटरनेशनल के महासचिव के रूप में कार्य किया।

उन्होंने दुनिया भर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचना की स्वतंत्रता एवं मानव अधिकार सूचना और प्रलेखन प्रणाली की रक्षा तथा बढ़ावा देने के लिए 187 में स्थापित मानवाधिकार संगठनों अनुच्छेद 19 की स्थापना की थी।

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02 June 2022, 17:05