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संत पापा ˸ बुलाहट का अर्थ है ईश्वर के सपने को साकार करना

संत पापा फ्राँसिस ने बुलाहट हेतु विश्व प्रार्थना दिवस के लिए एक संदेश प्रकाशित किया। 59वाँ विश्व प्रार्थना दिवस 8 मई को मनाया जाएगा।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 5 मई 2022 (रेई) ˸ संत पापा ने संदेश में कहा है कि जब युद्ध और शोषण की शीत लहरी चल रही है और जब हम ध्रुवीकरण के चिन्ह का सामना कर रहे हैं, हमने कलीसिया के रूप में सिनॉडल प्रक्रिया शुरू की है। हम एक साथ यात्रा करने, सुनने की भावना जागृत करने, सहभागी होने और साझा करने की आवश्यकता को महसूस कर रहे हैं। सभी भली इच्छा रखनेवाले लोगों के साथ हम एक मानव परिवार के निर्माण में मदद देना, इसके घावों को चंगा करना तथा इसे बेहतर भविष्य के लिए आगे बढ़ाना चाहते हैं।" संत पापा ने बुलाहट के लिए 59वें विश्व प्रार्थना दिवस पर सिनॉडल कलीसिया की पृष्टभूमि पर "बुलाहट" के विस्तृत अर्थ पर चिंतन किया, एक ऐसी कलीसिया जो ईश्वर को सुनती है और दुनिया को भी सुनती है।

कलीसिया के मिशन के लिए नायक के रूप में एक साथ बुलावा

सिनॉडालिटी अर्थात् एक साथ यात्रा करना, एक बुलाहट है जो कलीसिया के लिए आधारभूत है। केवल इसी क्षितीज पर बुलाहटों, कैरिज्म और प्रेरिताई को पहचाना और सम्मान दिया जा सकता है। हम जानते हैं कि "कलीसिया सुसमाचार प्रचार करने के लिए ही है।" इस मिशन को तभी पूरा किया जा सकता है जब हर प्रकार के प्रेरितिक कार्यों को एक साथ किया जाए और "प्रभु के सभी शिष्यों" को शामिल किया जाए। हर बपतिस्मा प्राप्त व्यक्ति सुसमाचार प्रचार करने के लिए बुलाया गया है। हमें उस मनोभाव से सावधान रहना चाहिए जो पुरोहितों एवं लोकधर्मियों को अलग करता तथा याजकों को नायक एवं लोकधर्मियों को निष्पादकों के रूप में देखता है। जबकि ख्रीस्तीय मिशन को याजकों और लोकधर्मियों को एक साथ मिलकर आगे बढ़ाना है। संत पापा ने कहा कि पूरी कलीसिया एक सुसमचार प्रचार का समुदाय है।  

एक - दूसरे एवं सृष्टि के संरक्षक के रूप में बुलावा  

संत पापा ने कहा कि बुलाहट को सिर्फ समर्पित जीवन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। हम सभी ख्रीस्त के मिशन में सहभागी होने के लिए बुलाये गये हैं जिसमें हमें बिखरे मानवता को पुनः एक साथ लाना है और ईश्वर के साथ मेल-मिलाप करना है। ख्रीस्त से मुलाकात करने एवं ख्रीस्तीय धर्म स्वीकार करने के पहले ही हरेक व्यक्ति जीवन के वरदान के साथ एक मौलिक बुलाहट प्राप्त करता है कि वह ईश्वर द्वारा सृष्ट एवं प्रेम किया गया है और वह ईश्वर के लिए अनुठा है। अतः हमारे जीवन के हरेक क्षण हम हमारे हृदय में निहित एक दिव्य चिंगारी को सुलगाने के लिए बुलाये गये हैं। प्रेम एवं आपसी स्वीकृति से प्रेरित होकर, हम एक-दूसरे की रक्षा करने, मानवता के संबंध को मजबूत करने, बांटने एवं सृष्टि के घावों को चंगा करने के लिए बुलाये गये हैं अन्यथा इसकी सुन्दरता नष्ट हो जाएगी। संक्षेप में, सृष्टि के अद्भुत आमघर में, इसके तत्वों की सामंजस्य विविधता में एक एकल परिवार बनने के लिए बुलाये गये हैं। इस अर्थ में न केवल व्यक्तिगत बुलाहट है बल्कि सामुदायिक और दलों की बुलाहट भी है।      

ईश्वर की कृपा का स्वागत करना

इस महान आम बुलाहट में ईश्वर हमें व्यक्तिगत रूप से बुलाते हैं। वे हमारे जीवन को स्पर्श करते और हमें अंतिम लक्ष्य की ओर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। ईश्वर हमें हमेशा स्नेहपूर्ण नजर से देखते, हमारा स्पर्श करते, हमें मुक्त करते, हमें बदल देते तथा नया व्यक्ति बनाते हैं। हर बुलाहट में यही होता है। ईश्वर का वचन, जो हमें आत्म-अवशोषण से मुक्त करता है, विशेष रूप से, हमें शुद्ध करता, प्रबुद्ध बनाता और नवीकृत होने में सक्षम बनाता है।  

बुलाहट के प्रति अधिक खुले होने के लिए संत पापा ने ईश वचन का पाठ करने की सलाह दी साथ ही, विश्वास में अपने भाई-बहनों को सुनने का परामर्थ दिया ताकि उनके उदाहरण और मदद से हम ईश्वर की योजना को पहचान सकेंगे।

ईश्वर के नजर का जवाब देने के लिए बुलावा   

ईश्वर की प्रेमी और उनकी रचनात्मक नजर, पूरी तरह येसु में हमसे मिलती है। सुसमाचार लेखक मारकुस बतलाते हैं कि येसु ने धनी युवक को देखा। येसु की नजर प्रेम से हम सभी पर पड़ती है। संत पापा ने कहा कि हम उनकी नजरों द्वारा अपने आपसे बाहर निकलें। हम भी एक-दूसरे से उनकी तरह देखना सीखें ताकि जिनके साथ हम रहते और मुलाकात करते हैं वह स्वागत किया गया महसूस कर सके और वह अनुभव कर सके कि कोई है जो उसे प्यार से देखता एवं उसकी क्षमताओं में पूर्ण रूप से विकसित होने के लिए प्रोत्साहन देता है।

संत पापा ने कहा कि जब हम इस नजर को स्वीकार करते हैं जो हमारा जीवन बदल जाता है। प्रभु और हमारे बीच, बल्कि एक-दूसरे के बीच भी सब कुछ एक बुलाहटीय संवाद बन जाता है। एक संवाद, जिसे गहराई से अनुभव किया जाता है, हमें और अधिक खुद को पहचानने में मदद देता है। पुरोहितीय बुलाहट में ख्रीस्त की कृपा एवं करुणा के माध्यम बनने के लिए, समर्पित जीवन की बुलाहट में ईश्वर की स्तुति एवं नई मानवता की भविष्यवाणी बनने, वैवाहिक जीवन की बुलाहट में आपसी वरदान तथा जीवन के दाता एवं शिक्षक बनने के लिए सक्षम बनाता है। हर कलीसियाई बुलाहट एवं मिशन एक-दूसरे एवं विश्व को ईश्वर की नजर से देखने, अच्छाई की सेवा करने और अपने कामों एवं वचन से प्रेम का प्रचार करने के लिए बुलाता है।  

भाईचारापूर्ण विश्व के निर्माण के लिए बुलावा

एक ख्रीस्तीय के रूप में हम न केवल व्यक्तिगत बुलाहट प्राप्त करते बल्कि एक साथ भी बुलाये जाते हैं। हम एक मोजाई की तरह है। जिसका हर अंश सुन्दर होता किन्तु एक साथ मिलकर ही वे चित्र का रूप दे पाते हैं। हम हरेक जन एक तारे के रूप में ईश्वर के हृदय में चमकते हैं, हालांकि, हम नक्षत्र बनाने के लिए बुलाये जाते हैं जो मानवता के मार्ग का मार्गदर्शन करता और उसे प्रकाश देता है। यही कारण है कि कलीसिया को सिनॉडल होने की जरूरत है, उसे एक साथ चल सकना है, विविधता में एकता लाना है जहाँ हरेक सहभागी हो सके और हरेक अपना योगदान दे सके।

संत पापा ने कहा कि बुलाहट का अर्थ किसी एक धर्मसमाज या समुदाय को चुनना नहीं है बल्कि ईश्वर के सपने को साकार करना है, जैसा कि भ्रातृत्व के महान दर्शन जिसको येसु ने प्रकट किया, जब उन्होंने पिता से प्रार्थना की कि वे सब के सब एक हो जाएँ।

कलीसिया और समाज में हर बुलाहट एक आम उद्देश्य को पूरा करने के लिए सहयोग देता है ˸ सभी लोगों के बीच भाईचारा की भावना लाने के लिए, हर प्रकार की क्षमताओं का सामंजस्य करने, जिसको केवल पवित्र आत्मा प्रदान कर सकते है।

संत पापा ने सभी पुरोहितों, धर्मसमाजियों एवं लोकधर्मियों को एक साथ यात्रा करने, काम करने एवं सच्चाई का साक्ष्य देने का प्रोत्साहन दिया ताकि हम एक महान मानव परिवार में प्रेम से जीते हुए ईश्वर की योजना पूरी कर सकें।

 

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05 May 2022, 16:37