ओडिशा की कलीसिया ने की गलवान घाटी के शहीद की याद
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
कंधमाल, शनिवार, 18 जून 2022 (मैटर्स इंडिया) ˸ परोपकार की माता मरियम गिरजाघर के पल्ली पुरोहित एवं कटक – भुनेश्वर महाधर्मप्रांत के विकर जेनेरल फादर प्रदोश चंद्र नायक ने कहा, "चंद्रकांत की मृत्यु ओडिशा की कलीसिया के लिए एक बड़ा गर्व और सम्मान लाती है।"
फादर ने याद किया कि प्रधान, देश की रक्षा हेतु लड़ने के लिए साहसी थे ही वे येसु में विश्वास के लिए भी पक्के थे।
प्रधान उन 20 भारतीय सैनिकों में से एक थे जो 15 जून को शहीद हो गये।
कंधमाल के साहसी सैनिक को श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु विभिन्न विभागों के सरकारी अधिकारियों ने भी समारोह में भाग लिया।
शहीद के पिता करुणाकर प्रधान ने कहा, "चंद्रकांत न केवल मेरा बेटा है बल्कि कंधमाल, ओडिशा और भारत का सुपुत्र है।"
शोभायात्रा
लोकसभा में कंधमाल के प्रतिनिधि सुधांसु कुमार पानीग्राही ने प्रधान की प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने कहा, "वे मर गये हैं लेकिन कंधमाल, ओडिशा और भारत के हरेक जन में जीवित हैं।"
चंद्रकांत प्रधान राज्य की राजधानी भुवनेश्वर से लगभग 260 किमी पश्चिम में कंधमाल जिले के रायकिया के बेयरपंगा के मूल निवासी थे।
चंद्रकांत जो 16 बिहार रेजिमेंट के सैनिक थे, भारत और चीन के बीच एक गंभीर सैनिक संघर्ष में शहीद हो गये।
पवित्र मिस्सा के बाद लोगों ने चंद्रकांत प्रधान के सम्मान में एक शोभा यात्रा निकाली। उन्होंने चंद्रकांत प्रधान अमर रहे के नारे लगाये एवं उनकी प्रतिमा को हार माला पहना कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
कंधमाल के जिला समिति के सदस्य सत्यबन पत्रा ने कहा, "हमारे बहादुर बेटे चंद्रकांत प्रधान की स्मृति में हम हर साल वॉलीबॉल टूर्नामेंट का आयोजन करेंगे। वे ईमानदार थे, सरल थे किन्तु काफी साहसी थे जिन्होंने भारत के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया।"
उन्होंने कहा कि प्रधान अब उस क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा और आदर्श बन चुके हैं।
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