कलीसिया की सिनॉडालिटी में योगदान देना चाहती हैं, सि. विमला
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
रोम, शनिवार, 20 मई 2022 (वीएन हिन्दी) ˸टिलडोंक की उर्सुलाईन धर्मबहनों की 9वीं महासभा 7-21 मई तक रोम में आयोजित की गई थी। महासभा की विषयवस्तु थी, "ख्रीस्त पर आधारित जीवन जीयें"। महासभा ने धर्मसंघ की सर्वोच्च अधिकारिणी एवं उनकी सहायिकाओं का चुनाव किया तथा कई अन्य मुद्दों पर विचार-विमार्श किया।
नवनिर्वाचित सर्वोच्च अधिकारिणी सिस्टर विमला मिंज ओ. एस यू. भारत के राँची प्रोविंस की हैं और धर्मसंघ की बागडोर संभालने का यह उनके लिए दूसरा अवसर है। उन्होंने वाटिकन रेडियो को दिये एक साक्षात्कार में अपने धर्मसंघ के बारे बतलाते हुए कलीसिया में इसके योगदान की जानकारी दी।
सवाल- धर्मसमाज के बारे संक्षिप्त जानकारी दें और बतलायें कि यह किस तरह संत उर्सुला से प्रेरित है?
टिल्डोंक के उर्सुलाईन धर्मसमाज की स्थापना श्रद्धेय फादर जॉन मार्टिन लम्बेर्ट के द्वारा बेल्जियम के टिल्डोंक पल्ली में 1818 ई. में तीन युवतियों के द्वारा हुई।
13 जनवरी 1903 ई. को बेल्जियम से चार उर्सुलाईन धर्मबहनों का पदार्पण राँची के पुरूलिया रोड में हुआ। इन चार धर्मबहनों के द्वारा बोयी गई बीज आज भारत में एक पूर्ण विकसित वृक्ष का रूप धारण कर, चार प्रोविंसों में कार्यरत है। ये प्रोविंस हैं- राँची (मदर प्रोविंस), गुमला, अंबिकापुर और तेजपुर। धर्मसमाज का विकास बेल्जियम, कोंगो, अमरीका तथा कनाडा में हुआ। वर्तमान में पूरे धर्मसमाज में 1058 धर्मबहनें कार्यरत हैं, इनमें से करीब 850 धर्मबहनें भारत में हैं। हमारे संस्थापक फादर जॉन लम्बेर्ट ने इस धर्मसंघ को संत अंजेला द्वारा स्थापित उर्सुलाईन धर्मसमाज से संबंधित किया, इस तरह हमारा धर्मसंघ उर्सुलाईन ऑफ टिल्डोंक के नाम से जाना जाता है। सन् 1535 ई. में संत उर्सुला की कम्पनी की स्थापना संत अंजेला ने की थी।
सवाल - धर्मसंघ के चैपटर या महासभा में किन मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है?
धर्मसंघ के इस चैपटर (महासभा) में निम्न बिन्दुओं पर विशेष विचार किया जा रहा है- धर्मसंघ की वर्तमान वास्तविक स्थिति :
जैसे – समर्पित जीवन के विभिन्न पहलू।
- नेतृत्व- धर्मसंघ तथा अन्य मिशन क्षेत्र।
- वर्तमान में बुलाहट की स्थिति एवं समर्पित जीवन में आगे बढ़ने हेतु प्रशिक्षण।
- विकसित तकनीकियों का हमारे धर्मसंघीय जीवन में प्रभाव ̸ दुष्प्रभाव।
- वर्तमान स्थिति में राजनीतिक मुद्दों का प्रभाव।
- विभिन्न अनुकूल ̸ प्रतिकूल परिस्थितियों पर धर्मसंघ एवं धर्मसंघीय जीवन का प्रत्युत्तर।
- नई केंद्रीय प्रशासनिक समिति का गठन
- अगामी वर्षों के लिए नई दिशा निर्धारण।
सवाल -अपने मिशन में धर्मसमाज को इन दिनों किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है?
वर्तमान समय में धर्मसंघ को कुछ खास समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है- पाश्चात्य देश, जैसे – बेलजियम, अमरीका और कनाडा, अति विकसित देश होने के कारण वहाँ ख्रीस्तीय विश्वास की अति निराशाजनक स्थिति है। जिसके प्रभाव से हमारा देश भी अछूता नहीं है। फलस्वरूप, इन देशों में बुलाहट करीब समाप्त हो गई है या समाप्ति के कगार पर है। कुछ ही धर्मबहनें हैं जिनकी उम्र 80-90 के बीच हैं।
दक्षिणी देश – खासकर भारत में धर्मसंघीय जीवन जीवित है। अच्छी संख्या में युवतियाँ प्रत्युत्तर दे रही हैं, पर वे आज के विकासशील सूचना और तकनीकी के युग में, बुलाहटीय जीवन में कमजोर हो जाती हैं, यों धर्मसंघीय जीवन को त्यागनेवालों की संख्या बढ़ रही है – जो वर्तमान में हमारे लिए एक गंभीर चुनौती है।
सवाल - आज की इस टूटी दुनिया में आप किस तरह आशा और साहस के चिन्ह बनना चाहती हैं?
आज की इस टूटी दुनिया में हम अपनी महासभा की विषयवस्तु - "ख्रीस्त में आधारित नया जीवन जीयें" को ध्यान में रखते हुए ख्रीस्त को केंद्रबिन्दु मानकर, उत्पन्न सभी परिस्थितियों में उनपर विश्वास करते हुए अपनी जीवन शैली एवं प्रेरिताई कार्यों में नवीनीकरण लायें। समय की जरूरत और पुकार को पहचानकर, उसका प्रत्युत्तर देते हुए आशा और साहस का संचारकर आगे बढ़ने की दृढ़ इच्छा रखती हैं।
सवाल - धर्मसमाज भविष्य में किस दिशा में अपनी प्रेरिताई आगे बढ़ाना चाहता है?
आज के समय में उर्सुलाईन धर्मबहनें अपने संस्थापकों के पदचिन्हों पर चलते हुए आध्यात्मिकता को अपने धर्मसमाजी जीवन में और व्रतों के अनुपालन में गहराई और दृढ़ता देने का प्रण करती हैं। साथ ही, संत पापा द्वारा घोषित कलीसिया की सिनॉडालिटी के तहत, समन्वय, सहभागिता और प्रेरितिक कार्यों में पूर्णता से सम्मिलित होकर अपना महत्वपूर्ण योगदान देना चाहती हैं।
सवाल- "ख्रीस्त पर आधारित नया जीवन जीएँ"- महासभा की विषयवस्तु है इसे किस तरह ठोस रूप दिया जा सकता है?
- अपने प्रेरितिक कार्यों में, आज के युवा-वर्ग, परिवार और समाज में एक नई राह की खोज करेंगे और संस्थापकों द्वारा दिखलायी गई राह पर चलेंगे।
- अंतर- प्रोविंस स्तरीय कार्यक्रमों का आयोजन विभिन्न उम्र सीमा वर्ग की धर्मबहनों के लिए किया जाएगा, जो उनके समर्पित जीवन को दृढ़ता प्रदान करेगा।
- उर्सुलाईन धर्मसंघीय जीवनशैली, अपने संस्थापकों- संत अंजेला और फादर जॉन लम्बर्ट के दर्शाये मार्ग पर चलने हेतु अध्यवसायी बनी रहेंगी।
- आज की विकसित सूचना और तकनीकी संसाधनों की चुनौती का सामना सही, उत्तरदायी और प्रौढ़ता के साथ करेंगे।
- प्रकृति की रक्षा में तथा प्राकृतिक आपदा में समाज, राष्ट्र एवं विश्वव्यापी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।
सवाल- रोम आकर आपको संत पापा का साक्षात् दर्शन करने का अवसर मिला, उनसे आपको क्या प्रेरणा मिली?
हमारा सौभाग्य है कि हम अपने केंद्रीय महासभा हेतु रोम – पवित्र नगरी में आ सके और पवित्र कलीसिया के शीर्ष अधिकारी संत पिता का शुभदर्शन करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। इस महासभा के हर सदस्य के लिए यह ईश्वरीय आशीष का कारण है। यह आशीष सभी प्रोविंस की धर्मबहनों के लिए कृपाओं का स्रोत होगा और समर्पित जीवन में अग्रसर होने के लिए हम प्रत्येक को अनुप्रेरित करेगा।
टिलडोंक की उर्सुलाईन धर्मबहनों को उम्मीद है कि वे भविष्य में एकजुट होकर कलीसिया और विश्व को समय की मांग अनुसार अधिक उत्साह के साथ सेवा दे पायेंगी।
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