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दलित उल्फ गोलन वाटिकन में साक्षात्कार देती हुई दलित उल्फ गोलन वाटिकन में साक्षात्कार देती हुई 

जलवायु परिवर्तन पर काबू पाने हेतु स्वार्थों को आपसी लाभ में बदलें

वाटिकन के लिए इस्राएली राजदूतावास ने जब महिलाओं और जलवायु संकट पर एक सम्मेलन का आयोजन किया है, दलित उल्फ गोलन ने पवित्र भूमि के निवासियों द्वारा जल की प्राप्ति जैसे आम परियोजना पर अपनी समस्याओं से ऊपर उठने के लिए एक साथ काम करने पर जोर दिया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

जलवायु परिवर्तन और समाधान खोजने में महिलाओं की भूमिका के बारे में रोम में आयोजित सम्मेलन से पूर्व दलित वुल्फ गोलन ने वाटिकन न्यूज को अपना दृष्टिकोण बतलाया। उन्होंने कहा, "जैसा कि संत पापा फ्रांसिस ने कोप 26 के दौरान कहा था, हम जलवायु में बदलाव और समाधान तभी पा सकते हैं जब हम सीमा के पीछे छिपना छोड़कर, एक साथ काम करेंगे।"

"एक साथ हरियाली पर चिंतन ˸ जलवायु परिवर्तन एवं स्थिरता पर एक महिला परिपेक्ष्य", मंगलवार को इस्राएली राजदूतावास एवं वाटिकन में महिलाओं के संघ द्वारा आयोजित सम्मेलन की विषयवस्तु है।

लम्बे समय तक जारी समस्या

मध्यपूर्व में पर्यावरण शांति के उप-निदेशक वुल्फ गोलन पवित्र भूमि में एक आम समस्या - पीने योग्य पानी की कमी - को एक ऐसे मुद्दे में बदलने के लिए काम करती है, जिसपर आम सहमति बनाया जा सके।

उन्होंने कहा कि मध्यपूर्व के कुछ परिवार, पेयजल के लिए रूक-रूक कर मिलनेवाली जलापूर्ति पर निर्भर करते हैं, जिसको सप्ताह में सिर्फ एक बार, 2-3 सप्ताहों में एक बार या गरमी में हर तीन माह में एक बार प्राप्त किया जाता है।   

उन्होंने कहा, "अब एक ऐसे परिवार के संचालन की कल्पना कीजिए। आपकी छत पर एक टैंक लगा हुआ है जिसमें पानी एकट्ठा किया जाता है किन्तु दो सप्ताह या तीन सप्ताह अथवा तीन माह के बाद पानी मिलने के कारण बीच में खाली होने की समस्या को कैसे भरा जा सकता है? दैनिक जीवन की यह समस्या उनके क्षेत्र में महिलाओं के जीवन को बहुत अधिक प्रभावित कर रही है।

महिला और जल

वुल्फ ने गौर किया कि यद्यपि पानी की कमी की समस्या का प्रभाव महिलाओं पर बहुत अधिक पड़ता है, तथापि अधिकांश राजनीतिक नेता पुरूष वर्ग से हैं, जिनके पास संभावित रूप से परिवर्तन को प्रभावित करने के साधन हैं लेकिन इस मुद्दे को प्राथमिकता देने के लिए उनकी रुचि कम है।

"इस खाई को भरने के लिए हम जो कर सकते हैं वह है, इन मुद्दों पर महिलाओं की आवाजों को नेताओं द्वारा सुना जाना।"

अतः मध्यपूर्व की पर्यावरण शांति आंदोलन इस्राएल, जॉर्डन और फिलीस्तीन के निवासियों को, अपने क्षेत्रों में जल की वास्तविकता एवं जलवायु परिवर्तनों की गंभीरता के बारे शिक्षा देना चाहता है।    

उदाहरण के लिए फिलीस्तीन एवं इस्राएल के पास जल की व्यवस्था है जो 1995 ई. पुरानी है जिसके अनुसार 75 प्रतिशत जल इस्राएल को प्राप्त होता है और 25 प्रतिशत फिलीस्तीन को। व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है क्योंकि जल उन पाँच स्थायी हैसियत का मुद्दा है जिसको फिलीस्तीन एवं इस्राएल के बीच बांटा जाना है।   

बदलाव के लिए राजनीतिक इच्छा

गोलन ने कहा कि 1995 के बाद से पानी को लेकर स्थिति में काफी परिवर्तन हुए हैं। इस्राएल के पास अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग की क्षमता के कारण आवश्यकता से अधिक पानी है।

उन्होंने कहा कि "जल संकट से जूझने वाले समुदायों के बारे बहुत कम लोग सचेत हैं। हम चाहते हैं कि इन मुद्दों का समाधान किया जाए और महिलाएँ जो पहली पंक्ति पर हैं एवं जो वर्तमान की स्थिति का सामना कर रही हैं उनकी आवाज बहुत महत्वपूर्ण है जिन्हें सुना जाना चाहिए।

अपने स्वार्थ को आपसी लाभ में बदलना

गोलन ने गौर किया कि यद्यपि जॉर्डन, फिलीस्तीन एवं इस्राएल के बीच सीमा खुले हुए हैं तथापि तीनों देशों के बीच राजनीतिक और आम सम्पर्क बहुत कम होते हैं और उनके बीच आपसी विश्वास की बहुत कमी है।

"यह दिखलाता है कि इन पर्यावर्णीय चुनौतियों का सामना करने में हम सभी का एक अपना स्वार्थ है जो पानी की कमी की समस्या से जुड़ी है। यदि इस स्वार्थ को दूर करने के लिए प्रयास किया जाए, मित्र बनने के लिए नहीं बल्कि एक आम लक्ष्य को हासिल करने एवं अपनी आवश्यकताओं को प्राप्त करने के लिए, तो एक साथ आने के द्वारा व्यक्तिगत स्वार्थ आपसी हित में बदल जायेगा। और यदि उसे एक बार प्राप्त कर लिया जाए तो सब कुछ संभव है।"   

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17 May 2022, 16:09