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2022.05.10  धन्य तीतुस ब्रांडसमा 2022.05.10  धन्य तीतुस ब्रांडसमा 

नीदरलैंड दूतावास ने धन्य तीतुस ब्रांडसमा को श्रद्धांजलि अर्पित की

नीदरलैंड के दूतावास ने जर्मन पत्रकार और द्वितीय विश्व युद्ध के शहीद फादर तीतुस ब्रांडसमा की वीर भूमिका को देखते हुए एक सम्मेलन का आयोजन किया। सत्य, मानवाधिकारों और प्रेस की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने में तीतुस ब्रांडसमा को अपने जीवन की कीमत चुकानी पड़ी। संत पापा फ्राँसिस 15 मई को उन्हें संत घोषित करेंगे।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 11 मई 2022 (वाटिकन न्यूज) : रविवार 15 मई को संत पापा फ्राँसिस संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में पवित्र मिस्सा समारोह के दौरान दस धन्यों के संत घोषित करेंगे। दस धन्यों के नाम निम्नलिखित हैं, तीतुस ब्रांडसमा, भारत के लाजर, जिसे देवसहायम भी कहा जाता है; चेसर दी बुस, लुइजी मारिया पलाज़ोलो, जुस्टीनो मारिया रुस्सोलिल्लो, चार्ल्स डी फौकॉल्ड, मेरी रिवियर, मारिया फ्रांचेस्का दी जेसु रूबातो, मारिया दी जेसु सांतोकनाले और मारिया दोमिनिका मानतोवानी।

परमधर्मपीठ के लिए जर्मन दूतावास अपने साथी देशवासी, कार्मेलाइट फादर तीतुस ब्रांडसमा, एक धर्मशास्त्री, पत्रकार और लेखक को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध से पहले जर्मनी में नाजियों द्वारा पारित यहूदी-विरोधी कानूनों के खिलाफ जबरदस्त विरोध किया था।

1881 में जन्मे, धन्य तीतुस कार्मेलाइट पुरोहित, एक जर्मन धर्मशास्त्री, पत्रकार और लेखक थे, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध से पहले जर्मनी में नाजियों द्वारा पारित यहूदी-विरोधी कानूनों का जबरदस्त विरोध किया और उनके खिलाफ आवाज उठाई। जब जर्मनी ने नीदरलैंड पर आक्रमण किया तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया और कहा गया कि अगर वे घोषणा करेंगे कि काथलिक अखबारों को नाजी प्रचार प्रकाशित करना चाहिए तो उन्हें एक मठ में एक शांत जीवन जीने की अनुमति दी जाएगी। धन्य फादर तीतुस ने इनकार कर दिया और 26 जुलाई 1942 को डचाऊ नजरबंद शिविर में कठिनाई और भुखमरी से 61 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई। संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने 1985 में फादर तितुस को धन्य घोषित करते हुए कहा कि उन्होंने "प्यार से नफरत का जवाब दिया।"

परमधर्मपीठ के लिए नीदरलैंड के दूतावास ने धन्य तीतुस की वीर भूमिका को देखते हुए एक सम्मेलन का आयोजन किया है। ब्रांडसमा ने मानवाधिकारों, प्रेस की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और इन मूल्यों के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया।

नीदरलैंड की राजदूत करोलिन वीजर्स ने वाटिकन न्यूज के गुडरून सेलर के साथ सम्मेलन के बारे में और फादर ब्रांडसमा की वीरता के बारे में बात की। जिनकी मिसाल और विरासत सभी धर्मों के लोगों को प्रेरित करती रहेगी।

प्रश्न: धर्मनिरपेक्ष जर्मन समाज में आज ब्रांडसमा की स्थिति क्या है?

राजदूत करोलिन : धन्य तीतुस ब्रांडसमा कई प्रतिभाओं वाले व्यक्ति है। एक कार्मेलाइट पुरोहित के रूप में, वे संत अविला और संत की तेरेसा से प्रेरित थे। उनका जीवन के प्रति बेहद सकारात्मक दृष्टिकोण था। एक विचारक, दार्शनिक और रहस्यवादी के रूप में उन्होंने सामाजिक वाद-विवाद में बौद्धिक योगदान दिया। 1923 में स्थापित निजमेजेन के काथलिक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और रेक्टर के रूप में, उन्होंने नीदरलैंड में काथलिक मुक्ति में योगदान दिया। एक पत्रकार के रूप में, वे राष्ट्रीय समाजवादी विचारधारा और नूर्नबर्ग नस्लीय कानूनों के खिलाफ बोलते हुए, प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करते थे और नीदरलैंड के कब्जे के दौरान काथलिक समाचार पत्रों को प्रचार या विज्ञापन नहीं छापने का आग्रह करते थे। इन सभी पहलुओं ने उन्हें, निश्चित रूप से, एक विशेष प्रतिरोध नायक बना दिया। उनका साहस और दृढ़ता दुनिया भर में और निश्चित रूप से नीदरलैंड में भी कई लोगों के लिए प्रेरणादायक है। धन्य तितुस द्वारा सन्निहित गुण, विश्वास, आशा और प्रेम न केवल काथलिकों, ख्रीस्तियों या धार्मिक विश्वासियों के लिए, बल्कि सद्भावना के सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रश्न: क्या वे आज जर्मन समाज में जाने जाते हैं?

राजदूत करोलिन : निश्चित रूप से वे समाज के कुछ हिस्सों में जाने जाते हैं। उदाहरण के लिए, निजमेगेन में जहाँ वे विश्वविद्यालय के रेक्टर भी थे, वे प्रसिद्ध और बहुत सम्मानित हैं। मुझे लगता है कि व्यापक अर्थों में, लोग इस वर्ष उनके बारे में अधिक खोज रहे हैं क्योंकि उनकी ओर अब मीडिया का ध्यान बहुत अधिक है।

प्रश्न:  प्रेस की स्वतंत्रता के बारे में आज नये संत हमें क्या बताते हैं?

राजदूत करोलिन : परमधर्मपीठ के लिए नीदरलैंड के दूतावास के काम में प्राथमिकताओं में शांति और सुरक्षा, कानून और न्याय का शासन, जलवायु एवं पर्यावरण और मानवाधिकार शामिल हैं, जिसमें बोलने की स्वतंत्रता है और इसलिए प्रेस की स्वतंत्रता भी शामिल है। मंगलवार, 10 मई परमधर्मपीठ के लिए नीदरलैंड के दूतावास द्वारा अंग्रेजी में अंतरराष्ट्रीय केंद्र संत अलबेर्टो में आयोजित की गई, यह वही घर है जहाँ तीतुस रोम में अध्ययन के दौरान रहते थे।

इस संगोष्ठी का शीर्षक है "तीतुस ब्रांडसमा : अंधकार समय में पत्रकारिता की चुनौतियां।" जाहिर है, यह उस समय के बारे में है जब तीतुस रहते थे और काम करते थे और एक क्रूर कब्जा करने वालों का विरोध करते थे और इसलिए उनकी हत्या कर दी गई। यह एक पत्रकार के रूप में उनके प्रदर्शन के बारे में है, लेकिन यह तीतुस की वर्तमान सामाजिक प्रासंगिकता की जांच करने का एक अवसर भी है। इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी के लिए रोम आने वाले नीदरलैंड के मानवाधिकार राजदूत के भाषण का विषय दुनिया को तीतुस जैसे साहसी पत्रकारों की आवश्यकता होगी ताकि मानवता और सभी के लिए मानवाधिकारों में अंतर किया जा सके। वाटिकन पत्रकार संघ के कई सदस्यों के साथ पत्रकारिता की चुनौतियों और नकली समाचारों और सोशल मीडिया के युग में सच्चाई की खोज पर एक गोलमेज चर्चा के साथ संगोष्ठी का समापन होगा।

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11 May 2022, 16:23